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बाड़मेर टू वाराणसी: जब रवीन्द्र भाटी से मिले ब्रजेश सिंह

राणा सांगा के सम्मान में राजपूत समाज मैदान में है, लेकिन बीजेपी खुलकर सामने आने से बच रही है. वो अभी बस दूर से ही इसके नफा नुक़सान के आकलन में जुटी है.

बाड़मेर टू वाराणसी: जब रवीन्द्र भाटी से मिले ब्रजेश सिंह
लखनऊ:

राणा सांगा का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान. यात्रा का थीम यही है. यात्रा राजस्थान के बाड़मेर से यूपी के वाराणसी तक. सियासत की आंच धीमे-धीमे तेज हो रही है. बस चेहरे भर बदल गए हैं. राजपूत समाज की एकजुटता के बहाने दम दिखाने की तैयारी है. राजस्थान के निर्दलीय विधायक रवीन्द्र सिंह भाटी लखनऊ पहुंचे. यूपी के बाहुबली नेता ब्रजेश सिंह से मिले. फिर ब्रजेश सिंह पहुंच गए राजस्थान. दोनों नेताओं ने राणा सांगा की मूर्ति पर शीश नवाया. अब तैयारी राणा सांगा की धरती से बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी तक कूच करने की है.

'जय भवानी' के नारे के साथ हज़ारों नौजवान लखनऊ की सड़क पर उतर गए. महिलाएं भी पीछे नहीं थीं. माथे पर भगवा पगड़ी और हाथों में तलवार. क्षत्रिय समाज से जुड़े लोगों ने लखनऊ में प्रदर्शन किया. सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर तक जाना चाहते थे. पुलिस ने उन्हें रोक दिया. यूपी में हर दिन कहीं न कहीं विरोध का ये सिलसिला जारी है. मांग माफ़ी की है. समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन अपने बयान पर माफ़ी मांगें. ये बयान उन्होंने संसद में दिया था. सुमन माफ़ी मांगने को तैयार नहीं हैं. अखिलेश यादव ने इसे दलित समाज के मान सम्मान से जोड़ दिया है.

राणा सांगा के सम्मान में राजपूत समाज मैदान में है, लेकिन बीजेपी खुलकर सामने आने से बच रही है. वो अभी बस दूर से ही इसके नफा नुक़सान के आकलन में जुटी है. पार्टी नेताओं का एक गुट ज़रूर ताक़त देने में जुटा है. ऐसे में क्षत्रिय समाज के कुछ प्रभावशाली नेता इस आंदोलन की कमान लेने के मूड में हैं. तैयारी भी शुरू है. राजस्थान से लेकर यूपी तक के राजपूत समाज को इसी बहाने जोड़ने की तैयारी है. बाड़मेर से लेकर वाराणसी तक माहौल बनाने की योजना है. राजस्थान से इसका नेतृत्व विधायक रविन्द्र सिंह भाटी करेंगे. यूपी की कमान बाहुबली नेता ब्रजेश सिंह के पास रहेगी.

ब्रजेश सिंह यूपी से निर्दलीय एमएलसी रहे हैं. उनकी पत्नी अन्नपूर्णा देवी भी निर्दलीय ही चुनाव जीत कर विधान परिषद की दूसरी बार सदस्य बनीं हैं. वो भी पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से. उन्होंने चुनाव में बीजेपी को हराया. उनकी जीत के पीछे ब्रजेश सिंह की राजनैतिक ताकत है. एक दौर में यूपी का पूर्वांचल ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी के लिए जाना जाता था. अब सब अतीत के पन्नों में हैं. ब्रजेश सिंह के संबंध कमोबेश हर राजनैतिक पार्टी के ठाकुर नेताओं से है. समय और समीकरण के हिसाब से ब्रजेश सिंह अब अपनी नई छवि रचने और गढ़ने की राह पर हैं. सोशल मीडिया की उनकी टीम भी खूब एक्टिव है.

रवीन्द्र सिंह भाटी भी ठाकुर बिरादरी के हैं. उम्र बस 27 बरस है. पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े. निर्दलीय ही राजस्थान के शिव इलाके से विधायक चुन लिए गए. छात्र राजनीति से उन्होंने शुरूआत की थी. सोशल मीडिया के वे हीरो हैं. देश भर के ठाकुर नौजवान उन्हें अपना नेता मानते हैं. उनकी एक झलक के लिए हज़ारों की भीड़ जुटती है. वे यूथ आइकॉन हैं. ब्रजेश सिंह से वे लखनऊ आकर मिले. फिर ब्रजेश ने उनके साथ राजस्थान में यात्रा की. पहले वीर राणा सांगा के स्मारक पर गए. यात्रा के दौरान भंडाना चातक में कांग्रेस नेता राजेश पायलट के स्मारक पर श्रद्धांजलि दी.

ब्रजेश सिंह इस दोस्ती के सहारे बाहुबली नेता की इमेज से बाहर निकलने में जुटे हैं. रवीन्द्र सिंह भाटी भी अपने प्रभाव का विस्तार चाहते हैं. दोनों नेताओं की कोशिश ठाकुर नेता के टैग से बाहर निकलने की है. ये आज की राजनीति के लिए ज़रूरी भी है और मजबूरी भी. राजनैतिक दलों के स्थापित खांचे से अलग अपनी राजनीतिक ज़मीन बनाना बेहद मुश्किल काम है.

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