केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुकमा नक्सली हमले के दो हफ्ते बाद नक्सलवाद पर नकेल कसने के लिए केन्द्र सरकार सोमवार को दिल्ली में बड़ी बैठक करने जा रही है. केन्द्रीय गृहमंत्री की अगुवाई में होने वाली इस बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि कैसे माओवादियों से निपटा जाए और कैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की गति तेज की जाए. सुकमा में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मौत के बाद केन्द्र सरकार हरकत में आ चुकी है. नक्सलियों के खिलाफ एक बार फिर से ठोस रणनीति बनाने के लिए दिल्ली में सोमवार को बैठक होगी. बैठक में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ तमाम गृह मंत्री और आला अधिकारी मौजूद होंगे. इसमें नक्सलियों के खिलाफ बड़े अभियान को अंजाम देने की रणनीति को अंतिम रूप देने की कोशिश होगी.
नक्सल प्रभावित 10 राज्यों के मुख्यमंत्री बैठक में हिस्सा लेंगे. इन राज्यों में आंध्रप्रदेश, बिहार, छतीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. मुख्यमंत्रियों के अलावा कई केन्द्रीय मंत्री भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे ताकि हालात का बेहतर तरीके से जायजा लिया सके. खासकर सुरक्षा, विकास और ढांचागत निमार्ण पर खासा जोर होगा.
इसके अलावा नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यसचिव, प्रभावित राज्यों के पुलिस प्रमुख, अर्धसैनिक बलों और खुफिया विभाग के प्रमुख और नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित करीब 35 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भी बुलाया गया है. खुफिया जानकारियों को बेहतर तरीके से साझा करना, मौजूदा नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी लाना, समस्या की पहचान करना और विकास कार्यों में तेजी लाने जैसे मुद्दे एजेंडा में शामिल हैं.
केन्द्र राज्यों को अपनी स्पेशल रिजर्व बटालियन बनाने और उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ-साथ आधुनिक हथियारों जैसी तमाम सुविधायें देगी ताकि वो माओवादियों का डटकर सामना कर सकें. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में सुरक्षाबलों को पूरी छूट दिए जाने की उम्मीद है. साथ ही सभी नक्सल प्रभावित सारे राज्य एक रणनीति के तहत काम करेंगे और तब तक कार्रवाई जारी रहेगी जब तक नक्सलियों का अंत नहीं हो जाता.
नक्सल प्रभावित 10 राज्यों के मुख्यमंत्री बैठक में हिस्सा लेंगे. इन राज्यों में आंध्रप्रदेश, बिहार, छतीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. मुख्यमंत्रियों के अलावा कई केन्द्रीय मंत्री भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे ताकि हालात का बेहतर तरीके से जायजा लिया सके. खासकर सुरक्षा, विकास और ढांचागत निमार्ण पर खासा जोर होगा.
इसके अलावा नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यसचिव, प्रभावित राज्यों के पुलिस प्रमुख, अर्धसैनिक बलों और खुफिया विभाग के प्रमुख और नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित करीब 35 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भी बुलाया गया है. खुफिया जानकारियों को बेहतर तरीके से साझा करना, मौजूदा नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी लाना, समस्या की पहचान करना और विकास कार्यों में तेजी लाने जैसे मुद्दे एजेंडा में शामिल हैं.
केन्द्र राज्यों को अपनी स्पेशल रिजर्व बटालियन बनाने और उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ-साथ आधुनिक हथियारों जैसी तमाम सुविधायें देगी ताकि वो माओवादियों का डटकर सामना कर सकें. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में सुरक्षाबलों को पूरी छूट दिए जाने की उम्मीद है. साथ ही सभी नक्सल प्रभावित सारे राज्य एक रणनीति के तहत काम करेंगे और तब तक कार्रवाई जारी रहेगी जब तक नक्सलियों का अंत नहीं हो जाता.
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