सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:
राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तमिलनाडु सरकार की चिट्ठी पर तीन महीने में फैसला करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 9 फरवरी 2014 की राज्य सरकार की चिट्ठी पर केंद्र सरकार फैसला करे. इस मामले में सात दोषी 25 साल से जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. दिसंबर 2015 में पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि राज्य सरकार संज्ञान लेकर मुरुगन, संथन, पेरारीवलन (जिनकी मौत की सजा को जन्म की सजा में बदल दिया गया था) और नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रवीचंद्रन की उम्रकैद की सजा माफ नहीं कर सकती.
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अदालत ने यह माना था कि सीबीआई द्वारा जांच किए गए मामलों में राज्य केवल केंद्र सरकार की सहमति से छूट दे सकता है. हालांकि, अदालत ने कहा था कि 19 फरवरी 2014 को तमिलनाडु सरकार द्वारा दिए गए आदेश की वैधता को पर तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी.
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संविधान खंडपीठ ने इस बात को भी खारिज कर दिया था कि जीवन की सजा का मतलब केवल 14 साल होगा और यह माना कि उम्रकैद की सजा का मतलब जीवन के बाकी हिस्सों के लिए जेल की सजा है. हालांकि, संविधान के दिए अधिकार के तहत सरकार को सजा माफ करने का अधिकार है.
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अदालत ने यह माना था कि सीबीआई द्वारा जांच किए गए मामलों में राज्य केवल केंद्र सरकार की सहमति से छूट दे सकता है. हालांकि, अदालत ने कहा था कि 19 फरवरी 2014 को तमिलनाडु सरकार द्वारा दिए गए आदेश की वैधता को पर तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी.
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संविधान खंडपीठ ने इस बात को भी खारिज कर दिया था कि जीवन की सजा का मतलब केवल 14 साल होगा और यह माना कि उम्रकैद की सजा का मतलब जीवन के बाकी हिस्सों के लिए जेल की सजा है. हालांकि, संविधान के दिए अधिकार के तहत सरकार को सजा माफ करने का अधिकार है.
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