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This Article is From Jul 13, 2020

मध्य प्रदेश और कर्नाटक की तरह राजस्थान में BJP के लिए राह नहीं आसान, लेकिन मायावती जरूर खुश होंगी

राजस्थान में अशोक गहलोत की अगुवाई में चल रही कांग्रेस की सरकार अपने ही उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की वजह से संकट में दिखाई दे रही है. मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया तरह सचिन पायलट ने बगावत कर दी है और उनकी ओर से दावा किया जा रहा है कि उनके समर्थन में 30 विधायक हैं

मध्य प्रदेश और कर्नाटक की तरह राजस्थान में BJP के लिए राह नहीं आसान, लेकिन मायावती जरूर खुश होंगी
डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दावा किया है कि उनके पास 30 विधायक हैं
नई दिल्ली:

राजस्थान में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की अगुवाई में चल रही कांग्रेस की सरकार अपने ही उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) की वजह से संकट में दिखाई दे रही है. मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया तरह सचिन पायलट ने बगावत कर दी है और उनकी ओर से दावा किया जा रहा है कि उनके समर्थन में 30 विधायक हैं और उन्होंने साफ ऐलान कर दिया है कि आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में वह हिस्सा नहीं लेंगे. दरअसल राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सचिन पायलट के मन में एक तरह से कुलबुलाहट चल रही थी जो बीच-बीच में सबके सामने भी आई. एक समय खुद को राजस्थान के सीएम पद के लिए खुद को प्रबल दावेदार मान रहे सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान ने झटका देते हुए अशोक गहलोत को सीएम बना दिया. बात यहीं से बिगड़ने शुरू हो गई. 

हाल में विधायकों को लालच देकर तोड़ने की बातें सामने आने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने जांच के लिए एसओजी का गठन किया था. 10 जुलाई को इस जांच समिति ने सचिन पायलट को समन भेज कर पूछताछ के लिए बुला लिया. उप मुख्यमंत्री सचिन के लिए यह एक तरह से अपमान की बात थी. हालांकि बाद में अशोक गहलोत को भी समन भेजा गया. हालांकि तब तक मामला पूरी तरह से हाथ निकल गया. सचिन पायलट दिल्ली आ गए और उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से मिलकर मामले को निपटाने की ठान ली है.

BJP फूंक-फूंर रख ही है कदम
रविवार को सूत्रों ने बताया कि सचिन पायलट बीजेपी नेताओं के संपर्क में है. साथ ही सचिन पायलट ने सीएम बनने की इच्छा उनसे जता दी है. लेकिन बीजेपी ने ऐसा आश्वासन देने से इनकार कर दिया. बीजेपी की ओर से पहले सचिन से कहा गया है कि पहले वो सरकार गिराएं. आज फिर सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के लिए गहलोत सरकार गिराना आसान नहीं है.  बीजेपी और कांग्रेस की सीटों में काफी अंतर है. कम से कम कांग्रेस के तीस विधायक इस्तीफा दें तभी राजस्थान सरकार गिर सकती है.

क्या है सीटों का गणित 
बात करें सत्ता पक्ष की तो कांग्रेस के पास 107, 10 निर्दलीय, 2 बीटेपी, 2 सीपीएम विधायक हैं. वहीं विपक्ष की बात करें तो बीजेपी के पास 73, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पास 3 और निर्दलीय जो कांग्रेस के खिलाफ हैं ऐसे विधायकों की संख्या 3 है. विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं और  बहुमत के लिए 100 सीटें होना जरूरी है. इस हिसाब से कांग्रेस के अपने पास 107 विधायक हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश और कर्नाटक के वाली स्थिति नहीं है. हां, अगर सचिन पायलट का यह दावा सही हो जाए कि उनके पास 30 विधायक हैं तो कांग्रेस सरकार निश्चित तौर पर संकट में आ जाएगी.

मायावती क्यों खुश होंगी
विधानसभा चुनाव में मायावती (Mayawati) की पार्टी बीएसपी के 6 विधायक जीत कर आए थे और उस समय गहलोत सरकार के पास 100 विधायक थे. बीएसपी ने सरकार को बाहर से समर्थन दे रखा था. लेकिन इसी बीच प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में दलितों को अपने पाले में करने की रणनीति बना चुकीं थी और मायावती को यह नागवार गुजर रहा था तो दूसरी ओर कांग्रेस ने बीएसपी के सभी 6 विधायकों को तोड़कर पार्टी में शामिल कर लिया. उस समय मायावती का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. कांग्रेस को गैर-भरोसेमन्द व धोखेबाज़ पार्टी करार दे डाला. इसके बाद से मायावती के निशाने पर कांग्रेस ज्यादा है. लेकिन अब जब कांग्रेस सरकार पर संकट मंडरा रहा है तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती जरूर खुश होंगी.

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