आजकल के बच्चों को क्या होता जा रहा है. सारा दिन मोबाइल (Mobile Addiction In Kids) पर लगे रहना चाहते हैं. मोबाइल न दो तो गुस्सैल, चिड़चिड़े ही नहीं होते मारपीट और कौनाक कदम उठाने तक पर उचारू हो जाते हैं. मोबाइल छीनने पर कोई जान देता है भला? ये कौन सा फितूर बच्चों के दिमाग में पैदा हो रहा है. ये आपको भी समझने की जरूरत है. इसी फितूर के चलते राजस्थान में एक और मां की गोल उजड़ गई. कोटा में एक मां ने बेटी अर्चना को मोबाइल छीनकर क्या डाला उसने ने तो मौत को ही गले लगा लिया.
उसकी बेटी सातवीं क्लास में पढ़ती थी. एडमिशन हो चुका था, 2 जुलाई को उसे स्कूल जाना था. मां सब्जी लेने क्या गई बेटी मोबाइल में गेम खेलने में व्यस्त हो गई. मां लौटी तो अर्चना, अर्चना पुकारा लेकिन बेटी कैसे सुनती वो तो गेम खेलने में मशगूल थी. बच्चों में गेम को लेकर दीवानगी ही कुछ ऐसी है कि वह इसके आगे सुनते ही कहां हैं. मां कमरे में कई को बेटी को डांट लगा दी मां बोली-कल स्कूल नहीं जाना क्या , बस्ता लगा ले, थोड़ी पढ़ाई कर ले, मोबाइल में लगी है. बस थोड़ा सा डांटकर मोबाइल बेटी से छीना और कमरे से बाहर चली गई. कमरे में अकेली रह गई बेटी और उसके दिमाग में उफनता गुस्सा.
मोबाइल छीनने पर बच्ची ने क्यो दी जान?
20-25 मिनट ही बीते थे कि मां ने फिर से अर्चना-अर्चना पुकारा, लेकिन बेटी ने कोई जवाब नहीं दिया. थोड़ी देर बाद मां जैसे ही कमरे में पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था. उसने खिड़की से झांककर देखा तो उसके पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई. उसकी बेटी जान दे चुकी थी. दिल दहला देने वाली ये घटना कोटा के अनंतपुरा तालाब बस्ती की है. लड़की के परिवार को तो ये पता तक नहीं था कि महज मोबाइल को लेकर डांटने पर बेटी ने जान दे दी. ये बात उनको पूछताछ करने पर दो दिन बाद पता चली.
मां की डांट का गुस्सा या मोबाइल की लत
14 साल की अर्चना बैरवा के पिचा राधेश्याम बैरवा नल फिटिंग का काम करते हैं. उनकी लाड़ली अब इस दुनिया में नहीं है. उसके चाचा का कहना है कि अर्चान पढ़ाई में बहुत होशियार थी. वह हमेशा मोबाइल नहीं चलाती थी. जब भी तलाती थी तो फिर थोड़ी देर बाद बंद भी कर देती थी. उस दिन मां ने क्या डांटा ये बात उसके दिल को लग गई और उसने जान दे दी. 5 दिन पहले ऐसी ही घटना जोधपुर में भी हुई थी. टेबलेट में व्यस्त बेटी को मां-बाप ने क्या डांटा कि 5वीं क्लास की बच्ची ने मौत को गले लगा लिया. यह बहुत ही डरा देने वाला है. सवाल यही है कि बच्चों को क्या होता जा रहा है. मोबाइल की ये लत कैसे उसकी जान की दुश्मन बन गई है.
मोबाइल से क्यों हिंसक हो रहे बच्चे?
मोबाइल की लत से बच्चों में मनोवृति आ रही है और वह अपनों से दूर होते जा रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए मोबाइल में हिंसक गेम खेलने की लत भी जिम्मेदार है. इस लत के चलते बच्चा अकेला रहना चाहता है. छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है. पढ़ाई के बहाने मोबाइल यूज करना चाहता है.
माता-पिता को क्या करने की जरूरत?
आपका बच्चा मोबाइल की लत के चलते कोई खौफनाक कदम न उठाए. इसके लिए बहुत ही ध्यान देने की जरूरत है. इस लत और इससे पैदा होने वाले मनोवृति से बचाने के लिए माता-पिता को भी अलर्ट रहना होगा.
- बच्चों ते साथ टाइम बिताने की जरूरत है.
- बच्चों को डांटने की बजाय उनके साथ टाइम बिताना चाहिए.
- बच्चों संग आउटडोर गेम भी खेलने चाहिए, जिससे वह खुद को अकेला महसूस न करें.
- माता-पिता को उनके सामेन खुद की इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का कम इस्तेमाल करना चाहिए.
- बच्चे मोबाइल पर क्या देख रहे हैं, इका खास ध्यान रखना चाहिए.
- बच्चे को डांटने के बजाय उनके मन की बात को सुनना चाहिए.
मोबाइल से क्यों चिड़चिड़े हो रहे बच्चे?
मोबाइल में वीडियो की वजह से बच्चे में जल्दी-जल्दी इमोशनली चेंज होता है , जिससे वह कन्फ्यूज हो जाता है, जिसकी वजह से बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है, गुस्सा करने लग सकता है और छोटी-छोटी बातों पर रोने लग सकता है. लेकिन आपको उसे इस हालात से बचाने की जरूरत है. मोबाइल की लत बच्चों को अपनों से दूर कर रही है और उनको चिड़चिड़ा बना रही है. गेम खेलने और वीडियो देखने के बाद बच्चे अपनी एक अलग दुनिया क्रिएट कर लेते हैं, वह उनको इतनी अच्छी लगती है कि अगर कोई उनको रोकता और टोकता है तो उनको लगता है कि उस प्यारी सी दुनिया को कोई उनसे छीनने की कोशिश कर रहा है और वह जान देने पर उतारू हो जाते हैं. हाल ही में गुरुग्राम में एक 16 साल के लड़के ने 9 साल की अपने पड़ोस में रहने वाले लड़की का पहले तो गला घोंटा और फिर उसकेी लाश को कपूर डालकर जला दिया. ये खबरें सुनकर यही सवाल मन में उठता है कि आखिर बच्चे इस दिशा में जा रहे हैं. उनकी मनोस्थिति है कैसी.
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