- पंजाब और हरियाणा में इस सीजन पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में लगभग पचास प्रतिशत कम हुई हैं
 - सैटेलाइट डेटा के अनुसार15 सितंबर से 2 नवंबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 42% घटकर 2262 रह गई हैं
 - हरियाणा में इसी अवधि के दौरान पराली जलाने की घटनाएं 833 से घटकर केवल 122 रह गई हैं
 
पंजाब और हरियाणा में इस सीजन में अब तक पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल के मुकाबले 50% तक घट गई हैं. एनडीटीवी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और इंडियन कॉउंसिल फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के डायरेक्टर जनरल डॉ. एम एल जाट ने सोमवार को ये महत्वपूर्ण बात कही.
सैटेलाइट की मदद से रिकॉर्ड की गई पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं का हवाल देते हुए डॉ. एम एल जाट ने कहा, "15 सितंबर से 2 नवंबर, 2025 के बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 42% की कमी आई है. 15 सितंबर से 2 नवंबर, 2024 के बीच पंजाब में 3916 पराली जलाने की घटना रिकॉर्ड की गई थी जो इस साल इस अवधि के दौरान घटकर 2262 रह गई है. हरियाणा में भी पराली जलाने की घटनाएं इस अवधि में काफी घट गई हैं. पिछले साल 15 सितंबर से 2 नवंबर के बीच 838 पराली जलाने की घटना हुई थी जो इस साल इस अवधि के दौरान घटकर सिर्फ 122 रह गई हैं".
ICAR के Consortium for Research on Agroecosystem Monitoring and Modeling from Space (CREAMS) Laboratory द्वारा इकठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक अगर पंजाब और हरियाणा को जोड़कर देखा जाए तो इस साल अब तक पराली जलाने की घटनाओं में 50 फ़ीसदी की कमी आई है. CREAMS लेबोरेटरी द्वारा तैयार किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 15 सितंबर से 2 नवंबर, 2024 के बीच पंजाब और हरियाणा में कुल 4754 पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं.
जबकि इस साल सैटेलाइट की मदद से इकट्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक 15 सितंबर से 2 नवंबर, 2025 के बीच पंजाब और हरियाणा ये करीब 50% तक घट कर 2384 रह गयीं. डॉ. एम एल जाट के मुताबिक भारत सरकार और राज्य सरकारों ने किसानों को वैकल्पिक उपायों की तरफ प्रोत्साहित करने और स्ताहनिया पुलिस की सख्ती की वजह से ही ये संभव हो पाया है.
दरअसल, अगर 2020 से पराली जलने की घटनाओं का विश्लेषण करें तो एक और बड़ा बदलाव साफ दिखाई देता है. ICAR के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में 15 सितंबर से 2 नवंबर, 2020 के बीच कुल 41,176 पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं, जो इस अवधी के दौरान साल 2025 में घटकर सिर्फ 2262 रह गई हैं. यानि, पिछले पांच साल के दौरान पराली जलाने की घटनाएं 94.5% तक घट गयी हैं.
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