विज्ञापन
This Article is From Mar 18, 2016

SYL पर कोई फैसला नहीं मानेगा पंजाब, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित

SYL पर कोई फैसला नहीं मानेगा पंजाब, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित
सतलुज यमुना लिंक नहर...
चंडीगढ़: सतलुज-यमुना लिंक नहर मामले को लेकर पंजाब सरकार कोई फैसला मानने नहीं जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है। कोर्ट ने गुरुवार को यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा था।

पंजाब सरकार ने हरियाणा की रकम लौटाई
वहीं पंजाब सरकार ने सतलुज यमुना लिंक नहर को लेकर हरियाणा से मिली सारी रकम को वापस करने का फैसला किया है। पंजाब सरकार ने इसके लिए 191 करोड़ 75 लाख रुपये का चेक हरियाणा सरकार को भेज दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को लिखे एक खत में उन्हें अपनी कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी दी। इसी के साथ पंजाब कैबिनेट अकाली दल बीजेपी सरकार का यह वादा भी दोहराया कि वह नदियों के पानी पर अपने हक का एक बूंद पानी भी हरियाणा को नहीं देंगे।

हरियाणा से पानी साझा करने की मना
खत के मुताबिक, पानी पंजाब की जीवनरेखा है और इसे किसी के साथ साझा करने का सवाल भी पैदा नहीं होता। पंजाब की नदियों को लेकर अन्याय किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा। इसी सोमवार को पंजाब सरकार ने राज्य विधानसभा में एक बिल पास कर उन सभी लोगों को चार हज़ार एकड़ ज़मीन वापस करने का फ़ैसला किया था, जिनकी ज़मीन सतलुज यमुना नहर को बनाने के लिए ली गई थी। उस समय हरियाणा सरकार ने इस ज़मीन के मालिकों को मुआवज़ा दिया था। पंजाब और हरियाणा के बीच नदी के पानी बंटवारे का विवाद सालों पुराना है।

जानें क्या है पूरा मामला
- 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के साथ विवाद शुरू
- 24 मार्च, 1976 - केंद्र सरकार का पानी बंटवारे का नोटिफिकेशन
- सतलुज, रावी और ब्यास नदी के पानी का बंटवारा होना था
- पंजाब ने इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
- 31 दिसंबर, 1981 - पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली
- मुद्दा राजनीतिक हुआ, अकाली दल ने फ़ैसले के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला
- 8 अप्रैल, 1982 - इंदिरा गांधी ने नहर की नींव रख दी
- पंजाब में आतंकवादियों ने भी इसे मुद्दा बनाया
- 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता
- 1990 तक 750 करोड़ रुपये की लागत से नहर का एक बड़ा हिस्सा तैयार
- 15 जनवरी, 2002 - पंजाब को नहर का बाकी हिस्सा बनाने का निर्देश
- 2004 में पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट 2004 पास
- पंजाब सरकार के फ़ैसले को यूपीए सरकार ने राष्ट्रपति की राय के लिए भेजा
- राष्ट्रपति ने ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के पास भेजा
- हरियाणा की पिछली हुड्डा सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई के लिए कहा
- इस मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है
- पंजाब कैबिनेट ने नहर पर खर्च हरियाणा का पैसा लौटाने का फ़ैसला किया
- जिन लोगों जमीन ली गई उन्हें जमीन लौटाने का फैसला

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com