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This Article is From Nov 04, 2022

पंजाब में पराली जलाए जाने का निरीक्षण करने अधिकारी पहुंचा तो किसानों ने बना लिया बंधक

किसानों ने पराली जलाने पर चालान न करने का लिखित आश्वासन देने की मांग की. उन्‍होंने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक पटवारी  को रिहा नहीं किया जाएगा. पराली जलाए जाने की सूचना मिलने के बाद इस पटवारी ने जिले का दौरा किया था.

पंजाब में पराली जलाए जाने का निरीक्षण करने अधिकारी पहुंचा तो किसानों ने बना लिया बंधक
प्रतीकात्‍मक फोटो
फरीदकोट:

पंजाब के फरीदकोट जिले के जीवन वाला गांव में पराली जलाए जाने का निरीक्षण करने निकले एक राजस्‍व अधिकारी (पटवारी) को किसानों ने करीब 24 घंटे से बंधक बनाकर रखा है. किसानों ने पराली जलाने पर चालान न करने का लिखित आश्वासन देने की मांग की. उन्‍होंने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक पटवारी  को रिहा नहीं किया जाएगा. पराली जलाए जाने की सूचना मिलने के बाद इस पटवारी ने जिले का दौरा किया था.

कुलनाब के तहसील और कोटकपुरा के एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर किसानों से बात करने की कोशिश की लेकिन वे किसानों को पटवारी को छोड़ने के लिए मनाने में नाकाम रहे. एक किसान ने कहा, "एसडीएम ने वादा किया था कि मशीनें उपलब्‍ध कराई जाएंगी लेकिन कुछ नहीं किया गया. हम पराली इसलिए जलाते हैं क्‍योंक कोई अन्‍य विकल्‍प नहीं है." फरीदकोट के तहसीलदार अनिल कुमार ने कहा, "हमारे नोडल अधिकारी ने पराली जलाने को लेकर रिपोर्ट दी थी. पटवारी यहां इसका पता लगाने के लिए आए थे लेकिन ग्रामीणों को इसकी जानकारी मिली तो उन्‍हें उसे बंधक बना लिया. हम किसानों से बात कर रहे हैं."

इससे पहले, पंजाब के बठिंडा जिले के किसानों ने पराली की समस्‍या का विकल्‍प तलाशने में भगवंत मान सरकार की नाकामी को लेकर असंतोष जताया था. उन्‍होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि यदि कोई अधिकारी उन्‍हें पराली जलाने से रोकने के लिए आएगा तो वे उसे बंधक बना लेंगे. बठिंडा के एक ग्रामीण ने कहा, "यदि कोई अधिकारी हमें पराली जलाने से रोकने के लिए आया तो हम उसे बंधक बना लेंगे. सरकार हम पर चाहे जितना भी जुर्माना लगा लगा दें लेकिन हम जुर्माना नहीं देंगे." गौरतलब है कि पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि किसान खुद भी पराली नहीं जलाना चाहते लेकिन धान और गेहूं की फसल में दस-बारह दिन का फर्क होता है. ऐसे में उनके पास सिर्फ जलाने का ऑप्शन होता है. हमने एक लाख से ज्यादा मशीनों की व्यवस्था की. एक ऐप के जरिए आसपास की मशीनें पता कर सकते हैं. पंचायतों को जागरूक किया. 124 गांवों ने पंचायत बुलाकर प्रस्ताव पास किया कि पराली नहीं जलाएंगे, लेकिन जल रही है तो हम जिम्मेदारी ले रहे हैं. 

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