विपक्ष प्लान बी के तहत मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर ही दांव लगा सकता है.(फाइल फोटो)
वैसे तो राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंच गया है लेकिन विपक्ष किसी भी हालत में महज सांकेतिक लड़ाई के मूड में नहीं है. विपक्ष की तरफ से पहले तो गोपालकृष्ण गांधी और मीरा कुमार के नाम पर चर्चा चली लेकिन अब माना जा रहा है कि विपक्ष प्लान बी के तहत मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर ही दांव लगा सकता है. इस संबंध में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संकेत देते हुए कहा भी है कि अगर केंद्र सरकार मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दूसरा कार्यकाल देने के प्रस्ताव को सामने लाती है तो विपक्ष उनके नाम पर समर्थन देने के लिए विचार कर सकता है.
माना जा रहा है कि नीतीश ने यह दांव बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के बीच सर्वसम्मत उम्मीदवार सामने लाने के लिए दबाव बनाने की दिशा में फेंका है. इस संबंध में पटना में सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने के विषय में पूछे जाने पर जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा, "इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है. यह तो केंद्र सरकार को सोचना है."
बड़ा सवाल
वैसे यह इतना आसान भी नहीं है क्योंकि सरकार ने अभी इस बारे में किसी प्रकार का कोई संकेत नहीं दिया है. वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन देने के बाद राष्ट्रपति चुनाव में बहुमत के करीब पहुंच चुकी बीजेपी ने अभी इस मसले पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. दूसरी बड़ी बात यह है कि ऐसा माना जा रहा है कि आम सहमति बनने की दशा में ही प्रणब मुखर्जी इसके लिए तैयार हो सकते हैं. वैसे राष्ट्रपति ने दूसरे कार्यकाल के बारे में अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कहा है.
माना जा रहा है कि नीतीश ने यह दांव बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के बीच सर्वसम्मत उम्मीदवार सामने लाने के लिए दबाव बनाने की दिशा में फेंका है. इस संबंध में पटना में सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने के विषय में पूछे जाने पर जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा, "इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है. यह तो केंद्र सरकार को सोचना है."
बड़ा सवाल
वैसे यह इतना आसान भी नहीं है क्योंकि सरकार ने अभी इस बारे में किसी प्रकार का कोई संकेत नहीं दिया है. वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन देने के बाद राष्ट्रपति चुनाव में बहुमत के करीब पहुंच चुकी बीजेपी ने अभी इस मसले पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. दूसरी बड़ी बात यह है कि ऐसा माना जा रहा है कि आम सहमति बनने की दशा में ही प्रणब मुखर्जी इसके लिए तैयार हो सकते हैं. वैसे राष्ट्रपति ने दूसरे कार्यकाल के बारे में अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कहा है.
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