प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
हिट एंड रन यानी टक्कर मार कर फरार होना। अगर सीसीटीवी कैमरे ना हों तो कई वारदातों की हकीकत शायद ही सामने आ पाए। ऐसे में पीड़ित को इंसाफ और मुजरिम को सज़ा की बात बेमानी है, लेकिन सरकार अब हिट एंड रन के ऐसे मामलों में सख़्त कानून लाने जा रही है। जिसके मुताबिक गृह और कानून मंत्रालय क्रिमिनल लॉ बिल 2015 ड्राफ्ट कर रही है।
इसके तहत इंडियन पीनल कोड में एक नया सेक्शन 304(A) (2) जोड़ा जाएगा और हिट एंड रन केस में कम से कम 2 साल और अधिकतम 7 साल की सजा होगी। नशे में गाड़ी चलाने के मामले में भी यही धाराएं लागू होंगी। फिलहाल ऐसे मामलों में अधिकतम दो साल की सजा होती है। साथ ही नई धाराएं गैरजमानती होंगी।
नए कानून के दायरे में लापरवाही से गाड़ी चलाने के दौरान किसी के जख्मी होने या मौत की हालत में फरार होने के मामले भी आएंगे। पर सवाल है कि सड़क पर जिंदगी सुरक्षित बनाने के लिए इतना ही काफी है। आए दिन सड़कों पर रेडलाइट जंप, रांग साइड ड्राइविंग या फिर दूसरे कानून तोड़ने की घटनाएं आम हैं। आंकड़ों के मुताबिक देश में 70 फीसदी हादसे चौराहे या फिर रेड लाइट जंप करने की फिराक में होते हैं।
नांगलोई की 66 साल की रमा देवी हादसे के बाद से आठ हफ्तों के लिए बिस्तर पर हैं। बाइकसवार ने पीछे से टक्कर मारी और भागने की कोशिश की, लेकिन बाद में पकड़ा गया और मामला भी दर्ज हुआ। रमा कहती हैं कि शायद मैं कभी बिस्तर से उठ भी ना पाउं क्योंकि मेरी हड्डी भी उम्र के साथ बूढ़ी हो गई हैं और डॉक्टरों को भी डर है कि शायद ही ये जुट पाए। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये भी है रोड सेफ्टी के लिए क्या सिर्फ कड़ा कानून ही काफी है या फिर बदलाव सोच में भी होनी चाहिए।
इसके तहत इंडियन पीनल कोड में एक नया सेक्शन 304(A) (2) जोड़ा जाएगा और हिट एंड रन केस में कम से कम 2 साल और अधिकतम 7 साल की सजा होगी। नशे में गाड़ी चलाने के मामले में भी यही धाराएं लागू होंगी। फिलहाल ऐसे मामलों में अधिकतम दो साल की सजा होती है। साथ ही नई धाराएं गैरजमानती होंगी।
नए कानून के दायरे में लापरवाही से गाड़ी चलाने के दौरान किसी के जख्मी होने या मौत की हालत में फरार होने के मामले भी आएंगे। पर सवाल है कि सड़क पर जिंदगी सुरक्षित बनाने के लिए इतना ही काफी है। आए दिन सड़कों पर रेडलाइट जंप, रांग साइड ड्राइविंग या फिर दूसरे कानून तोड़ने की घटनाएं आम हैं। आंकड़ों के मुताबिक देश में 70 फीसदी हादसे चौराहे या फिर रेड लाइट जंप करने की फिराक में होते हैं।
नांगलोई की 66 साल की रमा देवी हादसे के बाद से आठ हफ्तों के लिए बिस्तर पर हैं। बाइकसवार ने पीछे से टक्कर मारी और भागने की कोशिश की, लेकिन बाद में पकड़ा गया और मामला भी दर्ज हुआ। रमा कहती हैं कि शायद मैं कभी बिस्तर से उठ भी ना पाउं क्योंकि मेरी हड्डी भी उम्र के साथ बूढ़ी हो गई हैं और डॉक्टरों को भी डर है कि शायद ही ये जुट पाए। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये भी है रोड सेफ्टी के लिए क्या सिर्फ कड़ा कानून ही काफी है या फिर बदलाव सोच में भी होनी चाहिए।
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