कुंभ मेले में विश्व हिन्दू परिषद की धर्म संसद में संतों के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तो शिरकत की लेकिन अखाड़ा परिषद के बहिष्कार करने से धर्म संसद पर मतभेद साफ दिखा.
विश्व हिन्दू परिषद की धर्म संसद में संतों के साथ मंच पर आरएसएस के मोहन भागवत और बीजेपी के नेता केशव प्रसाद मौर्या भी नजर आए लेकिन मीडिया के कैमरों से बचते हुए. धर्म संसद में गुरुवार को सबरीमाला और सामाजिक समरसता पर चर्चा करके हिन्दू एकता की बात की गई. लेकिन धर्म संसद के माध्यम से वीएचपी की संतों को एक करने की कोशिश को अखाड़ा परिषद ने झटका दे दिया. अखाड़ा परिषद ने बैठक करके फैसला लिया कि वीएचपी की धर्म संसद का बहिष्कार किया जाए.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी कहते हैं कि हमने फैसला किया कि राम जन्मभूमि मुद्दे पर चूंकि वीएचपी राजनीतिक पार्टी से संबंध रखती है इसलिए हम नहीं जाएंगे. हम किसी पार्टी के पिछलग्गू नहीं हैं. हालांकि पर्दे के पीछे यूपी सरकार के मंत्री और नेताओं ने संतों को मनाने की कोशिश की. खुद मुख्यमंत्री कई बड़े-बड़े आश्रमों में गए. यूपी के मंत्रियों ने भी संतों को मनाने की कोशिश की. लेकिन जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतीद्रानंद गिरी जैसे संतों ने बीजेपी पर कुंभ मेले को हाईजैक करने का आरोप लगाया.
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जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी बताते हैं कि सभी संतों को ये लग रहा है कि बीजेपी और उनके संगठनों ने इस कुंभ मेले को पूरी तरह से हाईजैक कर लिया है. अभी तक किसी भी कुंभ का राजनीतिकरण नहीं हुआ था. नेता आते थे लेकिन संतों का आशीर्वाद लेकर चले जाते थे.
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धर्म संसद में गुरुवार को सबरीमाला और सामाजिक समरसता पर चर्चा की गई. शुक्रवार को चार घंटे राम जन्मभूमि पर चर्चा होगी. चुनाव नजदीक है लिहाजा राम मंदिर पर प्रस्ताव भी लाया जाएगा.
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