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This Article is From Jan 24, 2022

प्रशांत किशोर ने एनडीटीवी से कहा, बीजेपी की 2024 में हार संभव है लेकिन... 

प्रशांत किशोर ने कहा, बीजेपी को 2024 में हराना संभव है. लेकिन क्या विपक्ष की मौजूदा हालात के हिसाब से बीजेपी को हराना संभव है. संभवत: नहीं.... मैं ऐसे विपक्षी मोर्चे को बनाने में मदद करना चाहता हूं, जो 2024 में बीजेपी को मजबूत टक्कर दे सके. 

प्रशांत किशोर ने बीजेपी को हराने के लिए किसी भी विपक्षी दल को दूरगामी रणनीति की जरूरत होगी

नई दिल्ली:

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2024 के लोकसभा चुनाव की संभावनाओं को लेकर खुलकर अपनी राय दी है. प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी ने हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद और लोक जनकल्याणकारी नीतियों का मजबूत नैरेटिव तैयार किया है और विपक्षी दलों को कम से कम इनमें से दो मोर्चों पर बीजेपी को पछाड़ना होगा. उन्होंने कहा कि वो ऐसे विपक्षी मोर्चे को बनाने में मदद करना चाहते हैं, जो 2024 में बीजेपी को हरा सके. अगर अगले महीने के विधानसभा चुनाव -जिसे सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है, अगर उसके नतीजे प्रतिकूल भी आते हैं तो भी ऐसा किया जा सकता है.

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प्रशांत किशोर ने एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू में कहा, बीजेपी को 2024 के आम चुनाव में हराना संभव है. लेकिन क्या विपक्ष की मौजूदा हालात के हिसाब से बीजेपी को हराना संभव है. संभवत नहीं.... मैं ऐसे विपक्षी मोर्चे को बनाने में मदद करना चाहता हूं, जो 2024 में बीजेपी को मजबूत टक्कर दे सके. 

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने एक बार फिर उन 200 लोकसभा सीटों का जिक्र किया, जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है और जहां पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने इनमें से 95 सीटें जीती हैं, जो 190 सीटों में जाकर तब्दील होता है. 45 साल के प्रशांत किशोर खुद को राजनीतिक सलाहकार के तौर पर पेश किया जाना पसंद करते हैं. प्रशांत किशोर ने कहा, जो भी पार्टी या नेता बीजेपी को हराना चाहता है, उसे कम से कम 5-10 साल की रणनीति तैयार करनी होगी. ये 5 महीनों में नहीं हो सकता.

प्रशांत ने बताया कि पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद करीब पांच महीने चली बातचीत के बावजूद कांग्रेस के साथ उनकी साझेदारी की कवायद नाकाम रही. उन्होंने कहा, "दूसरों के लिए यह स्वाभाविक लगता है कि प्रशांत किशोर और कांग्रेस को साथ आकर काम करना चाहिए, लेकिन दोनों पक्षों को भरोसा जताते हुए एक कदम आगे बढ़ाना होगा. लेकिन कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं हो पाया."

किशोर ने कहा, मैं कांग्रेस की तारीफ करता हूं. जिस विचारधारा और राजनीतिक मौजूदगी की वो नुमाइंदगी करती है, उसके बिना एक प्रभावी विपक्ष संभव नहीं है. हालांकि इसका मतलब नहीं है कि ये मौजूदा नेतृत्व के तहत आज की कांग्रेस के जरिये होगा. बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस में व्यापक बदलाव जरूरी है.

तृणमूल कांग्रेस की मदद करने के अपने प्रयास का बचाव करते हुए (जिसे बहुत सारे लोगों द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी द्वारा मुख्य विपक्षी दल के तौर पर कांग्रेस की जगह लेने के प्रयास के तौर पर देखा गया) प्रशांत ने कहा कि ये प्रतिशोध नहीं है. उन्होंने कहा, "मेरा कद इतना छोटा है और इतनी बड़ी पार्टी से बदला लेने के बारे में मैं सोच भी कैसे सकता हूं. हमें एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है.

कांग्रेस को एक विचार के तौर पर कमजोर होते हुए नहीं देखा जा सकता. उसकी मजबूती लोकतंत्र के हित में है." जब कांग्रेस से बड़े पैमाने पर नेताओं के तृणमूल में जाने पर सवाल किया गया तो प्रशांत किशोर ने कहा, “बंगाल चुनाव के बाद पार्टी के विस्तार के लिए तृणमूल कांग्रेस और इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी ( I-PAC) के बीच एक सहमति बनी है. कुछ अवसरों पर जब उन्हें मेरी जरूरत होती है तो मैं उपलब्ध रहता हूं.”

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