
BJP-JDU गठबंधन के लिए पहली 'अग्निपरीक्षा' साबित होगा बिहार उपचुनाव
गौर करने की बात है कि विभिन्न चुनावों में भाजपा के अलावा बिहार में जदयू-राजद तथा पंजाब में कांग्रेस का सफलतापूर्वक अभियान चलाने वाले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर पिछले साल जुलाई से वाईएसआर कांग्रेस के साथ जुड़े थे. वाईएसआर अध्यक्ष तथा आंध्र प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक की, जिसमें प्रशांत किशोर मौजूद थे. वाईएसआर सासंद पी मिथुन रेड्डी ने बताया था कि हमने प्रशांत किशोर को सलाहकार के रूप में स्वीकार कर लिया है और उन्हें एक बैठक में पार्टी नेताओं से मिलवाया गया था.
बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने से लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के अलावा प्रशांत किशोर को भी नुकसान हुआ. राज्य में बीजेपी-जेडीयू की एनडीए सरकार बनते ही प्रशांत किशोर से कैबिनेट मंत्री का दर्जा छिन गया था.
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नीतीश के लिए प्रशांत ने बनाई थी रणनीति: 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने बीजेपी की जीत के लिए रणनीति तैयार की थी. हालांकि सरकार गठन के बाद उनका अमित शाह के साथ अच्छे संबंध नहीं रह गए थे. इसके बाद साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर से नीतीश कुमार ने संपर्क किया. लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद नीतीश कुमार अपनी खोई हुई राजनीतिक ताकत हासिल करने की जुगत में थे.
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40 वर्षीय प्रशांत किशोर की बनाई रणनीति का नीतीश कुमार को काफी फायदा हुआ. लालू यादव और कांग्रेस के साथ मिलकर नीतीश कुमार भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की. इस जीत के बाद प्रशांत किशोर कुर्ता-पायजामा पहने हुए नीतीश कुमार के साथ उनके आवास पर मीडिया से मुखातिब हुए थे.
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