अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया गया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जाने-माने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) से जुड़े अदालत की अवमानना मामले में बहस के बाद शीर्ष अदालत ने बीते गुरुवार अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 24 अगस्त तक प्रशांत भूषण चाहें तो बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर वह माफीनामा दाखिल करते हैं तो 25 अगस्त को इस पर विचार किया जाएगा. अगर वह माफीनामा दाखिल नहीं करते हैं तो अदालत सजा पर फैसला सुनाएगी. इस सुनवाई से एक हफ्ते पहले ही भूषण को उनके दो ट्वीट को लेकर कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया गया था. आज (सोमवार) अदालत द्वारा दी गई डेडलाइन का आखिरी दिन है.
सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन का आज आखिरी दिन, 10 बड़ी बातें
- इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया था.
- अटॉर्नी जनरल ने भी माना कि भूषण को उनके बयान पर फिर से सोचने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए. उन्होंने शीर्ष अदालत में बहुत काम किया है.
- कोर्ट की अवमानना के मामले में सजा पर सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा था कि वह हर तरह की सजा के लिए तैयार हैं. भूषण ने कहा कि उनके ट्वीट एक नागरिक के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे. यह अवमानना के दायरे से बाहर हैं.
- उन्होंने कहा, 'अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता. मैं किसी भी सजा को भोगने के लिए तैयार हूं जो अदालत देगी. माफी मांगना मेरी ओर से अदालत की अवमानना के समान होगा.'
- इस मामले में प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन (Rajeev Dhawan) ने कहा कि सजा देते समय सुप्रीम कोर्ट को प्रशांत भूषण के समूचे योगदान पर गौर करना चाहिए.
- धवन की इस टिप्पणी पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, 'मैंने अपने पूरे करियर में एक भी व्यक्ति को अदालत की अवमानना का दोषी नहीं ठहराया है. अगर आप अपनी टिप्पणियों को संतुलित नहीं करते हैं, तो आप संस्थान को नष्ट कर देंगे. हम इतनी आसानी से अवमानना की सजा नहीं देते हैं. संतुलन तो होना ही है, संयम तो होना ही है. हर चीज के लिए एक लक्ष्मण रेखा होती है. आपको रेखा क्यों पार करनी चाहिए.'
- राजीव धवन ने अदालत को यह भी बताया था कि उनके (प्रशांत भूषण) बयान को जस्टिस आरएम लोढ़ा, कुरियन जोसेफ और एपी शाह ने भी समर्थन दिया है. उन्होंने शीर्ष अदालत से सवाल किया, 'क्या वे सभी अब अवमानना कर रहे हैं.'
- प्रशांत भूषण के समर्थन में सोशल मीडिया पर तमाम हैशटैग चल चुके हैं. मशहूर कवि कुमार विश्वास ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया, 'कश्मीर सहित अनेक मुद्दों पर मेरे उनसे गंभीर मतभेद रहे हैं ! मैंने कई बार उनके सामने ही उनके पक्ष के विपरीत मत रखा और उन्होंने असहमत होते हुए भी हरबार सुना ! साथ काम करने से लेकर आज तक जितना मैं #PrashantBhushan को जानता हूँ,वो माफ़ी नहीं माँगेंगे! उन्हें पता है “नंद,मगध नहीं है”.'
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रशांत भूषण का पक्ष लेते हुए कहा था, 'कानून समान, संतुलित और निष्पक्ष होना चाहिए. पूर्व जजों ने भी इस मुद्दे को उठाया है. आलोचना लोकतंत्र और इसके मूल्यों की रक्षा के लिए बेहद जरूरी है.'
- बताते चलें कि अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा-12 के तहत तय की गई सजा के प्रावधान के मुताबिक, दोषी को 6 महीने की कैद या 2000 रुपये तक नकद जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है.