प्रतीकात्मक तस्वीर
कोलकाता:
क्या आप जानते हैं कि ज्यादातर लोगों को पसंद आने वाली मिठाई, यानी रसगुल्ला कितने साल का हो गया है? अगर नहीं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रसगुल्ले का आविष्कार हुए 150 साल हो गए हैं. जी हां, सही पढ़ा आपने. अब डाक विभाग सबसे पहले रसगुल्ला बनाने वाले पर विशेष कवर लाने जा रहा है. विभाग ने सर्वप्रथम रसगुल्ला बनाने वाले बंगाल के दिवंगत हलवाई नोबिन चन्द्र दास पर एक विशेष कवर लाने का फैसला किया है, उन्होंने 19वीं शताब्दी में रसगुल्ले का आविष्कार किया था. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकरी ने इसकी जानकारी दी. यह रसगुल्ले के आविष्कार का 150वां वर्ष है.
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विभाग ने यह फैसला ऐसे वक्त लिया है जब पिछले साल नवंबर में ही इस लोकप्रिय मिठाई के लिए पश्चिम बंगाल को भौगिलिक पहचान (जीआई) का टैग हासिल हुआ है. पश्चिम बंगाल सर्कल की मुख्य महाडाकपाल अरुंधति घोष ने बताया, ‘‘हम जल्द ही नोबिन चंद्र दास पर एक विशेष कवर लाने की योजना बना रहे हैं.’’
घोष ने बताया कि विभाग ने इस मामले में पुष्टिकरण के लिए जीआई पंजीकरण कार्यालय को एक पत्र लिखा है और इसकी पुष्टि हो जाने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा और विशेष कवर का डिजाइन जारी कर दिया जाएगा. नोबिन चंद्र दास के परपोते और मिठाई निर्माता कंपनी के सी दास प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक धीमन दास ने इस कदम का स्वागत किया है.
VIDEO: न नफा, न नुकसान, लड्डुओं की सौगात
(इनपुट भाषा से...)
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विभाग ने यह फैसला ऐसे वक्त लिया है जब पिछले साल नवंबर में ही इस लोकप्रिय मिठाई के लिए पश्चिम बंगाल को भौगिलिक पहचान (जीआई) का टैग हासिल हुआ है. पश्चिम बंगाल सर्कल की मुख्य महाडाकपाल अरुंधति घोष ने बताया, ‘‘हम जल्द ही नोबिन चंद्र दास पर एक विशेष कवर लाने की योजना बना रहे हैं.’’
घोष ने बताया कि विभाग ने इस मामले में पुष्टिकरण के लिए जीआई पंजीकरण कार्यालय को एक पत्र लिखा है और इसकी पुष्टि हो जाने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा और विशेष कवर का डिजाइन जारी कर दिया जाएगा. नोबिन चंद्र दास के परपोते और मिठाई निर्माता कंपनी के सी दास प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक धीमन दास ने इस कदम का स्वागत किया है.
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(इनपुट भाषा से...)
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