सेना में भर्ती के अग्निपथ योजना को लेकर अब एक अलग विवाद खड़ा हो गया है. इस नए विवाद के तहत विपक्ष का आरोप है कि आवेदकों से जाति प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं. बहरहाल, इस मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए केन्द्र सरकार ने कहा है कि सेना में जाति और धर्म के प्रमाण पत्र की अनिवार्यता पहले से ही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि सेना में भर्ती की व्यवस्था अभी भी वही है, जो आजादी से पहले से चली आ रही है.
लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति थम नहीं रही है. आज जनता दल (युनाइटेड) के वरिष्ठ नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने ट्वीट पर सरकार को इस पॉलिसी को बदलने के लिए कहा है. उन्होंने अपने ट्वीट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सवाले पूछा है कि क्यों नहीं इस प्रथा को अब समाप्त कर दिया जाए.
माननीय मंत्री जी,
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushJDU) July 20, 2022
सवाल यह नहीं है कि सेना में जाति-धर्म जानने की प्रथा की शुरुआत कब से हुई। सीधा-सा सवाल तो यह है कि आखिर इसका औचित्य व प्रसांगिकता है ही क्या ? अगर अप्रासंगिक परंपरागत कानूनों को समाप्त किया जा सकता है, तो परंपरा के नाम पर इसे बनाए रखने का कुतर्क ही क्यों ? pic.twitter.com/WWRmqKpGG6
इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव भी काफी मुखर नजर आ रहे हैं. उन्होंने इस मुद्दे को जातिगत जनगणना से जोड़ दिया है. उन्होंने कहा,”संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है.”
आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छँटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छँटनी करेगी।सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत? https://t.co/x8mpIwLcJC
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 19, 2022
‘आम आदमी पार्टी' के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी ट्वीट कर अपना विरोध दर्ज किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में सवाल उठाया कि क्या दलितों/ पिछड़ों/ आदिवासियों को सेना में भर्ती के काबिल नहीं माना जाता?”
मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 19, 2022
क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते?
भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है।
मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर” pic.twitter.com/fxgBre38Ft
इस मामले पर जब विवाद बढ़ने लगा तो सेना की तरफ से कहा गया है कि यह व्यवस्था पहले से चली आ रही है औऱ इसमें किसी तरह की तब्दीली नहीं की गई है.
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