बेंगलुरु में महानगर पालिका चुनाव के लिए प्रचार का एक दृश्य
बेंगलुरु:
बेंगलुरु में शनिवार को स्थानीय निकाय यानी महानगर पालिका के चुनाव के लिए मतदान होगा। चुनाव में असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण के लिए जहां एक तरफ परम्परागत पोलिसिंग का सहारा लिया जा रहा है, वहीं पुलिस और चुनाव आयोग तकनीक का भी भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।
राजस्थान और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव की तरह यहां भी टेबलेट पर आधारित रियल टाइम मोबाइल सरवलेंस तकनीक के जरिए चुनाव से जुड़े अधिकारी पोल बूथ पर नजर रखेंगे। पुलिस की सोशल मीडिया पर ख़ास नज़र रहेगी। इसके लिए कुछ ख़ास प्रशिक्षित लोगों को ड्यूटी पर लगाया गया है।
बेंगलुरु के 198 वार्डों के लिए 6759 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं जिनमें लगभग 73 लाख लोग मतदान करेंगे। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तक़रीबन 30 हजार सुरक्षाकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया है। इनमें केंद्रीय सुरक्षा बालों के जवानों के साथ-साथ होमगार्ड और राज्य की रिजर्व पुलिस फोर्स भी शामिल है।
निकायों का पिछला चुनाव येदियुरप्पा के शासनकाल में हुआ था। तब बीजेपी को महानगर पालिका में बहुमत मिला था। इस बार सरकार कांग्रेस की है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पार्टी की जीत के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं।
पहली बार इन चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम ने मुस्लिम दबदबे वाले 20 इलाक़ों में अपने उम्मीदवार उतार कर कांग्रेस और जेडी एस को चुनौती दी है। दूसरी ओर लोकसत्ता पार्टी से पढ़े लिखे प्रोफेशनल्स की फ़ौज चुनाव लड़ रही है जिनमें 6 आईटी इंजीनियरों के साथ-साथ डॉक्टर, शिक्षाविद् और आर्किटेक्ट शामिल हैं। चुनाव के नतीजे मंगलवार को आएंगे।
राजस्थान और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव की तरह यहां भी टेबलेट पर आधारित रियल टाइम मोबाइल सरवलेंस तकनीक के जरिए चुनाव से जुड़े अधिकारी पोल बूथ पर नजर रखेंगे। पुलिस की सोशल मीडिया पर ख़ास नज़र रहेगी। इसके लिए कुछ ख़ास प्रशिक्षित लोगों को ड्यूटी पर लगाया गया है।
बेंगलुरु के 198 वार्डों के लिए 6759 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं जिनमें लगभग 73 लाख लोग मतदान करेंगे। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तक़रीबन 30 हजार सुरक्षाकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया है। इनमें केंद्रीय सुरक्षा बालों के जवानों के साथ-साथ होमगार्ड और राज्य की रिजर्व पुलिस फोर्स भी शामिल है।
निकायों का पिछला चुनाव येदियुरप्पा के शासनकाल में हुआ था। तब बीजेपी को महानगर पालिका में बहुमत मिला था। इस बार सरकार कांग्रेस की है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पार्टी की जीत के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं।
पहली बार इन चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम ने मुस्लिम दबदबे वाले 20 इलाक़ों में अपने उम्मीदवार उतार कर कांग्रेस और जेडी एस को चुनौती दी है। दूसरी ओर लोकसत्ता पार्टी से पढ़े लिखे प्रोफेशनल्स की फ़ौज चुनाव लड़ रही है जिनमें 6 आईटी इंजीनियरों के साथ-साथ डॉक्टर, शिक्षाविद् और आर्किटेक्ट शामिल हैं। चुनाव के नतीजे मंगलवार को आएंगे।
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