एनडीटीवी से बातचीत करतीं सोनी सोरी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सोनी सोरी के एक रिश्तेदार ने आरोप लगाया कि बस्तर पुलिस उन पर हाल के हमले की जांच की आड़ में आप नेता के परिवार को धमकी दे रही है और उसका उत्पीड़न कर रही है। उसने इस मामले में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हस्तक्षेप की मांग की।
राजधानी दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में सोरी के भतीजे और कार्यकर्ता लिंगाराम कोडोपी ने पुलिस पर जोर जबर्दस्ती करने का आरोप लगाया। कोडोपी ने आरोप लगाया कि सोरी के रिश्तेदारों को मनमाने ढंग से उठाया जा रहा है और उन्हें यह बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है कि उन पर हमला दरअसल उन्होंने ही सहानुभूति बटोरने के लिए गढ़ा था।
कोडोपी ने दावा किया, 'जांच के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह उत्पीड़न है और पुलिस हमें फंसाने की कोशिश कर रही है। पुलिस हमें यह बयान देने के लिए बाध्य कर रही है कि उन पर हमला किसी निजी दुश्मनी का परिणाम था या फिर सहानुभूति बटोरने के लिए उनके द्वारा गढा गया क्रियाकलाप था।'
अपने पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की और उनसे मिलने का भी समय मांगा। पत्र में कहा गया है, 'इस मामले की जांच कर रहा विशेष जांच दल मुझे और सोनी सोरी के अन्य रिश्तेदारों का उत्पीड़न कर रहा है और धमकी दे रहा है।'
लोकप्रिय जनजाति अधिकारवादी कार्यकर्ता 44 साल सोरी पर पिछले महीने कुछ युवकों ने तेजाब जैसा कोई पदार्थ फेंका था। उनका पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में जगदलपुर के एक अस्पताल में इलाज चला और फिर उन्हें दिल्ली लाया गया। वह इसी महीने की शुरुआत में अपने मूल स्थान पर लौट गई।
कोडोपी (29) ने आरोप लगाया कि इस पूरे अभियान की अगुवाई कर रहे एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने एक मामले में उन्हें पहले फंसाया था। उन्होंने दावा किया, 'पुलिस सोरी के पिता और दो अन्य रिश्तेदारों को ले गई और उसने उनका उत्पीड़न किया। जब मैंने पुलिस नियंत्रण कक्ष फोन किया तब एक अधिकारी, जिसने अपना नाम नहीं बताया, ने ऑपरेटर से फोन छीन लिया और वह मुझे गालियां देने लगा। उसने मुझसे तत्काल पुलिस नियंत्रण कक्ष आने को कहा।' इन आरोपों का राष्ट्रपति को भेजे पत्र में भी जिक्र किया गया है।
सोरी और कोडोपी की वकील वृंदा ग्रोवर ने सोरी पर हमले की जांच के लिए एसआईटी गठन के पीछे की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, 'एसआईटी का गठन उन पर हमले के तत्काल बाद नहीं किया गया है, बल्कि जब वह दिल्ली पहुंच गईं तथा यहां यह मामला राष्ट्रीय मीडिया और कार्यकर्ताओं ने उठाया तब गठन किया गया।' उन्होंने कहा कि यहां तक कि एनएचआरसी भी एसआईटी जांच जारी रहने का हवाला देकर इस मामले में बयान दर्ज करने को अनिच्छुक था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
राजधानी दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में सोरी के भतीजे और कार्यकर्ता लिंगाराम कोडोपी ने पुलिस पर जोर जबर्दस्ती करने का आरोप लगाया। कोडोपी ने आरोप लगाया कि सोरी के रिश्तेदारों को मनमाने ढंग से उठाया जा रहा है और उन्हें यह बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है कि उन पर हमला दरअसल उन्होंने ही सहानुभूति बटोरने के लिए गढ़ा था।
कोडोपी ने दावा किया, 'जांच के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह उत्पीड़न है और पुलिस हमें फंसाने की कोशिश कर रही है। पुलिस हमें यह बयान देने के लिए बाध्य कर रही है कि उन पर हमला किसी निजी दुश्मनी का परिणाम था या फिर सहानुभूति बटोरने के लिए उनके द्वारा गढा गया क्रियाकलाप था।'
अपने पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की और उनसे मिलने का भी समय मांगा। पत्र में कहा गया है, 'इस मामले की जांच कर रहा विशेष जांच दल मुझे और सोनी सोरी के अन्य रिश्तेदारों का उत्पीड़न कर रहा है और धमकी दे रहा है।'
लोकप्रिय जनजाति अधिकारवादी कार्यकर्ता 44 साल सोरी पर पिछले महीने कुछ युवकों ने तेजाब जैसा कोई पदार्थ फेंका था। उनका पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में जगदलपुर के एक अस्पताल में इलाज चला और फिर उन्हें दिल्ली लाया गया। वह इसी महीने की शुरुआत में अपने मूल स्थान पर लौट गई।
कोडोपी (29) ने आरोप लगाया कि इस पूरे अभियान की अगुवाई कर रहे एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने एक मामले में उन्हें पहले फंसाया था। उन्होंने दावा किया, 'पुलिस सोरी के पिता और दो अन्य रिश्तेदारों को ले गई और उसने उनका उत्पीड़न किया। जब मैंने पुलिस नियंत्रण कक्ष फोन किया तब एक अधिकारी, जिसने अपना नाम नहीं बताया, ने ऑपरेटर से फोन छीन लिया और वह मुझे गालियां देने लगा। उसने मुझसे तत्काल पुलिस नियंत्रण कक्ष आने को कहा।' इन आरोपों का राष्ट्रपति को भेजे पत्र में भी जिक्र किया गया है।
सोरी और कोडोपी की वकील वृंदा ग्रोवर ने सोरी पर हमले की जांच के लिए एसआईटी गठन के पीछे की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, 'एसआईटी का गठन उन पर हमले के तत्काल बाद नहीं किया गया है, बल्कि जब वह दिल्ली पहुंच गईं तथा यहां यह मामला राष्ट्रीय मीडिया और कार्यकर्ताओं ने उठाया तब गठन किया गया।' उन्होंने कहा कि यहां तक कि एनएचआरसी भी एसआईटी जांच जारी रहने का हवाला देकर इस मामले में बयान दर्ज करने को अनिच्छुक था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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