Coronavirus Outbreak: पंजाब के जालंधर शहर में पुलिस ने उन 60 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है जो कोविड-19 पॉजिटिव एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में कथित तौर पर बाधा डालने की कोशिश कर रहे थे. सूत्रों ने बताया कि बीमारी के और फैलने की आशंका के कारण उन्होंने ऐसा किया था. पंजाब राज्य में इस तरह की ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं और इस मिथक को दूर करने के लिए राज्य के दो मंत्रियों ने गुरुवार को अंतिम संस्कार ने हिस्सा लिया था. इस मरीज को बुधवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था, बाद में सिविल अस्पताल में उसका निधन हो गया था.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, स्थानीय लोगों ने इस मरीज के अंतिम संस्कार को रोकने की कोशिश की और दो घंटे से अधिक समय तक चले हंगामे, बहस और आश्वासन के बाद ऐसा होने दिया. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में खौफ के चलते लोगों ने कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रभावित अपने रिश्तेदारों के शव को लेने से भी इनकार किया है, उन्हें भय है कि ऐसा करने से वे भी संक्रमण से प्रभावित हो सकते हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले लुधियाना में 69 वर्षीय महिला के रिश्तेदारों ने शव लेने से इनकार कर दिया था जिसके बाद जिला प्रशासन ने अंतिम संस्कार की औपचारिकता पूरी की थी. ऐसी ही एक घटना अमृतसर में सामने आई थी जब अमृतसर के वेरका गांव में ग्रामीण के र्एक समूह ने पदमश्री अवार्डी निर्मल सिंह खालसा के अंतिम संस्कार को रोकने की कोशिश की थी. इस मिथक को दूर करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह संधू और शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी गांव पहुंचे थे और एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया था. इस शख्स की राज्य के प्रमुख पीजीआई अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. फेसबुक पर अपने संदेश और पोस्ट किए गए वीडियो में स्वास्थ्य मंत्री संधू ने स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के अंतिम संस्कार से कोई खतरा नही हैं और इससे इनफेक्शन नहीं फैलता.
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