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पुलिस का आरोप, रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनलों ने टीआरपी से की हेरफेर, मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें...

रिपब्लिक टीवी और दो अन्य टेलीविज़न चैनलों पर उच्च विज्ञापन दरों को प्राप्त करने के लिए रेटिंग्स की हेरफेर करने का आरोप मुंबई पुलिस ने लगाया है.

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मुंबई पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

रिपब्लिक टीवी और दो अन्य टेलीविज़न चैनलों पर उच्च विज्ञापन दरों को प्राप्त करने के लिए रेटिंग्स की हेरफेर करने का आरोप मुंबई पुलिस ने लगाया है. मुंबई पुलिस ने गुरुवार को घोषणा की कि चैनलों के एक वर्ग द्वारा रेटिंग के लिए जिन घरों की निगरानी की जा रही है, उन घरों को चैनल देखे जाने के लिए रिश्वत दी गई. पुलिस ने कहा कि दो टेलीविजन चैनलों के मालिकों को गिरफ्तार किया गया है. रिपब्लिक टीवी ने कहा कि उन्हें सुशांत राजपूत मामले की अपनी कवरेज के लिए निशाना बनाया जा रहा है जहां उन्होंने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए. चैनल ने यह भी कहा कि वे पुलिस पर मानहानि का मुकदमा करेंगे.

  1. आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी का मामला दर्ज करते हुए मुंबई पुलिस ने दो टीवी चैनलों के मालिक - फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा को गिरफ्तार कर लिया गया है. साथ ही रिपब्लिक टीवी के निदेशकों और प्रमोटरों की टीवी रेटिंग की धोखाधड़ी के लिए जांच की जा रही है.
  2. मुंबई पुलिस ने बताया कि रिपब्लिक टीवी के अधिकारी - जो समाचार चैनलों के बीच सबसे ज्यादा टीआरपी या टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स का दावा करते हैं - को एक या दो दिन में समन किया जाएगा. अधिक जांच की जाएगी और जांच में चैनल की आय, बैंक विवरण और विज्ञापन राजस्व सहित सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा.
  3. रिपब्लिक टीवी ने कहा कि मुंबई पुलिस कमिश्नर ने झूठे आरोप लगाए हैं "क्योंकि हमने सुशांत सिंह राजपूत मामले में उनसे पूछताछ की है." चैनल के प्रमुख अर्नब गोस्वामी ने इसे एक हताशा से भरी तरकीब बताते हुए कहा, "उन्हें (मुंबई पुलिस कमिश्नर को) सार्वजनिक माफी जारी करनी चाहिए या अदालत में हमारा सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए."
  4. मुंबई पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह ने कहा कि न्यूज ट्रेंड की हेरफेर के एक बड़े विश्लेषण के दौरान रेटिंग्स में गड़बड़ी पाई गई और पाया गया कि एक "झूठा नैरेटिव" सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच के बारे में फैलाया गया. पुलिस कमिश्नर ने कहा कि ये जानकारी केंद्र सरकार के साथ साझा की गई है.
  5. मुंबई पुलिस की एफआईआर में इंडिया टुडे का भी नाम है, लेकिन कमिश्नर परम बीर सिंह ने एनडीटीवी से कहा, "एफआईआर में, इंडिया टुडे को एक गवाह द्वारा नामित किया गया था. लेकिन जैसा कि बाद में हुई जांच में न तो BARC ने, न गवाहों ने, और न ही आरोपी ने इंडिया टुडे का नाम लिया. सब ने" रिपब्लिक टीवी और दो अन्य मराठी चैनलों के नाम लिए.'' पुलिस कमिश्नर ने कहा कि हम रिपब्लिक टीवी, मराठी चैनलों के खिलाफ आगे कार्रवाई कर रहे हैं. "
  6. पुलिस ने कहा कि कई घरों को रिश्वत देकर शामिल किया गया था. एजेंसियों इन घरों पर निगरानी रखती थीं. बाद में रेटिंग जारी किया करतीं थीं. मुंबई में 20,000 घरों की निगरानी की जाती रही. कई घरों में, विशिष्ट चैनलों को चालू रखने के लिए लोगों को 400 से 500 रुपये प्रति माह दिए जाते थे, भले ही वे इसे देखते न हों.
  7. ये स्पष्ट तब हुआ जब यह बात सामने आई कि कैसे गैर-अंग्रेजी बोलने वाले गरीब परिवार अंग्रेजी समाचार चैनल देख रहे थे. रेटिंग मीटर लगाने वाली एजेंसी हंसा द्वारा शिकायत के बाद जांच की गई.
  8. जांच में पता चला कि हंसा के पूर्व कर्मचारियों ने गोपनीय डेटा को तीन चैनलों की जांच के साथ साझा किया. हंसा के डेटा का उपयोग BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) द्वारा किया जाता है, जो देश भर के चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग अंक जारी करता है.
  9. रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी ने कहा कि "एक भी BARC रिपोर्ट नहीं है जिसमें रिपब्लिक टीवी का उल्लेख किया गया है." उन्होंने कहा, "भारत के लोग सच्चाई जानते हैं. BARC ने किसी भी शिकायत में रिपब्लिक का उल्लेख नहीं किया है."
  10. टेलीविजन उद्योग में रेटिंग की हेरफेर लंबे समय से चल रही है. केंद्रीय मंत्रियों ने इस पर टिप्पणी की और हाल ही में, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सुदर्शन टीवी के "यूपीएससी जिहाद" शो से जुड़े मामले में इसका उल्लेख किया. एक जज ने कहा था, "इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ समस्या टीआरपी के बारे में है, जिससे लोगों की प्रतिष्ठा को नुकसान होता है."

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