"गरीब महिलाओं, गरीब बच्चों में कुपोषण और जरूरी पौष्टिक पदार्थो की कमी, उनके विकास में बड़ी बाधा बनती है. इसे देखते हुए ये तय किया गया है कि सरकार अपनी अलग-अलग योजनाओं के तहत जो चावल गरीबों को देती है, उसे बेहतर करेगी. गरीबों को पोषण युक्त चावल देगी. राशन की दुकान पर मिलने वाला चावल हो, मिड-डे मील में बालकों को मिलने वाला चावल हो, वर्ष 2024 तक हर योजना के माध्यम से मिलने वाला चावल अधिक अच्छा कर दिया जाएगा."देश में बढ़ते कुपोषण और गरीबी को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर यह अहम ऐलान किया.
अब अगले साल एक अप्रैल तक सरकार 250 सबसे पिछड़े ज़िलों में विटामिन-मिनिरल से लैस चावल देना शुरू करेगी. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक देश में हर तीसरा बच्चा ठिगना है. हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है. हर दूसरी महिला एनीमिक है. 65% भारतीय नागरिकों के लिए चावल स्टेपल फ़ूड है. इन तक फोर्टीफ़ाइड चावल के ज़रिए माइक्रो न्यूट्रिएंट्स पहुंचाना आसान होगा.
प्रधानमंत्री के ऐलान पर सुप्रीम कोर्ट के फूड कमिश्नर रहे एनसी सक्सेना ने एनडीटीवी से कहा- करोड़ों बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए नए मोर्चों पर पहल की ज़रूरत होगी. एनसी सक्सेना ने कहा, " कुपोषण की समस्या सबसे ज्यादा 0 से 3 साल तक के बच्चों में होती है. उनको हम चावल नहीं देते...उनके खाने में जब तक हम माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ना बढ़ाएं, इस समस्या से निपटने में मदद नहीं मिलेगी.. चावल को फोर्टिफाई करने से उसका टेस्ट बदल सकता है. अगर उसका टेस्ट बदल गया तो संभव है कि गरीब परिवार उसे अस्वीकार कर दें. ऐसे में गरीब परिवारों में गरीबी बढ़ जाएगी क्योंकि उन्हें बाजार से अधिक दाम पर चावल खरीदना पड़ेगा."
एनसी सक्सेना मानते हैं कि गरीब परिवारों को यह समझाना जरूरी होगा कि फोर्टीफाइड चावल उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. साथ ही, जिन 6 राज्यों में इस योजना के तहत पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं उनके नतीजों की गंभीरता से समीक्षा कर ज़मीन पर आ रही चुनौतियों को दूर करने की पहल भी करनी होगी.
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