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PM Modi@75: नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था ने कैसे भरी रफ्तार, किस सेक्टर में किया है कमाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने 75 साल के हो जाएंगे. आइए इस अवसर पर जानते हैं कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को कैसा आकार दिया है.

PM Modi@75: नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था ने कैसे भरी रफ्तार, किस सेक्टर में किया है कमाल
  • मोदी सरकार में भारत की जीडीपी विकास दर 7 % से ऊपर पहुंची और भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना.
  • मोदी सरकार ने महंगाई दर को नियंत्रित किया. अगस्त 2025 में खुदरा महंगाई दर 3.65 प्रतिशत दर्ज हुई.
  • वस्तु एवं सेवा कर लागू कर देश के टैक्स सिस्टम को सरल और पारदर्शी बनाया गया, जिससे कर संग्रह में वृद्धि हुई.
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नई दिल्ली:

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में आए तमाम सुधारों में आर्थिक सुधारों का हिस्सा प्रमुख है. इसी का परिणाम है कि ऐसे समय में जब दुनिया असमानता और अनिश्चितता से जूझ रही है, वैसे समय में भारत ने लगातार आर्थिक विकास किया है. पीएम मोदी ने जब 2014 में सत्ता संभाली थी तो भारत के जीडीपी की विकास दर 6-7 फीसदी के आसपास थी. लेकिन मोदी सरकार में उठाए गए कदमों का असर था कि भारत अर्थव्यवस्था में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनते हुए 2015-16 में 7.4 फीसदी की विकास दर दर्ज की गई. साल 2014 में भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी.  यह 2025 में जापान को पछाड़ कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है. पीएम मोदी चाहते हैं कि विकास हर भारतीय तक पहुंचना चाहिए, खासकर उन लोगों तक जो अबतक विकास से वंचित रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' का नारा दिया गया था. मोदी सरकार इसी नारे को जमीन पर उतारने का प्रयास कर रही है. 

महंगाई पर लगाई लगाम

साल 2013 में भारत की खुदरा महंगाई दर 10.02 फीसदी थी. इससे गरीब महंगाई की मार में पिस रहे थे. सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिशें शुरू कीं. यह मेहनत रंग लाई है, पिछले 11 सालों में तमाम तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं. इस साल अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी दर्ज की गई थी. पीएम मोदी ने आर्थिक स्थिरता बनाए रखते हुए कई संकटों से अर्थव्यवस्था को निकाला. इस दौरान गरीबी में भी ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है. साल 2011-12 में 53.6 फीसदी लोग उच्च गरीबी रेखा के नीचे थे, जो 2022-23 में घटकर 16.4 फीसदी ही रह गए. वहीं अत्यधिक गरीबी 12.2 फीसदी से घटकर 2.2 फीसदी हो गई. गरीबी में आया यह बदलाव कल्याण योजनाओं, ग्रामीण विकास और रोजगार पैदा करने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का परिणाम है. 

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दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत

साल 2016 में नोटबंदी और 2017 में जीएसटी लागू होने से अर्थव्यवस्था कुछ समय के लिए सुस्त हुई. इससे 2019-20 में जीडीपी विकास दर 3.1 फीसदी तक गिर गई. इसके अलावा कोविड-19 महामारी ने भी 2020-21 में अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, लेकिन इसके बाद 2022-23 में भारत की जीडीपी विकास दर 7.6 फीसदी तक देखी गई. 2014 की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था. लेकिन 2025 में यह जापान को पछाड़ कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. पीएम मोदी ने 2025 तक भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अब यह लक्ष्य 2029 तक ही हासिल किया जा सकता है.

जीएसटी ने कर प्रणाली को बनाया आसान

मोदी सरकार ने एक जुलाई 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया था. इसने पूरे देश को एक समान टैक्स के दायरे में ला दिया था. इससे टैक्स चोरी पर अंकुश लगा और सरकार की आय बढ़ी. साथ ही व्यापार करने में आसानी हुई क्योंकि अलग-अलग राज्यों के अलग टैक्स सिस्टम खत्म हो गए. जीएसटी सबसे बड़े टैक्स सुधारों में से एक है. इसने अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और सुगम बनाया है. चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही के पहले महीने अप्रैल में जीएसटी संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपये था. यह अब तक के इतिहास का सबसे बड़ा कर संग्रह था. लेकिन यह जो मई में घटकर 2.01 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह जुलाई में और गिरकर 1.96 लाख करोड़ रुपये हो गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50 फीसदी के टैरिफ का मुकाबला करने के लिए सरकार ने  बीते हफ्ते जीएसटी में बदलाव किया. इस सुधार का भी असर इस महीने से दिखाई देने लगेगा. इससे महंगाई दर और कम होने का अनुमान है. इस कदम को भी मोदी सरकार का क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है.  

विरासत के संरक्षण से जुड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार

नरेंद्र मोदी की सरकार में विरासत के संरक्षण और विकास की दिशा में बड़े कदम उठाए गए. इसका एक बड़ा उदाहरण है पीएम के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में विकसित किया गया काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर. यह विरासत को विकास को जोड़ने का शानदार उदाहरण है. काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर केवल एक सौंदर्यीकरण परियोजना नहीं है, बल्कि इससे आस्था के साथ आर्थिक विकास को भी बल मिला. इससे वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में बड़ा उछाल आया. इसका असर शहर की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा. इस कॉरिडोर का लाभ काशी के मल्लाहों, पुजारियों, होटल मालिकों, दुकानदारों, रिक्शा चालकों, ऑटो चालकों और कारीगरों को मिला. इसके अलावा बनारसी साड़ी, मीनाकारी और हस्तशिल्प के अन्य उत्पादों की बिक्री में भी इसका असर दर्ज किया गया. कुछ इसी तरह का असर महाकाल की नगरी के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी देखने को मिला. वहां भी सरकार की पहल पर महाकाल कॉरीडोर बनाया गया. इसने शहर के विकास को एक नई धार दी है. 

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हवाई चप्पल वाला हवाई जहाज में

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत में हवाई यातायात में बड़े बदलाव आए. मोदी सरकार ने 2016 में उड़ान योजना शुरू की, इसका मकसद था कि हवाई यात्रा को सस्ता और सुलभ बनाया जाए, जिससे 'हवाई चप्पल' पहनने वाला व्यक्ति भी 'हवाई जहाज' में यात्रा कर सके. साल 2017 में पहली उड़ान के बाद से, 625 रूट्स शुरू हो चुके हैं, जो 90 हवाई अड्डों को जोड़ते हैं. इसमें दूरदराज के इलाकों के लिए 15 हेलीपोर्ट और दो वाटर एयरोड्रोम भी शामिल हैं. अब तक 1.49 करोड़ से ज्यादा यात्रियों ने इस योजना का फायदा उठाया है. सरकार ने इसके लिए 4,023 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है. 

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गांवों में सड़कों का जाल

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने ग्रामीण इलाकों में सड़कों का जाल बिछा है. इसका असर खेती-बाड़ी में भी देखने को मिला है. अनुमान है कि इससे पैदावार में 8-10 फीसदी बढ़ोतरी हुई है तो परिवहन लागत में 12-15 फीसदी की कमी आई है. इन सड़कों की वजह से स्कूल में होने वाले दाखिले में 15 फीसदी और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच 23 फीसदी तक बढ़ी है. मोदी सरकार में शुरू किए गए 'मेक इन इंडिया' ने उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया है. इससे भारत में विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों में निवेश बढ़ा है. लेकिन चिंता वाली जो बड़ी बात है, वह यह है कि मोदी सरकार दो करोड़ नौकरी देने का वादा करके सत्ता में आई थी, सरकार इस मोर्चे पर पिछड़ गई है. सरकार करीब 45 लाख नौकरियां ही पैदा कर पाई है. इसलिए सरकार को इस दिशा में अभी और काम करने की जरूरत है.

कालाधन और भ्रष्टाचार पर प्रहार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. इसका मुख्य उद्देश्य काला धन, नकली नोट और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना था. इससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला. इसने UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) को जन्म दिया. इसने भारत को दुनिया का सबसे तेज और सबसे बड़ा रियल-टाइम डिजिटल भुगतान तंत्र बना दिया. आज रिक्शा चालक से लेकर बड़े-बड़े शोरूम तक यूपीआई से भुगतान को स्वीकार करते हैं. इस एक फैसले की वजह से देश कैशलेस इकोनॉमी की दिशा में आगे बढ़ रहा है. इसे ऐसे समझ सकते हैं, देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के मुताबिक अगस्त में यूपीआई ट्रांजेक्शन की डेली एवरेज वैल्यू 90,446 करोड़ रुपये हो गई थी. यह जनवरी 2025 में 75,743 करोड़ रुपये थी. जुलाई में यूपीआई से 80,919 करोड़ का लेन-देन हुआ था. वहीं इससे होने वाले ट्रांजैक्शन का वॉल्यूम भी तेजी से बढ़ा है. इस साल जनवरी में रोजाना औसतन 54.8 करोड़ ट्रांजैक्शन होते थे. यह अगस्त में बढ़कर करीब 67.5 करोड़ हो गए हैं.

बुनियादी ढांचा विकास में किया कमाल 

नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी बढ़त देखी गई है. सत्ता संभालने के बाद मोदी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया. इसका परिणाम यह हुआ कि 2014 में राजमार्गों का निर्माण 4,000 किलोमीटर हर साल की दर से हो रहा था, यह 2025 में बढ़कर करीब 12,000 किलोमीटर साल हो गया. इसन देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी.

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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता भारत 

भारत 2014 में भारत अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रक्षा आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर था. मोदी सरकार ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर ध्यान दिया है. 'मेक इन इंडिया' के तहत स्वदेशी रक्षा उपकरणों का निर्माण शुरू किया. इससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम हुई. इसका परिणाम यह हुआ कि भारत का रक्षा निर्यात जो 2014 में करीब 2,000 करोड़ रुपये था, 2025 तक 20,000 करोड़ रुपये को पार करने का अनुमान है. भारत तेजस लड़ाकू विमान, ब्रह्मोस मिसाइल और पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे स्वदेशी उत्पाद अब इंडोनेशिया, फिलीपींस और आर्मेनिया जैसे देशों को निर्यात करने जा रहा है. मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों ने भारत की सैन्य ताकत और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया है. इसका प्रदर्शन इस साल मई में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने नजर आया. मोदी सरकार ने रक्षा बजट में बढोतरी की है. सेना के आधुनिकीकरण के लिए आधुनिक हथियारों और तकनीक पर ध्यान दिया गया है. सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान, अपाचे हेलिकॉप्टर, और स्वदेशी तेजस विमान पर ध्यान दिया है. 

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