प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुरुवार को कहा कि भारत ने इस वर्ष 100 से अधिक देशों को कोविड-19 (Covid 19 Vaccine) रोधी टीकों की 6.5 करोड़ खुराक का निर्यात किया और आने वाले दिनों में वह अपनी क्षमता में वृद्धि करने के बाद और भी खुराक निर्यात करेगा. दवा क्षेत्र के प्रथम वैश्विक नवाचार शिखर सम्मेलन (First Global Innovation Summit) को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दावा किया कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने जो वैश्विक भरोसा हासिल किया है उसकी वजह से आज देश को ‘दुनिया की फार्मेसी' कहा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत की दृष्टि नवोन्मेष के लिए एक ऐसा माहौल विकसित करने पर है, जिससे देश, दवाओं की खोज और चिकित्सकीय उपकरणों के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करे. हमारी नीतियां सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के आधार पर बन रही हैं.
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प्रधानमंत्री ने भारत को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता वाले वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी की व्यापक उपलब्धता का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘खोज करने और भारत में निर्माण करने'' की क्षमता का और भी उपयोग किया जाना चाहिए. आज करीब 13 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष तथा 30 लाख लोगों को रोजगार देने वाला फार्मा क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में वर्ष 2014 से 12 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी निवेश आया है. क्षेत्र की क्षमता इससे कहीं अधिक है.'' उन्होंने इस क्षेत्र के निवेशकों से भारत में निवेश करने का आग्रह भी किया.
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान जीवनशैली, दवा, चिकित्सा प्रौद्योगिकी तथा स्वास्थ्य सेवा के हर पहलू की तरफ वैश्विक ध्यान दिया गया है. इस चुनौती के साथ भारतीय फार्मा उद्योग भी आगे बढ़ा है. भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक विश्वास से भारत को हाल के दिनों में ‘‘दुनिया की फार्मेसी' कहा जा रहा है. महामारी की शरुआत के दौरान हमने 150 से अधिक देशों में जीवनरक्षक दवाएं और चिकित्सा उपकरण भेजें. हमने इस वर्ष लगभग 100 देशों को कोविड रोधी टीकों की 6.5 करोड़ से अधिक खुराक का निर्यात भी किया है.
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इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के दवा उद्योग में नवाचार के उत्कृष्ट परिवेश या माहौल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्राथमिकताओं पर चर्चा करना और रणनीति बनाने के लिए सरकार एवं उद्योग जगत के प्रमुख भारतीय व अंतरराष्ट्रीय हितधारकों, शिक्षाविदों, निवेशकों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाना है. इस दो दिन के शिखर सम्मेलन के दौरान 12 सत्र होंगे और 40 से भी अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वक्ता नियामकीय माहौल, नवाचार के वित्तपोषण या धनराशि की व्यवस्था करने, उद्योग-अकादमिक सहयोग और नवाचार संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं सहित कई विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे.
इस शिखर सम्मेलन में देश-विदेश के फार्मा या दवा उद्योगों के प्रमुख सदस्य, अधिकारी और निवेशकों के अलावा मैसाच्यूसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जॉन हॉपकिन्स इंस्टिट्यूट, आईआईएम-अहमदाबाद एवं अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के शोधकर्ता भाग ले रहे हैं. केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
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