वन रैंक वन पेंशन के लिए प्रदर्शन करते पूर्व सैनिक
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिनकी सरकार वन रैंक वन पेंशन को लेकर लगातार तीनों सैन्य बलों के निशाने पर है वो जल्द ही तीनों सेनाओं और उनके पराक्रम पर लिखी किताबों की एक श्रृंखला का लोकार्पण करने जा रहे हैं।
आने वाले चार सितंबर को पीएम मोदी वीरता का सर्वोच्च पुरस्कार यानि परमवीर चक्र पाने वाले सैन्यकर्मियों के जीवन और उनकी वीरता पर आधारित किताब 'वीर गाथा' का विमोचन करने वाले हैं। ये किताब काफी हद तक कॉमिक बुक्स की तरह होंगी जिसमें स्केच का भी इस्तेमाल किया जाएगा। किताब का मकसद युवा पाठकों को आकर्षित करना होगा और इसमें आसान भाषा का प्रयोग किया जाएगा।
बीजेपी नेता मुख़्तार अब्बास नक़वी ने एनडीटीवी को बताया कि, 'इस किताब के ज़रिए अगली पीढ़ी हमारे सैनिकों की वीरता और बलिदान के बारे में जानेगी।'
इस श्रृंखला की पहली किताब मानव संसाधन और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त कोशिश के तहत लाया जा रहा है। इस किताब में देश के 21 परम वीर चक्र विजेताओं में से छह विजेताओं की कहानी शामिल की जाएगी।
सरकार ने नेशनल बुक ट्रस्ट से इस किताब को कई भारतीय भाषाओं में छापने को कहा है ताकि इसे देश के हर कोने में पढ़ा जा सके।
वन रैंक वन पेंशन के लिए लड़ रहे सेना के वरिष्ठ सदस्यों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। रिटायर्ड एयरफोर्स अफसर विंग कमांडर विनोद नेप ने एनडीटीवी से कहा, 'ये एक बहुत अच्छा कदम है। ये किताब ज़रुर छपना चाहिए ताकि देशवासियों को ये पता चले कि इस देश की सेना ने देश के लिए क्या किया है, उन्हें भारत के विकास के उस इतिहास का भी पता चलेगा जो अब तक छुपा हुआ था।'
पूर्व सैनिक लंबे समय से सरकार से वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे हैं। हाल ही में 15 अगस्त के मौके पर जंतर-मंतर पर किया जा रहा पूर्व सैनिकों का प्रदर्शन तब और बढ़ गया था जब पीएम मोदी ने लाल किले से इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया था।
पूर्व सैनिकों की मांग है कि उन्हें भी वही पेंशन दिया जाए जो उनके रैंक के अफसरों को इस समय रिटायरमेंट के वक्त़ दिया जाता है। इस समय जो अफसर सालों पहले रिटायर हो चुके हैं उन्हें मौजूदा समय में रिटायर हो रहे जूनियर अधिकारियों से काफी कम पेंशन मिलता है।
आने वाले चार सितंबर को पीएम मोदी वीरता का सर्वोच्च पुरस्कार यानि परमवीर चक्र पाने वाले सैन्यकर्मियों के जीवन और उनकी वीरता पर आधारित किताब 'वीर गाथा' का विमोचन करने वाले हैं। ये किताब काफी हद तक कॉमिक बुक्स की तरह होंगी जिसमें स्केच का भी इस्तेमाल किया जाएगा। किताब का मकसद युवा पाठकों को आकर्षित करना होगा और इसमें आसान भाषा का प्रयोग किया जाएगा।
बीजेपी नेता मुख़्तार अब्बास नक़वी ने एनडीटीवी को बताया कि, 'इस किताब के ज़रिए अगली पीढ़ी हमारे सैनिकों की वीरता और बलिदान के बारे में जानेगी।'
इस श्रृंखला की पहली किताब मानव संसाधन और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त कोशिश के तहत लाया जा रहा है। इस किताब में देश के 21 परम वीर चक्र विजेताओं में से छह विजेताओं की कहानी शामिल की जाएगी।
सरकार ने नेशनल बुक ट्रस्ट से इस किताब को कई भारतीय भाषाओं में छापने को कहा है ताकि इसे देश के हर कोने में पढ़ा जा सके।
वन रैंक वन पेंशन के लिए लड़ रहे सेना के वरिष्ठ सदस्यों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। रिटायर्ड एयरफोर्स अफसर विंग कमांडर विनोद नेप ने एनडीटीवी से कहा, 'ये एक बहुत अच्छा कदम है। ये किताब ज़रुर छपना चाहिए ताकि देशवासियों को ये पता चले कि इस देश की सेना ने देश के लिए क्या किया है, उन्हें भारत के विकास के उस इतिहास का भी पता चलेगा जो अब तक छुपा हुआ था।'
पूर्व सैनिक लंबे समय से सरकार से वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे हैं। हाल ही में 15 अगस्त के मौके पर जंतर-मंतर पर किया जा रहा पूर्व सैनिकों का प्रदर्शन तब और बढ़ गया था जब पीएम मोदी ने लाल किले से इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया था।
पूर्व सैनिकों की मांग है कि उन्हें भी वही पेंशन दिया जाए जो उनके रैंक के अफसरों को इस समय रिटायरमेंट के वक्त़ दिया जाता है। इस समय जो अफसर सालों पहले रिटायर हो चुके हैं उन्हें मौजूदा समय में रिटायर हो रहे जूनियर अधिकारियों से काफी कम पेंशन मिलता है।
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