दाल आयात पर केंद्र सरकार का बड़ा निर्णय
नई दिल्ली:
पीएम मोदी की मोजांबिक की यात्रा से ठीक पहले कैबिनेट ने भारत और मोजांबिक के बीच अगले चार साल में दाल के साझा व्यापार को एक लाख टन से बढ़ाकर दो लाख टन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। भारत मोजांबिक से अरहर दाल का आयात करेगा।
नए समझौते के तहत एक लाख टन तक दाल का आयात करेगा भारत
पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव हेम पांडेय की अध्यक्षता में उच्च अधिकारियों का एक दल मोजांबिक गया था और वहां की सरकार के साथ अरहर दाल के आयात को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। फिलहाल भारत मोजांबिक से हर साल 70000 टन दाल का आयात करता है। नए समझौते के तहत अगले एक साल में भारत मोजांबिक से एक लाख टन तक दाल का आयात करने को तैयार है।
मोजांबिक की दाल का स्वाद और उपज भारतीय दाल के समान
मोजांबिक में दाल की खूब पैदावार है लेकिन खपत नहीं है। वहां की दाल का स्वाद और उपज भारतीय दाल के समान होती है। इस नए समझौते के तहत भारत मोजांबिक में दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए वहां की सरकार को तकनीकी और विशेषज्ञ सहायता मुहैया कराएगा। इसके पीछे मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय दाल बाजार में उथल-पुथल के दौरान भारतीय बाजार में कीमतों को नियंत्रित रखना है। भारत यह मानता है कि मोजांबिक में यह क्षमता है कि वह दाल का उत्पादन बढ़ा सकता है। वहां की जलवायु अरहर दाल के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। जानकारी के अनुसार मोजांबिक में काफी जमीन खेती न होने की वजह से परती पड़ी रहती है।
मकसद अंतरराष्ट्रीय दाल बाजार में कालाबाजारी और जमाखोरी से निपटना
इस फैसले के पीछे मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय दाल बाजार में कालाबाजारी और जमाखोरी से निपटना भी है। इस समझौते के तहत मोजांबिक ने भारत को यह गारंटी दी है कि एक साझा तय कीमत पर वह हर साल भारत को दाल का मुहैया कराएगा। बताया जा रहा है कि जैसे ही भारत में दाल की कमी की बात आती है और बाजार में भाव बढ़ने लगते हैं वैसे ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाल के व्यापारी कालाबाजारी पर उतारू हो जाते हैं।
म्यांमार ने अभी तक नहीं मानी भारत की गुजारिश
भारत सबसे ज्यादा दाल का आयात म्यांमार से करता है। पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में खाद्य मंत्रालय ने आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में अधिकारियों की एक टीम म्यांमार गई थी जहां उन्होंने यह गुजारिश की थी कि भारत म्यांमार सरकार से साल में एक बड़ी मात्रा में दाल की सप्लाई की गारंटी चाहता है। लेकिन सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि म्यांमार की सरकार ने अभी तक इस बारे में अपनी रजामंदी नहीं जताई है।
दूसरे अफ्रीकी देशों से भी बात कर रहा है भारत
मोजांबिक के अलावा भारत दाल के आयात के लिए दूसरे अफ्रीकी देशों से बात कर रहा है। बता दें कि गुरुवार को पीएम मोदी मोजांबिक की राजधानी मापुतो पहुंच रहे हैं। उनकी यात्रा के दौरान दाल के आयात पर भी विस्तार से बात होगी।
भारत में दाल की क्या है स्थिति
पिछले दो साल में औसतन 17-18 मिलिटन का उत्पादन रहा है। एक साल में 1.80 करोड़ टन उत्पादन हुआ है। जबकि खपत 22-23 मिलियन टन रही है। 2.20 -2.30 करोड़ टन तक की खपत रही है। यानि पिछले एक साल में 40.50 लाख टन दाल की कमी रही है और इसे पूरा करने के लिए आयात करना पड़ा है।
नए समझौते के तहत एक लाख टन तक दाल का आयात करेगा भारत
पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव हेम पांडेय की अध्यक्षता में उच्च अधिकारियों का एक दल मोजांबिक गया था और वहां की सरकार के साथ अरहर दाल के आयात को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। फिलहाल भारत मोजांबिक से हर साल 70000 टन दाल का आयात करता है। नए समझौते के तहत अगले एक साल में भारत मोजांबिक से एक लाख टन तक दाल का आयात करने को तैयार है।
मोजांबिक की दाल का स्वाद और उपज भारतीय दाल के समान
मोजांबिक में दाल की खूब पैदावार है लेकिन खपत नहीं है। वहां की दाल का स्वाद और उपज भारतीय दाल के समान होती है। इस नए समझौते के तहत भारत मोजांबिक में दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए वहां की सरकार को तकनीकी और विशेषज्ञ सहायता मुहैया कराएगा। इसके पीछे मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय दाल बाजार में उथल-पुथल के दौरान भारतीय बाजार में कीमतों को नियंत्रित रखना है। भारत यह मानता है कि मोजांबिक में यह क्षमता है कि वह दाल का उत्पादन बढ़ा सकता है। वहां की जलवायु अरहर दाल के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। जानकारी के अनुसार मोजांबिक में काफी जमीन खेती न होने की वजह से परती पड़ी रहती है।
मकसद अंतरराष्ट्रीय दाल बाजार में कालाबाजारी और जमाखोरी से निपटना
इस फैसले के पीछे मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय दाल बाजार में कालाबाजारी और जमाखोरी से निपटना भी है। इस समझौते के तहत मोजांबिक ने भारत को यह गारंटी दी है कि एक साझा तय कीमत पर वह हर साल भारत को दाल का मुहैया कराएगा। बताया जा रहा है कि जैसे ही भारत में दाल की कमी की बात आती है और बाजार में भाव बढ़ने लगते हैं वैसे ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाल के व्यापारी कालाबाजारी पर उतारू हो जाते हैं।
म्यांमार ने अभी तक नहीं मानी भारत की गुजारिश
भारत सबसे ज्यादा दाल का आयात म्यांमार से करता है। पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में खाद्य मंत्रालय ने आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में अधिकारियों की एक टीम म्यांमार गई थी जहां उन्होंने यह गुजारिश की थी कि भारत म्यांमार सरकार से साल में एक बड़ी मात्रा में दाल की सप्लाई की गारंटी चाहता है। लेकिन सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि म्यांमार की सरकार ने अभी तक इस बारे में अपनी रजामंदी नहीं जताई है।
दूसरे अफ्रीकी देशों से भी बात कर रहा है भारत
मोजांबिक के अलावा भारत दाल के आयात के लिए दूसरे अफ्रीकी देशों से बात कर रहा है। बता दें कि गुरुवार को पीएम मोदी मोजांबिक की राजधानी मापुतो पहुंच रहे हैं। उनकी यात्रा के दौरान दाल के आयात पर भी विस्तार से बात होगी।
भारत में दाल की क्या है स्थिति
पिछले दो साल में औसतन 17-18 मिलिटन का उत्पादन रहा है। एक साल में 1.80 करोड़ टन उत्पादन हुआ है। जबकि खपत 22-23 मिलियन टन रही है। 2.20 -2.30 करोड़ टन तक की खपत रही है। यानि पिछले एक साल में 40.50 लाख टन दाल की कमी रही है और इसे पूरा करने के लिए आयात करना पड़ा है।
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