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This Article is From Dec 22, 2023

नये आपराधिक न्याय विधेयकों का पारित होना भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'ये विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं. इसके साथ ही जनसेवा और कल्याण पर केंद्रित कानूनों के साथ एक नये युग की शुरुआत होती है.'

नये आपराधिक न्याय विधेयकों का पारित होना भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल: पीएम मोदी
नई दिल्ली:

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को तीन आपराधिक न्याय विधेयकों के पारित होने की सराहना करते हुए इसे भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल बताया. उन्होंने कहा कि जनसेवा और कल्याण पर केन्द्रित ये कानून नये युग की शुरुआत का प्रतीक हैं. पारित हुए इन विधेयकों में औपनिवेशिक काल के आपराधिक कानूनों में आमूल-चूल बदलाव करने के साथ ही आतंकवाद, ‘मॉब लिंचिंग' और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और अधिक कठोर बनाने के प्रावधान किए गए हैं.

संसद द्वारा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को पारित किये जाने के बाद मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर किये गए एक पोस्ट में कहा, ‘‘इनके माध्यम से, हमने राजद्रोह पर पुरानी धाराओं को भी अलविदा कह दिया है.'' ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'ये विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं. इसके साथ ही जनसेवा और कल्याण पर केंद्रित कानूनों के साथ एक नये युग की शुरुआत होती है.' उन्होंने कहा, ‘‘ये परिवर्तनकारी विधेयक सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं. वे हमारी विधिक, पुलिसिंग और जांच प्रणालियों को आधुनिक युग में लाएंगे, जिनमें ध्यान प्रौद्योगिकी और फॉरेंसिक विज्ञान पर होगा. ये विधेयक गरीबों, हाशिये पर रहने वाले और हमारे समाज के वंचित वर्गों का अधिक संरक्षण सुनिश्चित करते हैं.''

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये विधेयक संगठित अपराध, आतंकवाद और ऐसे अपराधों पर कड़ा प्रहार करते हैं, जो देश की प्रगति की शांतिपूर्ण यात्रा की जड़ पर हमला करते हैं. उन्होंने संसद में गृह मंत्री अमित शाह के भाषणों पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'हमारे अमृत काल में, ये कानूनी सुधार हमारे कानूनी ढांचे को अधिक प्रासंगिक और सहानुभूति से प्रेरित होने के लिए फिर से परिभाषित करते हैं.'

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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