कश्मीर के हालात पर पीएम मोदी ने की कैबिनेट की अहम मीटिंग
नई दिल्ली:
कश्मीर घाटी में चौथे दिन जारी हिंसा और आगजनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की अहम मीटिंग हुई। बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा बलों के द्वारा किसी आम नागरिक को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। साथ ही पूरी ऐहतियात बरती जाए, ताकि घाटी में किसी और शख्स जान न जाए। पीएम मोदी ने शांति की अपील भी की।
यह महसूस किया गया कि सबसे पहली प्राथमिकता हिंसा पर काबू पाने की है। सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा बलों को ये सलाह दी गई है कि वे बल प्रयोग में संयम बरतें। अपनी ओर से कार्रवाई से बचें और जो लोग मारे गए हैं, उनके अंतिम संस्कार के लिए कायदे से तैयारी करें, ताकि हिंसा का मौजूदा सिलसिला थम सके।
बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर सहित अन्य लोगों ने शिरकत की।
(ब्लॉग : कश्मीर के सबक न सीखने का नतीजा और बगावत की नई धारा)
सरकार इस बात की कोशिश में लगी हुई है कि जो गलतियां यूपीए के दौरान उमर अब्दुल्ला सरकार से हुई थी, वो दोबारा ना हो। 2010 में घाटी में सौ से ज्यादा लोग मारे गए थे। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कैबिनेट कमेटी की इस बैठक में राज्य की नुमाइंदगी न होने पर ऐतराज़ किया। उन्होंने ट्वीट किया - मैं समझता हूं कि महबूबा मुफ्ती इस बैठक के लिए राज्य नहीं छोड़तीं, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं? राज्य की नुमाइंदगी नहीं हो सकी। हम हर तरह की बेमानी चीजों के लिए वीडियो लिंक बनाते हैं, लेकिन जहां इसकी अहमियत है (महबूबा मुफ़्ती के प्रक्रिया में शामिल होने की) वहां कुछ नहीं है।
वैसे माना जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला इस बार वैसा ही असहयोग कर रहे हैं जैसा 2010 में महबूबा मुफ्ती कर रही थीं। फिर इस संकट का राजनीतिक असर पीडीपी को झेलना पड़ रहा है जिसके घाटी में सारे विधायक हैं। महबूबा ने अपने विधायकों से कहा है कि वो लोगों से मिलें और उनकी तकलीफें समझने की कोशिश करें। माना जा रहा है कि राज्य में जो सियासी शून्य है, उसकी वजह से बुरहान वानी जैसे लोग हीरो बन जाते हैं।
यहां बता दें कि घाटी में तनाव के चलते हिंसा में मरने वालों की तादाद 30 पहुंच गई है। 2010 के बाद यह पहली बार है जब इस कदर गंभीर घरेलू तनाव यहां देखा जा रहा हो। जम्मू-कश्मीर में बिगड़े हालात के चलते गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका यात्रा सितंबर तक टाल दी है (इस बारे में विस्तृत खबर यहां पढ़ें)। इस मामले में अब तक 800 के करीब लोग घायल हो चुके हैं जिनमें 100 पुलिसकर्मी हैं। 10 जिलों में अभी भी कर्फ्यू जारी है।
इसी बीच सोमवार को पाकिस्तान सरकार और आतंकी हाफिज सईद ने पिछले दिनों मारे गए आतंकी बुरहान वानी को कश्मीरी नेता बताकर माहौल को और भड़का दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख़्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, 'पाकिस्तान को हमारी सलाह है कि वह अपने पड़ोसियों के आंतरिक मामलों में दखल देने से परहेज करे।' (नवाज शरीफ ने बुरहान को बताया 'कश्मीरी लीडर', भारत ने चेताया- आंतरिक मामलों से दूर रहें)
यह महसूस किया गया कि सबसे पहली प्राथमिकता हिंसा पर काबू पाने की है। सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा बलों को ये सलाह दी गई है कि वे बल प्रयोग में संयम बरतें। अपनी ओर से कार्रवाई से बचें और जो लोग मारे गए हैं, उनके अंतिम संस्कार के लिए कायदे से तैयारी करें, ताकि हिंसा का मौजूदा सिलसिला थम सके।
बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर सहित अन्य लोगों ने शिरकत की।
(ब्लॉग : कश्मीर के सबक न सीखने का नतीजा और बगावत की नई धारा)
सरकार इस बात की कोशिश में लगी हुई है कि जो गलतियां यूपीए के दौरान उमर अब्दुल्ला सरकार से हुई थी, वो दोबारा ना हो। 2010 में घाटी में सौ से ज्यादा लोग मारे गए थे। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कैबिनेट कमेटी की इस बैठक में राज्य की नुमाइंदगी न होने पर ऐतराज़ किया। उन्होंने ट्वीट किया - मैं समझता हूं कि महबूबा मुफ्ती इस बैठक के लिए राज्य नहीं छोड़तीं, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं? राज्य की नुमाइंदगी नहीं हो सकी। हम हर तरह की बेमानी चीजों के लिए वीडियो लिंक बनाते हैं, लेकिन जहां इसकी अहमियत है (महबूबा मुफ़्ती के प्रक्रिया में शामिल होने की) वहां कुछ नहीं है।
वैसे माना जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला इस बार वैसा ही असहयोग कर रहे हैं जैसा 2010 में महबूबा मुफ्ती कर रही थीं। फिर इस संकट का राजनीतिक असर पीडीपी को झेलना पड़ रहा है जिसके घाटी में सारे विधायक हैं। महबूबा ने अपने विधायकों से कहा है कि वो लोगों से मिलें और उनकी तकलीफें समझने की कोशिश करें। माना जा रहा है कि राज्य में जो सियासी शून्य है, उसकी वजह से बुरहान वानी जैसे लोग हीरो बन जाते हैं।
यहां बता दें कि घाटी में तनाव के चलते हिंसा में मरने वालों की तादाद 30 पहुंच गई है। 2010 के बाद यह पहली बार है जब इस कदर गंभीर घरेलू तनाव यहां देखा जा रहा हो। जम्मू-कश्मीर में बिगड़े हालात के चलते गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका यात्रा सितंबर तक टाल दी है (इस बारे में विस्तृत खबर यहां पढ़ें)। इस मामले में अब तक 800 के करीब लोग घायल हो चुके हैं जिनमें 100 पुलिसकर्मी हैं। 10 जिलों में अभी भी कर्फ्यू जारी है।
इसी बीच सोमवार को पाकिस्तान सरकार और आतंकी हाफिज सईद ने पिछले दिनों मारे गए आतंकी बुरहान वानी को कश्मीरी नेता बताकर माहौल को और भड़का दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख़्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, 'पाकिस्तान को हमारी सलाह है कि वह अपने पड़ोसियों के आंतरिक मामलों में दखल देने से परहेज करे।' (नवाज शरीफ ने बुरहान को बताया 'कश्मीरी लीडर', भारत ने चेताया- आंतरिक मामलों से दूर रहें)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
PM Modi, Narendra Modi, Kashmir Violence, Burhan Wani, बुरहान वानी, कश्मीर हिंसा, नरेंद्र मोदी, जम्मू कश्मीर, श्रीनगर, हिजबुल मुजाहिद्दीन, Hizbul Mujahideen, कैबिनेट बैठक