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कांग्रेस के माथे पर लगा इमरजेंसी का पाप कभी धुलने वाला नहीं : संविधान पर चर्चा के दौरान PM मोदी

75 वर्ष की ये उपलब्धि साधारण नहीं है, असाधारण है. जब देश आजाद हुआ और उस समय भारत के लिए जो-जो संभावनाएं व्यक्त की गई थी उन संभावनाओं को निरस्त करते हुए, परास्त करते हुए भारत का संविधान हमें यहां तक ले आया है.

नई दिल्ली:

संविधान पर चर्चा के दौरान PM मोदी ने कई महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा की है. पीएम मोदी ने कहा कि हमने संविधान की एकता की भावना के अनुरूप नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को बहुत बल दिया है और अब गरीब परिवार के बच्चे मातृभाषा में पढ़ाई करके डॉक्टर-इंजीनियर बन सकते हैं: उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातों पर भी अपनी राय रखी है, जो निम्नलिखित हैं.

75 वर्ष की ये उपलब्धि साधारण नहीं है

75 वर्ष की ये उपलब्धि साधारण नहीं है, असाधारण है. जब देश आजाद हुआ और उस समय भारत के लिए जो-जो संभावनाएं व्यक्त की गई थी उन संभावनाओं को निरस्त करते हुए, परास्त करते हुए भारत का संविधान हमें यहां तक ले आया है.

इसलिए इस महान उपलब्धि के लिए, संविधान निर्माताओं के साथ साथ देश के कोटि-कोटि नागरिकों का आदरपूर्वक नमन करता हूं.संविधान के 75 वर्ष की यात्रा यादगार यात्रा है और विश्व के सबसे महान और विशाल लोकतंत्र की यात्रा है.

इसकी मूल में हमारे संविधान निर्माताओं की दीर्घ दृष्टि, हमारे संविधान निर्माताओं के योगदान और जिसको लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं, ये 75 वर्ष पूर्ण होने पर एक उत्सव मनाने का पल है.

हमने देश को एक किया है- पीएम मोदी

हमारी सरकार के निर्णयों में लगातार भारत की एकता को मजबूती देने का प्रयास किया जाता रहा है, अनुच्छेद 370 एकता में रुकावट बना हुआ था और इसलिए हमने जमीन में गाड़ दिया: प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा. हमने संविधान की एकता की भावना के अनुरूप नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को बहुत बल दिया है और अब गरीब परिवार के बच्चे मातृभाषा में पढ़ाई करके डॉक्टर-इंजीनियर बन सकते हैं.

भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम रख रहा है और 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प उसे स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक विकसित भारत बनाने का है: प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में कहा,  मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि संविधान निर्माताओं के दिमाग में एकता की भावना थी, लेकिन आजादी के बाद देश की एकता के मूल भाव पर प्रहार हुआ और गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोग विविधता में एकता की जगह विरोधाभास खोजते रहे: प्रधानमंत्री मोदी.

देश की राष्ट्रपति एक महिला हैं- नरेंद्र मोदी

जब हम संविधान लागू होने के 75 वर्ष का उत्सव मना रहे हैं तो अच्छा संयोग है कि राष्ट्रपति पद पर एक महिला आसीन हैं जो संविधान की भावना के अनुरूप भी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में कहा, भारत का गणतांत्रिक अतीत विश्व के लिए प्रेरक रहा है और इसलिए देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है.

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर किया प्रहार

  • कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, इस परिवार ने हर स्तर पर संविधान को चुनौती दी: प्रधानमंत्री मोदी.
  • भारत का लोकतंत्र भारत का गणतांत्रिक अतीत बहुत समृद्ध और विश्व के लिए प्रेरक रहा है. तभी तो भारत आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है.
  • हमारा संविधान भारत की एकता का आधार है. विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता भारत की एकता है. 
  • विविधता में एकता ये भारत की विशेषता रही है और इस देश की प्रगति भी विविधता को सेलिब्रेट करने में है.
  • लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोगों ने, भारत का भला न देख पाने वाले लोगों ने... वो विविधता में विरोधाभास ढूढंते रहे.
  • इतना ही नहीं, विविधता जो हमारा अमूल्य खजाना है उसको सेलिब्रेट करने के बजाय उस विविधता में ऐसे जहरीले बीज बोने के प्रयास करते रहे, ताकि देश की एकता पर चोट पहुंचे.

भारत का लोकतंत्र भारत का गणतांत्रिक अतीत बहुत समृद्ध और विश्व के लिए प्रेरक रहा है. तभी तो भारत आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है.

कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है.मैं इसलिए भी इस परिवार की चर्चा करता हूं कि मेरे 75 साल की इस यात्रा में 55 साल, एक ही परिवार ने राज किया है, इसलिए क्या-क्या हुआ है, देश को  ये जानने का अधिकार है.

संविधान के आज 75 वर्ष हो रहे हैं, लेकिन हमारे यहां तो 25 वर्ष का भी महत्व होता है, 50 वर्ष का भी महत्व होता है और 60  साल का भी होता है... लेकिन जरा हम इतिहास की तरफ नजर करें कि संविधान यात्रा की इस महत्वपूर्ण पड़ाव का क्या हुआ.

जब देश संविधान के 25 वर्ष पूरे कर रहा था, उसी समय हमारे देश में संविधान को नोंच लिया गया, इमरजेंसी (आपातकाल) लाया गया, संवैधानिक व्यवस्थाओं को समाप्त कर दिया गया, देश को जेलखाना बना दिया गया।

नागरिकों के अधिकारों को लूट लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को ताला लगा दिया गया, कांग्रेस के माथे पर यह जो पाप है वह धुलने वाला नहीं है.

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