
- पीएम मोदी मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के न्योते पर माले पहुंचे हैं
- लड़खड़ती अर्थव्यवस्था और कर्ज के जाल में फंसे मालदीव को भारत से मदद की दरकार
- भारत की सॉफ्ट पावर की कूटनीति मालदीव में भी दिखा रही असर
PM Modi in Maldives: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ के समारोह में शामिल होने पहुंचे हैं. पीएम मोदी का मालदीव दौरा भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. कैसे कभी चीन से करीबी की जिद में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 'भारत विरोध' की मुहिम में उतर आए थे, लेकिन आज वो पीएम मोदी के स्वागत के लिए रेड कारपेट बिछाकर उनका दिल खोलकर स्वागत करते नजर आए. पीएम मोदी का यह तीसरा मालदीव दौरा है और मुइज्जु के शासनकाल में उनकी पहली यात्रा है. यह मौका भारत और मालदीव के कूटनीतिक रिश्तों के 60 साल पूरे होने का भी है. दोनों देशों के रिश्तों मे जमी बर्फ पिघलने का दौर पिछले साल अक्टूबर में मुइज्जु के नई दिल्ली दौरे से शुरू हुआ था.
रिश्तों में जमी बर्फ पिघली
पीएम मोदी के दौरे से दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होने की उम्मीद है. पीएम मोदी का यह दौरा सितंबर 2023 में राष्ट्रपति मुइज्जु के सत्ता संभालने के बाद मालदीव की भारत के प्रति नीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है. मुइज्जु ने सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले तुर्की और चीन का दौरा किया था और भारत पर उनके मुल्क की निर्भरता को कम करने के लिए कई फैसले लिए थे. उनकी पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस का इंडिया आउट कंपेन चीन की ओर झुकाव का साफ संकेत दे रहा था.विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के कर्ज के जाल में फंसे देशों की स्थिति ने शायद मालदीव को बड़ा सबक दिया है. पाकिस्तान-बांग्लादेश से लेकर अफ्रीका तक चीन ऐसे ही तमाम देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में है.
मुइज्जु के चीन दौरे ने बदली थी परंपरा
मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री किरेन रिजिजू ने सितंबर 2023 में मुइज्जु के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था. लेकिन मुइज्जु ने नवंबर 2023 में तुर्की और फिर जनवरी 2024 में चीन का दौरा किया था.हालांकि लंबे समय से ये परंपरा देखी गई है कि मालदीव का नया राष्ट्रपति सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले भारत का दौरा करता है. मालदीव सरकार ने भारत से अपने सैनिकों को उनके मुल्क से वापस बुलाने का अनुरोध भी किया. हालांकि पीएम मोदी के लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के दौरान मालदीव सरकार के कुछ नेताओं के बयान पर मुइज्जु सरकार ने तीन उप मंत्रियों को निलंबित कर दिया था.
संवाद और सहयोग कायम करने की भारत नीति
मालदीव से संपर्क और संवाद कायम रखने की भारत की नीति रंग लाई. पिछले साल गुट निरपेक्ष सम्मेलन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मालदीव के अपने समकक्ष से मुलाकात की. आम बजट में भारत ने मालदीव की मदद बढ़ाकर 120 करोड़ रुपये कर दी. साथ ही अनुदान भी बढ़ाकर 400 से 600 करोड़ रुपये कर दिया. इसके बाद मई 2024 में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर भारत आए. वहीं अक्टूबर में खुद राष्ट्रपति मुइज्जु पांच दिनों के दौरे पर भारत पहुंचे. इस दौरान व्यापक आर्थिक एवं मैरीटाइम सिक्योरिटी पार्टनरशिप विजन को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी. मुइज्जु का ये बयान काफी अहम माना गया कि मालदीव ऐसा कुछ नहीं करेगा, जिससे भारत के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचे.
भारत की सकारात्मक नीति
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने की नीति का ये सकारात्मक असर है. भारत अपनी सॉफ्ट पावर से पड़ोसी देशों की बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में सहयोग करता है.
लंबा सैन्य सहयोग...
दोनों देशों के बीच लंबे समय से सैन्य सहयोग रहा है. हिन्द महासागर में भारत की अहमियत को मालदीव नजरअंदाज नहीं कर सकता. मालदीव में हर साल काफी संख्या में भारतीय छुट्टियां मनाने जाते हैं. भारत की नीति कभी किसी पड़ोसी मुल्क पर हावी होने की नहीं रही है.
मालदीव की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था
पर्यटन मालदीव की रीढ़ है और उसकी 60 फीसदी विदेशी आय इसी पर निर्भर है, लेकिन वो चीन और अन्य देशों के कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है. उसे दो सालों के भीतर करोड़ों डॉलर के कर्ज का भुगतान करना है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती उसे परेशान कर रही है. ऐसे में अहसास हो गया है कि सिर्फ चीन के भरोसे आंख मूंदकर बैठना भयंकर भूल होगी.
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