प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने शुक्रवार को 'National Automobile Scrappage Policy' लॉन्च कर दी है. व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी सरकार की कुछ बड़ी योजनाओं में से है, जिसपर पिछले कुछ सालों में फोकस में रखा गया है. अभी इस साल मार्च में ही इस पॉलिसी को लेकर परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में घोषणा की थी. पीएम मोदी ने इस पॉलिसी को लॉन्च करते हुए आज कहा कि 'प्रगति हमेशा सतत होनी चाहिए, इस नई पॉलिसी इकॉनमी को बूस्ट मिलेगा.'
पीएम ने ‘व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी'की शुरूआत करते हुए कहा कि 'व्हीकल स्क्रैपिंग' पर्यावरण के अनुकूल तरीके से, अनुपयुक्त और प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने में मदद करेगी. 'बर्बादी से समृद्धि' कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.'
Vehicle scrapping will help phase out unfit & polluting vehicles in an environment friendly manner. Our aim is to create a viable #circulareconomy & bring value for all stakeholders while being environmentally responsible.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 13, 2021
उन्होंने कहा कि यह नीति आवागमन में आधुनिकता, यात्रा और परिवहन के दबाव को कम करेगी और आर्थिक विकास के लिए सहायक साबित होगी. पीएम ने कहा हमारा लक्ष्य है कि हम पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सभी स्टेकहोल्डर्स को वैल्यू दें और 'viable circular economy' तैयार करें.
क्यों लाई गई है यह पॉलिसी?सरकार का उद्देश्य सड़कों से पुरानी गाड़ियों को हटाकर वायु प्रदूषण और सड़कों पर वाहनों का दबाव कम करना है. गडकरी ने बताया था कि भारत में 51 लाख हल्के मोटर वाहन है जो 20 वर्ष से अधिक पुराने हैं और 34 लाख हल्के मोटर वाहन जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं. वैध फिटनेस प्रमाण-पत्र के बिना लगभग 17 लाख मध्यम और भारी कॉमर्शियल वाहन है जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं. पुराने वाहन फिट वाहनों की तुलना में 10 से 12 गुना अधिक पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और सड़क सुरक्षा के लिए एक भारी भी जोखिम बनते हैं.
ऊपर से देश की ईंधन जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 8 लाख करोड़ का क्रूड तेल आयात होता है जिससे न केवल देश की आर्थिक परिस्थिति पर दबाव पड़ता है पर पुराने वाहनों की पुरानी एमिशन तकनीक की वजह से अत्यधिक प्रदूषण भी होता है. ऐसे में सरकार ने इस स्थिति में सुधार लाने के लिए नीति की शर्तों को न पूरा करने वाले वाहनों को स्क्रैप करने की नीति बनाई है.
Vehicles Scrappage Policy : कैसे सस्ती होंगी गाड़ियां और कैसे काम करेगी यह नीति, समझिए विस्तार में
क्या होंगे फायदे?- स्क्रैपिंग की वजह से जो स्क्रैप मटीरियल तैयार होगा उससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को सस्ते दाम में कच्चा माल प्राप्त होगा, उससे वाहन बनाने की लागत कम होगी. स्क्रैप मटीरियल से ऐसी चीजें भी प्राप्त होंगी जो इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी के रिसर्च में काम आएंगी.
- वाहन के मालिक को व्हीकल का स्क्रैप मूल्य जो लगभग 4 से 6 प्रतिशत होता है वो उसे मिलेगा और एक स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट भी मिलेगा. स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट के आधार पर नया वाहन खरीदने के लिए 5 फीसदी की छूट भी मिलेगी और रजिस्ट्रेशन फीस और रोड टैक्स में भारी छूट भी मिलेगी.
- ऑटोमोबाइल सेक्टर लगभग 3.7 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती है और इसका कुल टर्नओवर 7.2 लाख करोड़ का है. स्क्रैपिंग पालिसी के लागू होने पर न केवल इन आंकड़ों में वृद्धि होगी पर स्क्रैपिंग सेंटरों, ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटरों की वजह से 10,000 करोड़ का अतिरिक्त निवेश और 35,000 लोगों को एलाइड सर्विस सेक्टर, RaD जैसे क्षेत्रों में सीधा रोजगार मिलेगा.
कैसै काम करेगी पॉलिसी?किसी वाहन का फिटनेस टेस्ट में असफल होने या इसके रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र का नवीकरण करने में असफल होने पर इसे ऐंड ऑफ लाइफ व्हीकल घोषित कर दिया जाएगा. वाहनों की फिटनेस, खासकर- एमिशन, टेस्ट, ब्रेकिंग, कई अन्य परीक्षणों के मध्य संरक्षा उपस्करों- को केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के पैमानों के अनुसार मापी जाएगी.
अगर कोई निजी वाहन 20 साल के बाद अनफिट पाया जाता है या रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र का नवीकरण कराने में विफल रहता है तो अनिवार्य रूप से डी-रजिस्टर कर दिया जाएगा. इसे बढ़ावा देने से रोकने के उपाय के रूप में फिटनेस प्रमाण-पत्र के लिए बढ़ा हुआ री-रजिस्ट्रेशन शुल्क प्राथमिक रजिस्ट्रेशन की तिथि से 15 वर्ष तक के निजी वाहन के लिए लागू होगा.
सभी सरकारी वाहनों को रजिस्ट्रेशन की तारीख से 15 वर्ष के बाद अनिवार्य रूप से डी-रजिस्टर और स्क्रैप किया जाएगा.
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