
टीचर्स डे पर एक दिन पहले बच्चों से बातचीत की पीएम मोदी ने
नई दिल्ली:
कल यानी 5 सितंबर को टीचर्स डे से एक दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने बच्चों से बातचीत की। दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में बच्चों के सवालों के पीएम मोदी ने कुछ इस तरह जवाब दिए :
तेलंगाना के निजामाबाद की टीएसडब्लूआर एजुकेशनल सोसायटी की स्टूडेंट मालावत पूर्णा का सवाल- आपके जीवन पर सबसे अधिक किसका प्रभाव रहा?
पीएम मोदी का जवाब- बेटा, बड़े बनने की बड़ी तकलीफ होती है। मैं बचपन से जिज्ञासु रहा। चीजों को जानने की मुझमें उत्सुकता रहती थी, लेकिन बचपन में वक्त बिताने के लिए लाइब्रेरी में चला जाता था। वहां स्वामी विवेकानंद को पढ़ने का मौका मिला। उनकी किताबों ने मेरे जीवन पर बड़ा प्रभाव डाला।
मणिपुर के जवाहर नवोदय विद्यालय की छात्रा का सवाल- कैसे बड़े राजनेता बन सकते हैं और राजनीति में अपना योगदान दे सकते हैं?
पीएम मोदी का जवाब- अब लोग राजनीति में नहीं आना चाहते। इससे देश का नुकसान हो रहा है। हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में है। देश के लिए जरूरी है कि राजनीति में अच्छे लोग आएं, विद्वान लोग आएं। इससे राजनीतिक जीवन भी अत्यंत समृद्ध बनेगा। आप देखिए, महात्मा गांधी के आंदोलन से लोग जुड़े और आंदेालन की ताकत बढ़ी। आपको लीडरशिप रोल निभाना पड़ेगा। हमें लीडर क्यों बनना है, यह स्पष्ट होना चाहिए। चुनाव लड़ने या खुशी पाने के लिए नहीं लड़ें, समाज की समस्याओं का समाधान करने के लिए नेता बनें। उनका दुख आपको चैन से सोने न दे, जब तक यह भाव पैदा नहीं होगा, लीडर बनना मुश्किल होता है।
लॉस एंजिलिस में वर्ल्ड स्पेशल ओलंपिक में मेडल जीतने वाली एक बच्ची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि आपको कौन सा गेम पसंद है?
पीएम मोदी का जवाब: जब लड़कियां खेलों में आगे जाती हैं तो इसमें उनकी मां का बड़ा रोल होता है। शारीरिक क्षमता में कमी होने के बावजूद कमाल करने वाली सोनिया के टीचर का मैं अभिनंदन करता हूं। राजनीति वाले क्या खेल खेलते हैं, सबको मालूम है। मैं कबड्डी, खोखो खेलता था। कपड़े धोने तालाब में जाता था, वहां तैरता था, वह हॉबी बन गई। थोड़ा बाद में योग मेरी हॉबी बन गई।
देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी स्थित केंद्रीय विद्यालय के छात्र सार्थक सार्थक भारद्वाज (जूनियर मास्टर शेफ में भाग लेकर जीतने वाले) ने पूछा, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम अनेाखा है, लेकिन देश में कई जगह बिजली नहीं, बिजली बिना यह कार्यक्रम कैसे सफल होगा?
पीएम ने जवाब में कहा- तुम्हारी फेवरिट डिश कौन सी है? खाना बनाने का शौक कैसे आया? यह बात सही है कि देश के 18 हजार गांवों में बिजली नहीं है। मैने अगले हजार दिनों में सभी गांवों में बिजली पहुचांने को कहा है। हम डिजिटल इंडिया से अछूते नहीं रह सकते। डिजिटल इंडिया एम्पावर मूवमेंट है और बिजली इसमें रुकावट नहीं बनेगी। देश जब आजादी के 75 साल मनाएगा, तब जरूरी है कि घरों में 24*7 बिजली हो, यह मेरा स्वप्न है।
बेंगलुरु के न्यू होराइजन पब्लिक सकूल से टीम पैंटागन ने पूछा, स्वच्छ भारत अभियान के तहत वेस्ट मैनेंजमेंट (Waste management) की खराब हालत को लेकर क्या समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
पीएम मोदी का जवाब: शुरु में लगा था कि अभियान में समस्याएं आएंगी। लेकिन, मेरा देश स्वच्छ होकर रहेगा। अगर हम लोग गंदगी से नफरत करेंगे, तो स्वच्छता आएगी ही। आपके उत्साह को देखकर लगता है कि यह पूरा होकर रहेगा। इस कार्यक्रम का हर कोई समर्थन कर रहा है। मीडिया ने इसे आगे बढ़ाया। हम वेस्ट मैनेजमेंट किए बिना स्वच्छता नहीं ला सकते। आज देश में बहुत बड़ी संख्या में पेशेवर वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में आगे आ रहे हैं। आज कूडा अपने आप में बहुत बड़ा व्यवसाय है।
दिशा स्कूल फॉर स्पेशल चिल्ड्रन (पणजी, गोवा) की छात्रा सोनिया येलप्पा पाटिल ने पूछा, आपको कौन सा गेम पसंद है?
पीएम मोदी का जवाब: जब लड़कियां खेल में आगे जाती हैं, तो उनकी मां का बड़ा रोल होता है। मैं शारीरिक क्षमता में कमी होने के बावजूद कमाल करने वाली सोनिया के टीचर को अभिनंदन करता हूं। सबको मालूम है कि राजनीति वाले क्या खेल खेलते हैं (सब हंस पड़े)। मैं बचपन में बिस्तर पर खूब खेलता था। कबड्डी और खोखो खेलता था। कपड़े धोने तालाब में जाता था तो तालाब में तैरता था। वह भी मेरी हॉबी बन गई। बाद में योगा भी मेरी हॉबी बन गई।
आईआईपीई लक्ष्मी रमन मैट्रिक हायर सीनियर सेकेंड्री स्कूल से के विसालिनी ने देश सेवा को लेकर सवाल किया।
पीएम मोदी ने कहा- कुछ लोगों के मन में देश सेवा करने का प्रण होता है। देश की सेवा हम छोटी-छोटी चीजों से भी कर सकते हैं। हम बिजली की बचत कर देशसेवा कर सकते हैं। सामान्य व्यवहार में लाएं कि अपने समय और शक्ति का उपयोग देश के लिए करें।
बोकारो के केंद्रीय विद्यालय नंबर वन की छात्रा अंशिका ने पूछा-किसी छात्र के लिए सफलता की क्या रेसिपी हो सकती है?
पीएम मोदी ने कहा- सफलता की कोई रेसिपी न हो सकती है और न होनी चाहिए। हम विफल न हों, यह ठान लें। ऐसे करेंगे तो सफलता आपके कदम चूमेगी। एक भी विफलता सपनों का कब्रिस्तान बना देती है, हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए। 1913 में लिखी गई किताब पॉलीऐना पढ़ें। उसमें हर चीज को कैसे सकारात्मक देखें, यह सिखाया गया है। यह किताब जीवन के सकारात्मक पक्ष को बताती है। सफलता को समय की पाबंदी में मत डालिए। सफलता का कोई पैमाना तय मत कीजिए।
जम्मू कश्मीर के कुलगाम स्थित केंद्रीय विद्यालय की छात्रा राबिया नजीर से ने पूछा, जब आप छात्र थे आपका क्लास रूम में अनुभव ज्यादा अच्छा रहा या फिर क्लास रूम के बाहर।
पीएम मोदी ने जवाब दिया- मेरा ऑब्जर्वेशन का स्वभाव था। मैंने देखा कि 1965 के युद्ध के दौरान फौजियों के लिए लोग मिठाई लेकर जा रहे थे तो देखा कि लोग देश के लिए मर मिटने के लिए जा रहे हैं। ऐसा देखकर सीखने का प्रयास करने लगा। मैंने चीजों को ऑब्जर्व कर काफी सीखा।
दिल्ली के गोल मार्केट स्थित केंद्रीय विद्यालय से छात्रा रिनिकी बोडोलोई ने पूछा, आपकी साहित्य में रूचि कैसे जगी?
पीएम मोदी ने जवाब दिया- हर इंसान के भीतर कविता का वास होता है। कुछ की कविता कलम से तो कुछ की आंसू से निकलती है। मैंने जो लिखा, उसे अभी कविता नहीं कह सकता। यहां उपस्थित बच्चों में कइयों ने कविताएं लिखी होंगी।
तेलंगाना के निजामाबाद की टीएसडब्लूआर एजुकेशनल सोसायटी की स्टूडेंट मालावत पूर्णा का सवाल- आपके जीवन पर सबसे अधिक किसका प्रभाव रहा?
पीएम मोदी का जवाब- बेटा, बड़े बनने की बड़ी तकलीफ होती है। मैं बचपन से जिज्ञासु रहा। चीजों को जानने की मुझमें उत्सुकता रहती थी, लेकिन बचपन में वक्त बिताने के लिए लाइब्रेरी में चला जाता था। वहां स्वामी विवेकानंद को पढ़ने का मौका मिला। उनकी किताबों ने मेरे जीवन पर बड़ा प्रभाव डाला।
मणिपुर के जवाहर नवोदय विद्यालय की छात्रा का सवाल- कैसे बड़े राजनेता बन सकते हैं और राजनीति में अपना योगदान दे सकते हैं?
पीएम मोदी का जवाब- अब लोग राजनीति में नहीं आना चाहते। इससे देश का नुकसान हो रहा है। हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में है। देश के लिए जरूरी है कि राजनीति में अच्छे लोग आएं, विद्वान लोग आएं। इससे राजनीतिक जीवन भी अत्यंत समृद्ध बनेगा। आप देखिए, महात्मा गांधी के आंदोलन से लोग जुड़े और आंदेालन की ताकत बढ़ी। आपको लीडरशिप रोल निभाना पड़ेगा। हमें लीडर क्यों बनना है, यह स्पष्ट होना चाहिए। चुनाव लड़ने या खुशी पाने के लिए नहीं लड़ें, समाज की समस्याओं का समाधान करने के लिए नेता बनें। उनका दुख आपको चैन से सोने न दे, जब तक यह भाव पैदा नहीं होगा, लीडर बनना मुश्किल होता है।
लॉस एंजिलिस में वर्ल्ड स्पेशल ओलंपिक में मेडल जीतने वाली एक बच्ची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि आपको कौन सा गेम पसंद है?
पीएम मोदी का जवाब: जब लड़कियां खेलों में आगे जाती हैं तो इसमें उनकी मां का बड़ा रोल होता है। शारीरिक क्षमता में कमी होने के बावजूद कमाल करने वाली सोनिया के टीचर का मैं अभिनंदन करता हूं। राजनीति वाले क्या खेल खेलते हैं, सबको मालूम है। मैं कबड्डी, खोखो खेलता था। कपड़े धोने तालाब में जाता था, वहां तैरता था, वह हॉबी बन गई। थोड़ा बाद में योग मेरी हॉबी बन गई।
देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी स्थित केंद्रीय विद्यालय के छात्र सार्थक सार्थक भारद्वाज (जूनियर मास्टर शेफ में भाग लेकर जीतने वाले) ने पूछा, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम अनेाखा है, लेकिन देश में कई जगह बिजली नहीं, बिजली बिना यह कार्यक्रम कैसे सफल होगा?
पीएम ने जवाब में कहा- तुम्हारी फेवरिट डिश कौन सी है? खाना बनाने का शौक कैसे आया? यह बात सही है कि देश के 18 हजार गांवों में बिजली नहीं है। मैने अगले हजार दिनों में सभी गांवों में बिजली पहुचांने को कहा है। हम डिजिटल इंडिया से अछूते नहीं रह सकते। डिजिटल इंडिया एम्पावर मूवमेंट है और बिजली इसमें रुकावट नहीं बनेगी। देश जब आजादी के 75 साल मनाएगा, तब जरूरी है कि घरों में 24*7 बिजली हो, यह मेरा स्वप्न है।
बेंगलुरु के न्यू होराइजन पब्लिक सकूल से टीम पैंटागन ने पूछा, स्वच्छ भारत अभियान के तहत वेस्ट मैनेंजमेंट (Waste management) की खराब हालत को लेकर क्या समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
पीएम मोदी का जवाब: शुरु में लगा था कि अभियान में समस्याएं आएंगी। लेकिन, मेरा देश स्वच्छ होकर रहेगा। अगर हम लोग गंदगी से नफरत करेंगे, तो स्वच्छता आएगी ही। आपके उत्साह को देखकर लगता है कि यह पूरा होकर रहेगा। इस कार्यक्रम का हर कोई समर्थन कर रहा है। मीडिया ने इसे आगे बढ़ाया। हम वेस्ट मैनेजमेंट किए बिना स्वच्छता नहीं ला सकते। आज देश में बहुत बड़ी संख्या में पेशेवर वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में आगे आ रहे हैं। आज कूडा अपने आप में बहुत बड़ा व्यवसाय है।
दिशा स्कूल फॉर स्पेशल चिल्ड्रन (पणजी, गोवा) की छात्रा सोनिया येलप्पा पाटिल ने पूछा, आपको कौन सा गेम पसंद है?
पीएम मोदी का जवाब: जब लड़कियां खेल में आगे जाती हैं, तो उनकी मां का बड़ा रोल होता है। मैं शारीरिक क्षमता में कमी होने के बावजूद कमाल करने वाली सोनिया के टीचर को अभिनंदन करता हूं। सबको मालूम है कि राजनीति वाले क्या खेल खेलते हैं (सब हंस पड़े)। मैं बचपन में बिस्तर पर खूब खेलता था। कबड्डी और खोखो खेलता था। कपड़े धोने तालाब में जाता था तो तालाब में तैरता था। वह भी मेरी हॉबी बन गई। बाद में योगा भी मेरी हॉबी बन गई।
आईआईपीई लक्ष्मी रमन मैट्रिक हायर सीनियर सेकेंड्री स्कूल से के विसालिनी ने देश सेवा को लेकर सवाल किया।
पीएम मोदी ने कहा- कुछ लोगों के मन में देश सेवा करने का प्रण होता है। देश की सेवा हम छोटी-छोटी चीजों से भी कर सकते हैं। हम बिजली की बचत कर देशसेवा कर सकते हैं। सामान्य व्यवहार में लाएं कि अपने समय और शक्ति का उपयोग देश के लिए करें।
बोकारो के केंद्रीय विद्यालय नंबर वन की छात्रा अंशिका ने पूछा-किसी छात्र के लिए सफलता की क्या रेसिपी हो सकती है?
पीएम मोदी ने कहा- सफलता की कोई रेसिपी न हो सकती है और न होनी चाहिए। हम विफल न हों, यह ठान लें। ऐसे करेंगे तो सफलता आपके कदम चूमेगी। एक भी विफलता सपनों का कब्रिस्तान बना देती है, हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए। 1913 में लिखी गई किताब पॉलीऐना पढ़ें। उसमें हर चीज को कैसे सकारात्मक देखें, यह सिखाया गया है। यह किताब जीवन के सकारात्मक पक्ष को बताती है। सफलता को समय की पाबंदी में मत डालिए। सफलता का कोई पैमाना तय मत कीजिए।
जम्मू कश्मीर के कुलगाम स्थित केंद्रीय विद्यालय की छात्रा राबिया नजीर से ने पूछा, जब आप छात्र थे आपका क्लास रूम में अनुभव ज्यादा अच्छा रहा या फिर क्लास रूम के बाहर।
पीएम मोदी ने जवाब दिया- मेरा ऑब्जर्वेशन का स्वभाव था। मैंने देखा कि 1965 के युद्ध के दौरान फौजियों के लिए लोग मिठाई लेकर जा रहे थे तो देखा कि लोग देश के लिए मर मिटने के लिए जा रहे हैं। ऐसा देखकर सीखने का प्रयास करने लगा। मैंने चीजों को ऑब्जर्व कर काफी सीखा।
दिल्ली के गोल मार्केट स्थित केंद्रीय विद्यालय से छात्रा रिनिकी बोडोलोई ने पूछा, आपकी साहित्य में रूचि कैसे जगी?
पीएम मोदी ने जवाब दिया- हर इंसान के भीतर कविता का वास होता है। कुछ की कविता कलम से तो कुछ की आंसू से निकलती है। मैंने जो लिखा, उसे अभी कविता नहीं कह सकता। यहां उपस्थित बच्चों में कइयों ने कविताएं लिखी होंगी।
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