चेन्नई:
द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधी ने सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुल्लापेरियार बांध विवाद में हस्तक्षेप करने की मांग की। करुणानिधी ने तमिलनाडु के दो दिवसीय दौरे पर आए प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने केरल पर ऐसी स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया जिसमें तमिलनाडु और केरल के लोगों को दो अगल-अलग देश के नागरिकों की तरह लड़ने पर उकसाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केरल की ओर से लगातार चलाए जा रहे अभियान ने कई अवांछनीय घटनाओं को जन्म दिया है, जिससे दोनों राज्य के लोगों के बीच दुश्मनी पैदा हो गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस वजह से केरल में रह रहे तमिलों को राज्य छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस ज्ञापन में तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों के प्रभावित लोगों की भावनाओं के उबाल का भी हवाला दिया गया है, जिनकी सिंचाई की जरूरतें मुल्लापेरियार बांध से पूरी होती हैं। ज्ञापन के अनुसार, अगर जल्द ही यह स्थिति नहीं बदली, तो दोनों राज्य के लोगों के बीच स्थायी तनाव और दरार पैदा हो जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि बांध का मुद्दा अभी उच्चतम न्यायालय के ध्यानार्थ है और केरल सरकार की ओर से पानी के स्तर को कम करने और नया बांध बनाने के प्रयास को न्यायिक प्रक्रिया को भंग करने और तमिलनाडु के लोगों को न्याय से वंचित रखने के प्रयास के तौर पर देखा जाना चाहिए। द्रमुक नेता ने कहा है कि तमिलनाडु सरकार की ओर से बांध को मजबूत करने के प्रयासों के बावजूद, केरल ने पानी के स्तर को 136 फुट पर बनाए रखने और उसे घटा कर 120 फुट करने का प्रयास जारी रखा है। उन्होंने ज्ञापन के जरिए कहा, केरल की सरकार अगर अपने रुख पर अड़ी रहती है, तो तमिलनाडु के कम से कम पांच दक्षिणी जिले सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से रेगिस्तान बन जाएंगे।
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