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This Article is From Feb 01, 2012

गुजरात दंगा : नरेंद्र मोदी को हाईकोर्ट से मिली राहत

गुजरात दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग के सामने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पेश होने के लिए समन जारी करने की मांग वाली याचिका खारिज हो गई है।
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अहमदाबाद: गुजरात के मुख्यमंत्री को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने आज वह याचिका खारिज कर दी जिसमें वर्ष 2002 में हुए दंगों के सिलसिले में नरेंद्र मोदी से पूछताछ करने के लिए नानावती आयोग को उन्हें (मोदी को) सम्मन जारी करने संबंधी आदेश देने का आग्रह किया गया था।

न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और सोनिया गोकानी की एक पीठ ने गैर सरकारी संगठन जनसंघर्ष मोर्चा (जेएसएम) का आवेदन खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि गवाहों को बुलाने के लिए आयोग के पास व्यापक विवेकाधीन अधिकार हैं।
अदालत ने आगे कहा कि जेएसएम के, मोदी को तलब करने के लिए आदेश देने की मांग कर रहे आवेदन में उसे कोई खास बात नहीं मिली।

कुछ दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे जेएसएम ने पूर्व में भी मोदी को दंगा मामले में पूछताछ के लिए समन जारी करने की मांग करते हुए न्यायमूर्ति जी टी नानावती और न्यायमूर्ति अक्षय मेहता के आयोग से अनुरोध किया था। लेकिन आयोग ने वह आग्रह खारिज कर दिया था। इसके बाद जेएसएम ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

नानावती आयोग वर्ष 2002 में हुए दंगा मामलों की जांच कर रहा है। जेएसएम के वकील मुकुल सिन्हा ने अदालत में तर्क दिया कि आयोग को चाहिए कि वह मोदी को समन जारी करे क्योंकि मुख्यमंत्री की भूमिका जांच कर रहे पैनल के दायरे में आती है। गुजरात के मुख्यमंत्री को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने आज वह याचिका खारिज कर दी जिसमें वर्ष 2002 में हुए दंगों के सिलसिले में नरेंद्र मोदी से पूछताछ करने के लिए नानावती आयोग को उन्हें (मोदी को) सम्मन जारी करने संबंधी आदेश देने का आग्रह किया गया था। न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और सोनिया गोकानी की एक पीठ ने गैर सरकारी संगठन जनसंघर्ष मोर्चा (जेएसएम) का आवेदन खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि गवाहों को बुलाने के लिए आयोग के पास व्यापक विवेकाधीन अधिकार हैं। अदालत ने आगे कहा कि जेएसएम के, मोदी को तलब करने के लिए आदेश देने की मांग कर रहे आवेदन में उसे कोई खास बात नहीं मिली। कुछ दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे जेएसएम ने पूर्व में भी मोदी को दंगा मामले में पूछताछ के लिए समन जारी करने की मांग करते हुए न्यायमूर्ति जी टी नानावती और न्यायमूर्ति अक्षय मेहता के आयोग से अनुरोध किया था। लेकिन आयोग ने वह आग्रह खारिज कर दिया था। इसके बाद जेएसएम ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। नानावती आयोग वर्ष 2002 में हुए दंगा मामलों की जांच कर रहा है।

जेएसएम के वकील मुकुल सिन्हा ने अदालत में तर्क दिया कि आयोग को चाहिए कि वह मोदी को समन जारी करे क्योंकि मुख्यमंत्री की भूमिका जांच कर रहे पैनल के दायरे में आती है।

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