भारत ने कर्नाटक में औपनिवेशिक युग की खदानों के एक क्लस्टर से 50 मिलियन टन संसाधित अयस्क से सोना निकालने के लिए बोलियां आमंत्रित करने की योजना बनाई है. मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. बेंगलुरु से लगभग 65 किलोमीटर (40 मील) उत्तर-पूर्व में स्थित कोलार फील्ड देश की सबसे पुरानी सोने की खदानों में से एक है. समाचार एजेंसी रॉयटर ने यह खबर दी है.
बीस साल पहले बंद हुई कोलार खदानों में लगभग 2.1 बिलियन डॉलर का सोना जमा है. भारत अब नई तकनीक का लाभ उठाने का इच्छुक है. इसके जरिए अतीत में संसाधित किए गए अयस्क के बचे हुए हिस्से से भी सोना निकाला जा सकता है.
आधिकारिक नियमों के अनुरूप अपना नाम जाहिर न करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि
सरकार का लक्ष्य सोने के अलावा प्रसंस्कृत अयस्क, या डंप से पैलेडियम निकालना भी है. अधिकारी ने कहा, 'हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि प्रसंस्कृत अयस्क में फंसे इस सोने के भंडार का कैसे लाभ लिया जाए.' उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सरकार अगले चार से छह महीनों में बोलियां आमंत्रित कर सकती है.
निर्णय लेने में सीधे तौर पर शामिल अधिकारी ने कहा, "हमारी एकमात्र बाधा यह है कि केवल विदेशी कंपनियों के पास प्रसंस्कृत अयस्क से सोना निकालने की तकनीक और अनुभव है. हालांकि विदेशी कंपनियां स्थानीय कंपनियों के साथ गठजोड़ कर सकती हैं या एक कंसोर्टियम भी बना सकती हैं."
केंद्रीय खान मंत्रालय ने रॉयटर्स की ओर से टिप्पणी के लिए किए गए ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया.
चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है और आयात के जरिए अपनी अधिकांश मांग पूरी करता है.
जुलाई में भारत ने व्यापार घाटे को कम करने और भारतीय रुपये पर दबाव कम करने के प्रयास में मांग को कम करने के लिए सोने के आयात पर शुल्क 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, भारत में सोने की मांग एक साल पहले की तुलना में 14 फीसदी बढ़कर सितंबर में समाप्त तिमाही में 191.7 टन हो गई.
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