महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार से बगावत करके गुवाहाटी के होटल में डेरा जमाए बैठे मंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना के 38 बागी विधायकों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि सोमवार को सभी के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका सात नागरिकों ने दी है, जिसमें शिवसेना के बागियों पर अपने आधिकारिक कर्तव्यों की "उपेक्षा" करने का आरोप लगाया गया है. आरोप लगाते हुए मांग की गई है कि कोर्ट उन्हें निर्देश दें कि वे कार्यालय फिर से शुरू करें.
जा सकती है बागियों की मंत्रिपद
गौरतलब है कि बागी विधायक 22 जून से मुंबई से करीब 2,700 किलोमीटर दूर गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं, जिससे राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है. इधर, राज्य में जारी सियासी उथलपुथल के बीच उद्धव एक्शन मोड में आ गए है. सूत्रों की मानें तो उन्होंने बागी विधायक जो मंत्री भी हैं के पोर्टफोलियो को छीनने का मन बना लिया है. अगर ऐसा हुआ तो बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे, गुलाबराव पाटिल, दादा भूसे शिंदे, राज्य मंत्री अब्दुल सत्तार और शंभूराजे देसाई की मंत्रीपद जा सकती है.
याचिका को चुनौती देते हुए याचिका दायर
हालांकि, इस संभावना के बीच शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया है. उनकी ओर से कोर्ट में दो याचिका दायर की गई है, जिस पर आज सुनवाई होनी है. दरअसल, विधानसभा उपाध्यक्ष ने 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया था और शिवसेना की मीटिंग में सामिल नहीं होने के मामले में सफाई देने की मांग की थी. इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और पार्टी द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित करने वाली याचिका को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है.
एकनाथ शिंदे द्वारा ये याचिका दायर की गई है. इसके साथ ही एक और याचिका दायर की गई है, जिसमें विधानसभा में शिवसेना विधायक दल के नेता और चीफ व्हिप की नियुक्तियों में बदलाव को चुनौती दी गई है.
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