विज्ञापन
This Article is From Aug 19, 2020

विकास दुबे एनकाउंटर मामले में गठित न्यायिक आयोग को भंग करने की अर्जी खारिज

चीफ जस्टिस ने कहा- जस्टिस बीएस चौहान सुप्रीम कोर्ट के एक सम्मानित न्यायाधीश रहे हैं, उनके रिश्तेदारों से कभी कोई समस्या नहीं थी, अब आपको कोई समस्या क्यों है?

विकास दुबे एनकाउंटर मामले में गठित न्यायिक आयोग को भंग करने की अर्जी खारिज
विकास दुबे के एनकाउंटर के घटनास्थल की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विकास दुबे एनकाउंटर मामले (Vikas Dubey encounter Case) में पहले से गठित न्यायिक आयोग को भंग करने की अर्जी खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि जस्टिस बीएस चौहान आयोग ही मामले की जांच करता रहेगा. याचिकाकर्ता घनश्याम दुबे ने अर्जी में कहा कि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान के भाई और समधी बीजेपी के नेता हैं, जबकि पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता कानपुर के आईजी के रिश्तेदार हैं, जहां विकास दुबे का कथित एनकाउंटर हुआ था. ऐसे में यह आयोग निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगा. 

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने वकील घनश्याम उपाध्याय पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि जस्टिस बीएस चौहान सुप्रीम कोर्ट के एक सम्मानित न्यायाधीश रहे हैं. वह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं. उनके रिश्तेदारों से कभी कोई समस्या नहीं थी. अब आपको कोई समस्या क्यों है?

वकील ने न्यायमूर्ति बीएस चौहान के पारिवारिक कनेक्शन पर मीडिया में आर्टिकल को दिखाया. CJI ने कहा कि हम एक समाचार पत्र के साक्षात्कार के आधार पर इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पर आशंकाएं नहीं रखेंगे. क्या कोई रिश्तेदार घटना या जांच से जुड़ा है? वह निष्पक्ष क्यों नहीं हो सकते? ऐसे न्यायाधीश हैं जिनके पिता / भाई सांसद हैं. क्या आप कह रहे हैं कि वे सभी पक्षपाती न्यायाधीश हैं? क्या किसी राजनीतिक दल का संबंध किसी गैरकानूनी कार्य से है?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि न्यायमूर्ति बीएस चौहान की नियुक्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप "अपमानजनक" हैं. उपाध्याय ने कहा कि यूपी मुठभेड़ों का राज्य बनता जा रहा है. वे पूरी कानूनी व्यवस्था को परेशान कर रहे हैं. कुछ दिन पहले ही राजीव पांडे का एनकाउंटर हुआ है. चीफ जस्टिस ने कहा कि अब आप अप्रासंगिक बातें कह रहे हैं. हर राज्य में हजारों अपराध होंगे. इस आयोग के साथ इस पर क्या करना है?

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से जस्टिस शशिकांत और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को हटाने से इनकार करते हुए आयोग के पुनर्गठन की अर्जी खारिज कर दी थी.  सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई की मांग पर कहा कि 'जब आयोग में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं तो चिंता की क्या बात है.' कोर्ट ने केएल गुप्ता को बदलने पर भी विचार करने से इनकार कर दिया था. 

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, 'जांच आयोग में एक सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, एक हाईकोर्ट के जज भी हैं. एक अधिकारी के कारण जांच आयोग को समाप्त करने पर विचार नहीं किया जा सकता है.' सीजेआई ने कहा, 'केएल गुप्ता ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है और यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिए.'

याचिकाकर्ता ने कहा कि पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता अपने मीडिया इंटरव्यू में पहले ही पुलिस को क्लीन चिट दे चुके हैं. ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे हो सकती है. इस पर यूपी सरकार की तरफ से पेश वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'यह बयान गुप्ता ने जांच आयोग के गठित होने से पहले दिया था, साथ ही उन्होंने जांच की बात भी की थी.' एसजी ने कहा कि 'बयान को सेलेक्टिव तौर पर नहीं पढ़ा जा सकता. केएल गुप्ता ने कहा था कि एक बार जांच खत्म हो जाने के बाद अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे दंडित किया जाएगा.'

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग को पुनर्गठित करने की मांग की गई थी. आवेदन वकील घनश्याम उपाध्याय और अनूप प्रकाश अवस्थी ने दायर किया था. दोनों उन याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं जिन्होंने दो जुलाई को आठ पुलिस कर्मियों की हत्या और विकास दुबे व उसके कुछ साथियों के एनकाउंटर की जांच CBI या NIA से कराने की गुहार लगाई थी. 

घनश्याम उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की न्यायिक जांच के लिए यूपी सरकार की ओर से तय किए गए जस्टिस शशिकांत अग्रवाल के नाम पर आपत्ति जताई थी. उनका कहना था कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिटायर नहीं हुए थे बल्कि ट्रांसफर के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दिया था. इसलिए उनको जांच आयोग में शामिल न किया जाए. अवस्थी ने पूर्व महानिदेशक केएल गुप्ता को आयोग में शामिल करने पर आपत्ति जताते हुए गुहार लगाई कि आयोग का पुनर्गठन किया जाए और इसमें केएल गुप्ता की जगह किसी दूसरे पूर्व महानिदेशक को शामिल किया जाए. उनका आरोप था कि कानपुर एनकाउंटर के बाद केएल गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए एनकाउंटर का बचाव किया था, लिहाजा इस जांच में पक्षपात होने की आशंका है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com