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This Article is From Nov 07, 2022

बीजेपी के ट्रैप में फंस गए हैं असदुद्दीन ओवैसी : NDTV से RJD सांसद मनोज झा

आरजेडी नेता ने कहा, " सहानुभूति के बावजूब हम 1794 वोट से हारे. ऐसा इसलिए क्योंकि मौत के बाद उन लोगों में भी दया होती है, जिन्होंने सुभाष सिंह को शायद 2020 में वोट नहीं दिया था."

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बीजेपी के ट्रैप में फंस गए हैं असदुद्दीन ओवैसी :  NDTV से RJD सांसद मनोज झा
सालों से बीजेपी के खाते में रही सीट पर फिर एक बार बीजेपी उम्मीदवार कुसुम देवी ने जीत हासिल की. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा उपचुनाव में गोपालगंज सीट पर आरजेडी की हार हुई. सालों से बीजेपी के खाते में रही सीट पर फिर एक बार बीजेपी उम्मीदवार कुसुम देवी ने जीत हासिल की. यह सीट चार बार के बीजेपी विधायक सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली हो गयी थी और उनकी पत्नी कुसुम देवी अब विधानसभा में प्रतिनिधित्व करेंगी. इधर, इस सीट पर आरजेडी की हार को लेकर मंथन शुरू हो गया है. इसी सिलसिले में NDTV ने आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा से बात की. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, "  मेरा मानना है कि गोपालगंज को थोड़ा स्टूडियो की बाईनरी नजरीए से अलग ले जाईए. हिंदुस्तान में अब तक मौत के बाद जो रिक्ती होती है, उस पर जो चुनाव होता हैं, उनका वोटिंग पेटर्न देख लीजिए आपको बहुत चीजें स्पष्ट होंगी."

मनोज झा ने कहा, " सुभाष सिंह की असमय मृत्यु हुई, उनकी पत्नी चुनाव लड़ रही थी. पिछली बार इसी सीट पर हम 40 हज़ार वोट से हारे थे. पिछली बार कोई प्राचीन काल की बात नहीं है, 2020 की बात है. इस बार हम 1794 वोट से हारे. 10 से 11 राउंड हम लीड कर रहे थे. किसी को नहीं पता था कि आखिरी राउंड में कौन जीतेगा. हार हुई तो है, लेकिन ये देखने वाली बात है कि हमने वोटों के फासले को भर दिया है."

आरजेडी नेता ने कहा, " सहानुभूति के बावजूद हम 1794 वोट से हारे. ऐसा इसलिए क्योंकि मौत के बाद उन लोगों में भी दया होती है, जिन्होंने सुभाष सिंह को शायद 2020 में वोट नहीं दिया था. मैं समझता हूं कि इस दृष्टिकोण को भी सामने रखा जाए."

ओवौसी के संबंध में उन्होंने कहा, " मेरा मानना है बीजेपी विरोध में वो स्टूडियों में बैठकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. उनको तय करना होगा कि वो अपनी राजनीत की परीनीत कहां देखते हैं. क्या वो उसी नाव में छिद्र करेंगे? जो नाव एक विकल्प की तरह उभर रही है, उसका क्या आप साथ देंगे? बेरेस्टर साहब की पूरी पॉलोटिक्स अगर मैं बीते कुछ सालों की देखूं तो
बहुत अग्रेसिवली एक आवरण की तहत वो प्रो बीजेपी पालेटिक्स के ट्रेप में आ गए हैं."

आरजेडी नेता ने कहा, " सच्चाई से इनकार करने के लिए मैं यहां नहीं बैठा हूं. सच्चाई का विश्लेषण करने बैठा हूं.
मेरा मानना है कि राष्ट्रीय जनता दल ने (अगर आप लेजिस्लेटिव और पार्लियामेंट्री डिस्कोर्स को निकाल ले, वैसे सभी मसले जिसमें माइनोरिटी के बीच में अलगाव पैदा हुआ हो) बीते 8 से 10 वर्षों में लाभ हानी की परवाह किए बगैर अपनी बात पुख्ता तरीके से रखी. उसके बावजूद अगर बेरिस्टर साहब हैदराबाद से चलके गोपालगंज पहुंचते हैं, जहां उनको पता था कि एक तरह से नरेटिव हमारे पक्ष में था. उस नरेटिव को डिस्ट्रॉय करने के लिए अगर आप आते हैं, तो ठीक है." 

ओवैसी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, " वोटर ने वोट किया उनके विस्डम को मैं चेलेंज नहीं कर रहा हूं. लेकिन मैं बेरिस्टर सहाब के विवेक को कह रहा हूं. ये कि बेरिस्टर साहब आप ये देखिए कि आपकी राजनीत से हिंदुस्तान की राजनीत की संक्रमण काल में किसको फायदा हो रहा है. बाकि पार्टी की तरह हमपे कोई ब्लेम नहीं कर सकता है कि तेजस्वी यादव मुसलमानों के मुद्दे पर चुप हो जाते हैं. उनके सांसद चुप हो जाते हैं. हम साफ प्रबलता से अपनी बात रखते हैं. कभी कुछ औऱ स्वीकार नहीं करते हैं." 

मनोज झा ने कहा, " असदुद्दीन ओवैसी की बेरिस्ट्री का मैं कायल हूं. वो एक एक्सक्लूज़न की पॉलिटिक्स करते हैं. उनकी जुबान एक्सक्लूज़न की है. इनकी जुबान को हम देखते रहे तो देश में जेपी की धारा खत्म हो जाएगी. अतिरेग की राजनीति होगी. उनका अधिकार है कि वो चुनाव लड़ें बीजपी के खिलाफ, लेकिन बड़ी-बड़ी बात न करें."

उन्होंने कहा, " मैं लारजर पिक्चर में बात कर रहा हूं. उनके संविधान की समझ का मैं कायल हूं. मैं उनके विवेक से कह रहा हूं. अभी तेलंगाना में एक उपचुनाव हुआ, आपने कैंडिडेट नहीं दिया. लेकिन आपने गोपालगंज में दे दिया, जब की वहां का नतीजा आप जानते थे. आप चुनाव लड़िए. आप हमें अछूत कहते हैं. ये शब्दावली हमारी नहीं है. अगर हम बीजेपी की जुबान से लड़ रहे हैं, तो हमें औरों के जुबान से भी बराबर की दूरी बनानी होगी. ये चुनौती भारा है लेकिन हम इस चुनौती को स्वीकार कर रहे हैं."

आरजेडी नेता ने कहा, " देश की राजनीति पर एक मुहावरा कहता हूं, "काठ की हांडी". ये हांडी एक बार, दो बार या तीन बार चढ़ जाए. लेकिन चौथी बार नहीं चढ़ेगी. वो राजनीति खत्म होगी. सीमांचल के 5 में से 4 विधायक आ गए, इसलिए क्योंकि जन दबाव था. लोग तेजस्वी की राजनीति में नई संभावना देख रहे हैं." 

उन्होंने कहा, " मैं उनके खिलाफ नहीं हूं. उनको अपनी राजनीति की दशा और दिशा तय करनी होगी. अगर आप चाहते हैं कि दक्षिण पंथी अधिनायक वादी का एक्सपायरी डेट आए, तो आपको अपने राजनीति के सेंस को रिवाइव करना होगा. हम यहां (गोपालगंज) 1794 वोट से हार गए. ये किसी के बीच में अवधारणा गलत हुई है, तो इसे सही करने का काम भी हमारा है. हम ये चुनौती लेने के लिए तैयार हैं. हम उनके बीच में जाकर उन्हें एजुकेट करेंगे. लोगों को एजुकेट करना हमारी ज़िम्मेदारी है. तेजस्वी ये बड़े स्केल में करने वाले हैं."

झा ने कहा, " ओवैसी साहब को पॉलिटिकल मेट्रिक्स को रिवाइज करना होगा. बीजेपी के अतिरेक की जुबान के बरकस आप अतिरेक की जुबान करते हैं. ये राजनीति को खराब करती है. ये हमने पार्टिशन के पहले भी देखा. भगवान न करे ऐसा हो. इससे देश के लिए खराब होगा."

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