नई दिल्ली:
कर आकलन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राजस्व विभाग ने प्रस्ताव किया है कि करदाताओं द्वारा आयकर रिटर्न व संशोधित रिटर्न हर आकलन वर्ष में मार्च अंत तक दाखिल करना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए. वित्त विधयेक 2017 के ज्ञापन के अनुसार विभाग ने आयकर रिटर्न दाखिल करने में देरी करने पर शुल्क लगाने का भी प्रस्ताव किया है. जिन करदाताओं की आय पांच लाख रुपये से अधिक नहीं है उन पर 1000 रुपये का शुल्क लगाया जा सकता है.
इसी तरह अगर पांच लाख रुपये से अधिक आय वाला निर्धारित आकलन वर्ष में तय समय जुलाई के बाद व 31 दिंसबर तक रिटर्न दाखिल करता है तो 5000 रुपये का जुर्माना शुल्क लगाने का प्रस्ताव है. वहीं दिसंबर के बाद आईटीआर दाखिल करने पर 10,000 रुपये के शुल्क का प्रस्ताव है.
इसका मतलब है कि कर निर्धारिती अपनी आईटीआर आकलन वर्ष के मार्च अंत तक दाखिल करें. उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2017-18 की रिटर्न आखिर में मार्च 2019 के अंत तक दाखिल करनी होगी.
बता दें कि वित्त मंत्री ने आम बजट पेश करते हुए आयकर रिटर्न जमा करने को लेकर सरकार की सख्ती के संकेत दे दिए थे.
कर आकलन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राजस्व विभाग ने प्रस्ताव किया है कि करदाताओं द्वारा आयकर रिटर्न व संशोधित रिटर्न हर आकलन वर्ष में मार्च अंत तक दाखिल करना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए. वित्त विधयेक 2017 के ज्ञापन के अनुसार विभाग ने आयकर रिटर्न दाखिल करने में देरी करने पर शुल्क लगाने का भी प्रस्ताव किया है. जिन करदाताओं की आय पांच लाख रुपये से अधिक नहीं है उन पर 1000 रुपये का शुल्क लगाया जा सकता है.
इसी तरह अगर पांच लाख रुपये से अधिक आय वाला निर्धारित आकलन वर्ष में तय समय जुलाई के बाद व 31 दिंसबर तक रिटर्न दाखिल करता है तो 5000 रुपये का जुर्माना शुल्क लगाने का प्रस्ताव है. वहीं दिसंबर के बाद आईटीआर दाखिल करने पर 10,000 रुपये के शुल्क का प्रस्ताव है.
इसका मतलब है कि कर निर्धारिती अपनी आईटीआर आकलन वर्ष के मार्च अंत तक दाखिल करें. उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2017-18 की रिटर्न आखिर में मार्च 2019 के अंत तक दाखिल करनी होगी.
बता दें कि वित्त मंत्री ने आम बजट पेश करते हुए आयकर रिटर्न जमा करने को लेकर सरकार की सख्ती के संकेत दे दिए थे.
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