महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
श्रीनगर:
पीडीपी और बीजेपी का गठबंधन आगे जारी रहेगा या नहीं, इसका फैसला आज होने की संभावना है। हालांकि बीजेपी के नेता दुआ कर रहे हैं कि यह गठबंधन बना रहे। इस पर फैसले के लिए पीडीपी की 2 बजे बैठक हो रही है। बैठक में पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती ने अपने सभी विधायकों, पूर्व मंत्रियों तथा सांसदों को बुलाया है। सबकी धड़कनें इसलिए तेज हैं कि मुफ्ती ने अपने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वैसे, इस बात की चर्चा गरम है कि यह ऐतिहासिक समझौता टूट की कगार पर है।
मुफ्ती मुहम्मद सईद की मौत के बाद महबूबा मुफ्ती के सामने यह समस्या आन खड़ी हुई है कि वह बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन करके सरकार बनाए या छोड़ दे। इसके पीछे उन्हें पार्टी के भीतर ही बड़े स्तर पर विपक्षी तेवर नजर आ रहे हैं। पार्टी के नेता कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ सरकार फिर से क्यों बनाई जाए, क्योंकि कश्मीर में फार्टी जनाधार खिसकता नजर आ रहा है। पीडीपी के ज्यादातर नेता मानते हैं कि बीजेपी और पीडीपी दोनों की विचारधारा में जमीन और आसमान का अंतर है। लिहाजा यह मिलन बहुत ज्यादा दिन तक जारी नहीं रह सकता।
कहा यह भी जा रहा है कि पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती पहले ही इसे लेकर फैसला कर चुकी हैं, बस ऐलान होना बाकी है। लोग जानते हैं कि महबूबा यह जोखिम लेने से पीछे नहीं हटेंगी। गौरतलब है कि वोट बैंक की खातिर ही महबूबा के कहने पर उनकी उनकी पार्टी ने 2008 में कांग्रेस से समर्थन वापस लेकर सरकार को गिरा दिया था।
पीडीपी को कांग्रेस से प्रत्यक्ष और नेशनल कॉन्फ्रेंस से अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन दिए जाने का ऑफर मिल रहा है तो अगर पीडीपी अगर बीजेपी के साथ 10 माह पुराने गठबंधन को तोड़ने का फैसला लेती है तो किसी को हैरानी नहीं होगी। उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने यह कहकर राजनीति गरमा दी है कि अगर बीजेपी की ओर से सरकार बनाने पर कोई प्रस्ताव आता है तो वह उस पर विचार करने को तैयार हैं।
मुफ्ती मुहम्मद सईद की मौत के बाद महबूबा मुफ्ती के सामने यह समस्या आन खड़ी हुई है कि वह बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन करके सरकार बनाए या छोड़ दे। इसके पीछे उन्हें पार्टी के भीतर ही बड़े स्तर पर विपक्षी तेवर नजर आ रहे हैं। पार्टी के नेता कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ सरकार फिर से क्यों बनाई जाए, क्योंकि कश्मीर में फार्टी जनाधार खिसकता नजर आ रहा है। पीडीपी के ज्यादातर नेता मानते हैं कि बीजेपी और पीडीपी दोनों की विचारधारा में जमीन और आसमान का अंतर है। लिहाजा यह मिलन बहुत ज्यादा दिन तक जारी नहीं रह सकता।
कहा यह भी जा रहा है कि पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती पहले ही इसे लेकर फैसला कर चुकी हैं, बस ऐलान होना बाकी है। लोग जानते हैं कि महबूबा यह जोखिम लेने से पीछे नहीं हटेंगी। गौरतलब है कि वोट बैंक की खातिर ही महबूबा के कहने पर उनकी उनकी पार्टी ने 2008 में कांग्रेस से समर्थन वापस लेकर सरकार को गिरा दिया था।
पीडीपी को कांग्रेस से प्रत्यक्ष और नेशनल कॉन्फ्रेंस से अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन दिए जाने का ऑफर मिल रहा है तो अगर पीडीपी अगर बीजेपी के साथ 10 माह पुराने गठबंधन को तोड़ने का फैसला लेती है तो किसी को हैरानी नहीं होगी। उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने यह कहकर राजनीति गरमा दी है कि अगर बीजेपी की ओर से सरकार बनाने पर कोई प्रस्ताव आता है तो वह उस पर विचार करने को तैयार हैं।
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