तस्वीर सौजन्य - casestatus.in
पटना:
पटना हाईकोर्ट के एक जज ने पिछले हफ्ते रिटायर हुए अपने बॉस और मुख्य न्यायाधीश के बारे में एक चिट्ठी में लिखा है 'उनके लिए नियम कुछ मायने ही नहीं रखते थे और वो खुद को जैसे मुग़ल बादशाह समझते थे।' 1 अगस्त, 2015 को लिखी गई ये चिट्ठी जस्टिस धरणीधर झा ने भेजी है जो करीब आठ साल तक हाईकोर्ट के जज रहे हैं। एक चार पेज की चिट्ठी में उन्होंने साफ किया कि वह मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी को दिए जाने वाले विदाई समारोह का हिस्सा नहीं बनेंगे।
जस्टिस झा ने कहा कि रिटायर होने वाले जज भ्रष्ट थे और 'जात-पात को तवज्जो' देते थे। उन्होंने ये भी लिखा की पूर्व चीफ, कानूनी अफसरों से ऐसी जगह काम करने को कहते थे जो कुछ समय पहले तक 'बाथरूम' हुआ करते थे। जस्टिस झा लिखते हैं 'उनका रवैया कभी भी जज जैसा नहीं था, वो तो एक नेता की तरह काम करते थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और नीतियों को तो वो हवा में उड़ा देते थे।'
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने एनडीटीवी से बातचीत में किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं की लेकिन अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में रेड्डी ने कहा 'जब तक मैं वहां था, तब तक मेरे किसी फैसले पर उन्होंने आवाज़ नहीं उठाई, जबकि सारे फैसले कोर्ट मीटिंग में हुआ करते थे। अब वह एक चिट्ठी लिख रहे हैं जो मैंने देखी तक नहीं है। ये बदसलूकी है क्योंकि वह मुझ पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं जिसका कोई सिर-पैर नहीं है।' चिट्ठी लिखने वाले जज ने ये आरोप भी लगाया है कि पूर्व जस्टिस ने समारोह के लिए बिना किसी को शामिल किए वेंडर के ठेके को मंजूरी दे दी, जबकि किसी को नहीं पता कि कितने का खर्चा मंजूर हुआ है।
जस्टिस झा ने कहा कि रिटायर होने वाले जज भ्रष्ट थे और 'जात-पात को तवज्जो' देते थे। उन्होंने ये भी लिखा की पूर्व चीफ, कानूनी अफसरों से ऐसी जगह काम करने को कहते थे जो कुछ समय पहले तक 'बाथरूम' हुआ करते थे। जस्टिस झा लिखते हैं 'उनका रवैया कभी भी जज जैसा नहीं था, वो तो एक नेता की तरह काम करते थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और नीतियों को तो वो हवा में उड़ा देते थे।'
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने एनडीटीवी से बातचीत में किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं की लेकिन अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में रेड्डी ने कहा 'जब तक मैं वहां था, तब तक मेरे किसी फैसले पर उन्होंने आवाज़ नहीं उठाई, जबकि सारे फैसले कोर्ट मीटिंग में हुआ करते थे। अब वह एक चिट्ठी लिख रहे हैं जो मैंने देखी तक नहीं है। ये बदसलूकी है क्योंकि वह मुझ पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं जिसका कोई सिर-पैर नहीं है।' चिट्ठी लिखने वाले जज ने ये आरोप भी लगाया है कि पूर्व जस्टिस ने समारोह के लिए बिना किसी को शामिल किए वेंडर के ठेके को मंजूरी दे दी, जबकि किसी को नहीं पता कि कितने का खर्चा मंजूर हुआ है।
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