सेना ने 2002 के पथरीबल फर्जी मुठभेड़ केस को बंद कर दिया है। सेना का कहना है कि जिन पांच सैन्यकर्मियों पर मुठभेड़ के आरोप लगे हैं, उनके खिलाफ इतने सबूत नहीं है कि आरोप तय हो सकें।
जनवरी 2003 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने 2006 में जम्मू-कश्मीर पुलिस को इस मामले में क्लीन चिट देते हुए सातवीं राष्ट्रीय रायफल्स के पांच सैन्यकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
इस मामले में ब्रिगेडियर अजय सक्सेना, लेफ्टिनेंट कर्नल ब्रहेन्द्र प्रताप सिंह, मेजर सौरभ शर्मा, मेजर अमित सक्सेना और सूबेदार इदरेस खान पर फर्जी मुठभेड़ में पांच आम नागरिकों की हत्या का आरोप लगा।
उधर, इस पर निराशा व्यक्त करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज कहा कि राज्य के विधि अधिकारियों को इस गंभीर मामले को आगे बढ़ाने के विकल्प तलाशने को कहा जायेगा।
उमर ने कहा कि पथरीबल जैसे गंभीर मामले को इस तरह से बंद नहीं किया जा सकता या नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, सेना के निर्णय से काफी निराश.. खेद पथरीबल। विधि विभाग और महाधिवक्ता को विकल्पों पर विचार करने को कहूंगा। उमर ने ट्वीट किया कि पथरीबल जैसे गंभीर मामले को इस तरह से न तो बंद किया जा सकता या नजरंदाज किया जा सकता है और खासतौर से तब जब सीबीआई की रिपोर्ट अपने आप में स्पष्ट हो।
गौरतलब है कि दक्षिणी कश्मीर के पथरीबल में 26 मार्च 2000 को पांच लोगों को आतंकवादी बताकर मार दिया गया था।
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