बेंगलुरू:
बेंगलुरू में नालों के निर्माण के लिए चलाए जा रहे डिमॉलिशन अभियान की चपेट में देश के लिए जान न्योछावर कर देने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन कुमार का घर भी आने जा रहा है, जो इसी साल जनवरी में पठानकोट एयरपोर्ट बेस पर हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए थे.
निरंजन कुमार के भाई शशांक ने कहा, "इस बात पर यकीन करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि हमने अपने भाई को पठानकोट आतंकी हमले में खो दिया था... मैं अनुरोध करता हूं, यह डिमॉलिशन रोक दिया जाए... निरंजन ने देश के लिए जान दी, और अब अगर ऐसा होता है, तो यह शर्म की बात है..."
अधिकारियों का कहना है कि बेंगलुरू में पिछले महीने बारिश से इस तरह पानी जमा हो गया था कि सड़कों पर लोग सचमुच मछलियां पकड़ते दिखे, उसका कारण शहर में नालों की कमी है. उनका यह भी कहना है कि निरंजन कुमार के परिवार के घर को बचाने के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं है, जो कुल 1,100 घरों में से एक है, जिन्हें तोड़ा जाना बाकी है.
सिविक कमिश्नर मंजुनाथ प्रसाद ने कहा, "मुझे उनके साथ सहानुभूति है, लेकिन हम बहुत मेहनत से एक काम कर रहे हैं, और हमारे लिए सभी की भलाई किसी की व्यक्तिगत भलाई से ज़्यादा महत्वपूर्ण है..."
लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन कुमार बम डिस्पोज़ल विशेषज्ञ थे, और वह पठानकोट एयरबेस में पाकिस्तान-स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा 2 जनवरी को किए गए हमले के खत्म हो जाने के बाद एक ग्रेनेड को डिफ्यूज़ करते हुए शहीद हो गए थे.
वैसे, निरंजन कुमार का परिवार केरल से है, लेकिन वे कई वर्षों से बेंगलुरू में ही बसे हुए हैं.
इस वक्त डिमॉलिशन ड्राइव शहर में तीन जगहों पर चालू है - बोम्मनाहल्ली में अवेरी शृंगेरी नगर, महादेवपुरा में कसावानाहल्ली और येलाहांका में शिवानाहल्ली. पिछले तीन दिन के दौरान 100 गैरकानूनी कब्ज़ों को ढहाया गया है, और 1,100 इमारतें गिराई जानी बाकी हैं.
निरंजन कुमार के भाई शशांक ने कहा, "इस बात पर यकीन करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि हमने अपने भाई को पठानकोट आतंकी हमले में खो दिया था... मैं अनुरोध करता हूं, यह डिमॉलिशन रोक दिया जाए... निरंजन ने देश के लिए जान दी, और अब अगर ऐसा होता है, तो यह शर्म की बात है..."
अधिकारियों का कहना है कि बेंगलुरू में पिछले महीने बारिश से इस तरह पानी जमा हो गया था कि सड़कों पर लोग सचमुच मछलियां पकड़ते दिखे, उसका कारण शहर में नालों की कमी है. उनका यह भी कहना है कि निरंजन कुमार के परिवार के घर को बचाने के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं है, जो कुल 1,100 घरों में से एक है, जिन्हें तोड़ा जाना बाकी है.
सिविक कमिश्नर मंजुनाथ प्रसाद ने कहा, "मुझे उनके साथ सहानुभूति है, लेकिन हम बहुत मेहनत से एक काम कर रहे हैं, और हमारे लिए सभी की भलाई किसी की व्यक्तिगत भलाई से ज़्यादा महत्वपूर्ण है..."
लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन कुमार बम डिस्पोज़ल विशेषज्ञ थे, और वह पठानकोट एयरबेस में पाकिस्तान-स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा 2 जनवरी को किए गए हमले के खत्म हो जाने के बाद एक ग्रेनेड को डिफ्यूज़ करते हुए शहीद हो गए थे.
वैसे, निरंजन कुमार का परिवार केरल से है, लेकिन वे कई वर्षों से बेंगलुरू में ही बसे हुए हैं.
इस वक्त डिमॉलिशन ड्राइव शहर में तीन जगहों पर चालू है - बोम्मनाहल्ली में अवेरी शृंगेरी नगर, महादेवपुरा में कसावानाहल्ली और येलाहांका में शिवानाहल्ली. पिछले तीन दिन के दौरान 100 गैरकानूनी कब्ज़ों को ढहाया गया है, और 1,100 इमारतें गिराई जानी बाकी हैं.
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