नई दिल्ली:
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने शुक्रवार को प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच से इनकार किया जबकि पूर्व केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री पटेल ने अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है।
कनाडा के समाचार पत्र 'ग्लोब एंड मेल' ने बुधवार की अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि देश का संघीय न्याय विभाग 10 करोड़ डॉलर का ठेका हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने पर भारतीय मूल के नजीर कारीगर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। ठेके के तहत एयर इंडिया को एक प्रणाली की आपूर्ति होनी थी।
खरीद के लिए ठेके की यह प्रक्रिया वर्ष 2006 की है और इस समय पटेल केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री थे।
पटेल जो इस समय केंद्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री हैं, उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में अपने नाम पर क्लिन चिट देने के लिए एयर इंडिया के अभिलेखों का अवलोकन करने का अनुरोध किया है। इस प्रत्र की एक प्रति आईएएनएस के पास भी है।
वहीं, सिंह ने पत्रकारों से कहा, "नहीं, एयर इंडिया इस मामले में खुद कोई जांच नहीं करेगी। समाचार पत्र में कोई भी कुछ भी लिख
सकता है लेकिन जहां तक जांच की बात है उसके लिए कुछ ठोस आधार होने चाहिए।" उन्होंने कहा, "पटेल ने कहा है कि उन्होंने कुछ नहीं किया है। मुझे इस बारे में और जानकारी नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री से बात की है और वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।"
पूर्व केंद्रीय उड्डयन मंत्री ने अपने दो पन्ने के पत्र में प्रधानमंत्री से इस मामले में तथ्यगत स्थिति को कानाडा के अधिकारियों से
अवगत कराने का अनुरोध किया है ताकि उन्हें और भारत सरकार शर्मिंदगी से बचाया जा सके।
ज्ञात हो कि समाचार पत्र की रिपोर्ट में पटेल पर आरोप लगा है कि उन्होंने मुम्बई के पूर्व पुलिस आयुक्त हसन गफूर के साथ मिलीभगत कर रिश्वत ली। गफूर उस समय एयर इंडिया के सुरक्षा निदेशक थे।
रिपोर्ट के मुताबिक गफूर ने अपने बचपन के मित्र कारीगर और पटेल के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाई। कारीगर पर आरोप है कि उसने कनाडा की कम्पनी क्रिप्टोमेट्रिक्स की ओर से पटेल और गफूर प्रत्येक को 25 लाख डॉलर की रिश्वत दी।
कनाडा के समाचार पत्र 'ग्लोब एंड मेल' ने बुधवार की अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि देश का संघीय न्याय विभाग 10 करोड़ डॉलर का ठेका हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने पर भारतीय मूल के नजीर कारीगर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। ठेके के तहत एयर इंडिया को एक प्रणाली की आपूर्ति होनी थी।
खरीद के लिए ठेके की यह प्रक्रिया वर्ष 2006 की है और इस समय पटेल केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री थे।
पटेल जो इस समय केंद्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री हैं, उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में अपने नाम पर क्लिन चिट देने के लिए एयर इंडिया के अभिलेखों का अवलोकन करने का अनुरोध किया है। इस प्रत्र की एक प्रति आईएएनएस के पास भी है।
वहीं, सिंह ने पत्रकारों से कहा, "नहीं, एयर इंडिया इस मामले में खुद कोई जांच नहीं करेगी। समाचार पत्र में कोई भी कुछ भी लिख
सकता है लेकिन जहां तक जांच की बात है उसके लिए कुछ ठोस आधार होने चाहिए।" उन्होंने कहा, "पटेल ने कहा है कि उन्होंने कुछ नहीं किया है। मुझे इस बारे में और जानकारी नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री से बात की है और वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।"
पूर्व केंद्रीय उड्डयन मंत्री ने अपने दो पन्ने के पत्र में प्रधानमंत्री से इस मामले में तथ्यगत स्थिति को कानाडा के अधिकारियों से
अवगत कराने का अनुरोध किया है ताकि उन्हें और भारत सरकार शर्मिंदगी से बचाया जा सके।
ज्ञात हो कि समाचार पत्र की रिपोर्ट में पटेल पर आरोप लगा है कि उन्होंने मुम्बई के पूर्व पुलिस आयुक्त हसन गफूर के साथ मिलीभगत कर रिश्वत ली। गफूर उस समय एयर इंडिया के सुरक्षा निदेशक थे।
रिपोर्ट के मुताबिक गफूर ने अपने बचपन के मित्र कारीगर और पटेल के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाई। कारीगर पर आरोप है कि उसने कनाडा की कम्पनी क्रिप्टोमेट्रिक्स की ओर से पटेल और गफूर प्रत्येक को 25 लाख डॉलर की रिश्वत दी।
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