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संसद शीतकालीन सत्र कैसा रहा, क्या-क्या हुआ? कितने बिल पास हुए? जानिए हिसाब-किताब

Parliament Winter Session: विपक्षी सांसदों के टेबल पर चढ़ने का मामला अब विशेषाधिकार समिति को भेजा जा रहा है. तो कुछ इस तरह समाप्त हुआ संसद के शीतकालीन सत्र का समापन.

संसद शीतकालीन सत्र कैसा रहा, क्या-क्या हुआ? कितने बिल पास हुए? जानिए हिसाब-किताब
  • संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत विपक्ष के SIR मुद्दे पर हंगामे के साथ हुई और पहले सप्ताह से ही विवाद जारी रहा
  • विपक्ष ने वंदे मातरम की 150वीं सालगिरह पर चर्चा की अनुमति दी और सरकार चुनाव सुधार पर चर्चा के लिए तैयार हुई
  • इस सत्र में कुल आठ बिल पास किए गए, जिनमें बीमा बिल और न्यूक्लियर एनर्जी बिल प्रमुख थे
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Parliament Winter Session: संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हंगामेदार थी और अंत भी. सत्र की शुरुआत में समूचा विपक्ष SIR के मुद्दे पर संसद के बाहर और भीतर हंगामा करता रहा और शीतकालीन सत्र के पहले हफ्ते में हंगामा ही होता रहा. फिर सरकार और विपक्ष के बीच एक बात पर सहमति बनी कि विपक्ष सदन चलने दे. अगर विपक्ष पहले वंदे मातरम के 150वे सालगिरह पर चर्चा होने दे तो सरकार चुनाव सुधार पर चर्चा करने के लिए तैयार है. चुनाव सुधार पर चर्चा में विपक्ष SIR का जिक्र कर सकता है, मगर चर्चा का विषय चुनाव सुधार ही रहेगा.

प्रियंका और अमित शाह ने मारी बाजी

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इस सहमति के बाद सदन की कार्यवाही चलने लगी और वंदे मातरम पर बहस की शुरुआत प्रधानमंत्री ने की और विपक्ष की तरफ से सभी बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया. इसमें अखिलेश यादव भी थे, मगर विपक्ष की तरफ से प्रियंका गांधी ने सबको आश्चर्यचकित और प्रभावित किया. वंदे मातरम पर हुई बहस में विपक्ष लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह हावी रहा. इस बहस का बदला सरकार ने चुनाव सुधार की चर्चा में लिया. विपक्ष की तरफ से बहस की शुरुआत पहले राहुल गांधी को करना था, मगर मनीष तिवारी ने शुरुआत की और राहुल गांधी बाद में बोले. हालांकि, ये बहस याद किया जाएगा गृहमंत्री के जवाब और राहुल गांधी के उनके भाषण के दौरान बार-बार उठ कर सवाल करने के लिए.

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हालांकि, विपक्ष ने इस बहस के दौरान वॉकआउट किया, मगर ये राउंड सरकार के नाम रहा. सदन की कार्यवाही अब सामान्य हो गई थी और सरकार ने अपने सरकारी कामकाज करवाने शुरू किए और इस सत्र में आठ बिल पास किए गए. मगर सबसे महत्वपूर्ण रहा बीमा बिल, जिसमें सौ फीसदी विदेशी निवेश का प्रावधान है. साथ ही न्यूक्लियर एनर्जी बिल और विकसित भारत जी राम जी बिल है. 

कैसे पास हुआ जी राम जी

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Photo Credit: Ajay Kumar Patel

वंदे मातरम पर 11 घंटे 32 मिनट की बहस हुई, जिसमें 65 सदस्यों ने हिस्सा लिया. जबकि चुनाव सुधार पर 13 घंटे बहस हुई, जिसमें 63 सांसदों ने भाग लिया. हालांकि यह सत्र छोटा था, मगर इसमें लोकसभा की 15 बैठकें हुईं और 92 घंटे 25 मिनट काम हुआ. सब कुछ सामान्य चल रहा था, मगर फिर सरकार ने विकसित भारत जी राम जी बिल को लोकसभा से पास कराने का फैसला किया. विपक्ष का कहना है कि सरकार के साथ कार्य मंत्रणा समिति यानि बीएसी की बैठक में यह तय हुआ था कि सरकार जी राम जी बिल के साथ उच्च शिक्षा बिल और सेक्यूरिटी मार्केट बिल को संसदीय समित को भेजेगी, मगर अंत में सरकार ने इसमें से दो ही बिल को संसदीय समिति भेजा और जी राम जी को सदन में पास कराने का निर्णय लिया.

प्रदूषण पर कैसे टूटा समझौता

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विपक्ष सरकार के इस कदम पर बिफर गया. फिर सरकार ने विपक्ष को एक और प्रस्ताव दिया कि विपक्ष इस बिल को शांतिपूर्वक ढंग से पास होने दे तो लोकसभा में दिल्ली के प्रदूषण पर चर्चा करने के लिए राजी है. विपक्ष ने विकसित भारत जी राम जी बिल पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के जवाब के दौरान काफी हंगामा किया, बिल के कागज फाड़ कर फेंके गए. विपक्ष के कुछ सदस्य तो टेबल पर चढ़ गए. इस हालात में भी सरकार ने इस बिल को पास करा लिया, मगर हंगामे के बाद सरकार और विपक्ष के बीच प्रदूषण पर बहस को लेकर हुआ समझौता टूट गया और सरकार ने तय किया कि दिल्ली प्रदूषण पर चर्चा नहीं होगी क्योंकि प्रदूषण पर बहस की शुरुआत प्रियंका गांधी को करनी थी. विपक्षी सांसदों के टेबल पर चढ़ने का मामला अब विशेषाधिकार समिति को भेजा जा रहा है. तो कुछ इस तरह समाप्त हुआ संसद के शीतकालीन सत्र का समापन.

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