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EXPLAINER: दुनिया की हस्तियों को पंडित नेहरू के पत्र देश की विरासत या परिवार की संपत्ति?

2008 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के दौरान यूपीए की चेयरपर्सन रहीं सोनिया गांधी के आग्रह पर इन पत्रों को तीन मूर्ति भवन से हटाकर व्यक्तिगत रूप से अपने पास मंगवा लिया गया था.

पंडित नेहरू के पत्रों को लेकर छिड़ी है बहस

नई दिल्ली:

मोबाइल फ़ोन के इस युग में हाथों से पत्र लिखने का दौर भले ही ख़त्म सा हो चुका हो लेकिन हाथ से लिखे ये पत्र ही हैं जिन्होंने दुनिया को इस मुक़ाम तक पहुंचाया जहां दुनिया आज है.कहते हैं तलवार से ज़्यादा ताक़त शब्दों में होती है और पत्र इन लिखे हुए शब्दों को पहुंचाने का एक बहुत अहम ज़रिया रहे हैं. इतिहास में इस ख़तों किताबत से इतना कुछ हुआ है कि यकीन करना मुश्किल है. आज हम आपको ऐसे ही कुछ पत्रों के बारे में जानकारी देंगे जिन्होंने इतिहास को बदल दिया.

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उससे पहले बता दें कि आज हम ऐतिहासिक पत्रों का ज़िक्र क्यों कर रहे हैं.दरअसल इन दिनों देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सैकड़ों पत्रों को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है.ये पत्र गांधी परिवार के पास हैं जो पहले प्रधानमंत्री म्यूज़ियम और लाइब्रेरी में थे जिसे पहले नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम और लाइब्रेरी कहा जाता था.ये दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में स्थित है.

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2008 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के दौरान यूपीए की चेयरपर्सन रहीं सोनिया गांधी के आग्रह पर इन पत्रों को तीन मूर्ति भवन से हटाकर व्यक्तिगत रूप से अपने पास मंगवा लिया गया था.भारत के आधुनिक इतिहास के लिहाज़ से देश के पहले प्रधानमंत्री के ये पत्र काफ़ी ख़ास हैं.ये पत्र वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटाइन, एडविना माउंटबेटन, पद्मजा नायडू, बाबू जगजीवन राम, जयप्रकाश नारायण,विजय लक्ष्मी पंडित समेत कई ऐतिहासिक हस्तियों से जुड़े हैं.

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प्रधानमंत्री म्यूज़ियम और लाइब्रेरी ने इस सिलसिले में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को एक पत्र लिखा है और इन पत्रों को लौटाने या उनकी कॉपी देने की मांग की है ताकि इतिहास को पढ़ने-समझने वाले रिसर्चर्स को वो हासिल हो सकें. इससे पहले सितंबर के महीने में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से भी आग्रह किया गया था कि 51 कार्टन में रखे नेहरू कलेक्शन से जुड़े पत्रों को वापस लौट दिया जाए ताकि रिसर्च स्कॉलर उन पर अध्ययन कर सकें. ये कहा गया है कि ये दस्तावेज़ नेहरू परिवार के लिए व्यक्तिगत महत्व के हो सकते हैं लेकिन ये देश की भी थाती हैं क्योंकि ये देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू से जुड़े हैं. इतिहास को समझने के लिए सबके लिए सुलभ किया जाना चाहिए.

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इस पूरे प्रकरण को लेकर एनडीटीवी ने जाने-माने इतिहासकार हिमांशु चतुर्वेदी से बातचीत की. उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि हमारे देश की जो एतिहासिक हस्तियां हैं उनके जो पत्राचार हुए हैं, वो बेहद अहम हैं. खास तौर इतिहास को लेकर जब शोध होता है तो उसमें इन पत्रों की भूमिका काफी खास होती है. हम इन पत्रों के माध्यम से उस दौर के बारे में जानते हैं. राष्ट्रीय हस्तियों के पत्राचार किसी भी शोध कार्य के लिए बेहद अहम माने जाते हैं. 

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