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This Article is From Sep 21, 2015

हरियाणा पंचायत चुनाव : SC ने पूछा, MP और MLA के लिए शैक्षणिक योग्यता का नियम क्यों नहीं?

हरियाणा पंचायत चुनाव : SC ने पूछा, MP और MLA के लिए शैक्षणिक योग्यता का नियम क्यों नहीं?
प्रतीकात्मक तस्वीर
हरियाणा पंचायत चुनाव का मामला अब अहम दौर में पहुंच चुका है। पंचायत चुनाव के फिलहाल टलने के आसार बन गए हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बडे सवाल उठा दिए। कोर्ट ने पूछा कि शैक्षणिक योग्यता पंचायत चुनाव में ही सदस्यों के लिए क्यों हैं? सासंदों और विधायकों के लिए ये नियम क्यों नहीं लागू किया जाता ?

हरियाणा सरकार दे रही कुछ संकेत...
हालांकि हरियाणा सरकार पंचायत चुनाव के लिए शैक्षणिक योग्यता संबंधी नियम को हटाने के संकेत दे रही है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि क्या पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता को हटाने को तैयार है? AG ने हरियाणा सरकार की ओर से कहा कि ये योग्यता की शर्त चुनाव में हटाई जा सकती है।  मंगलवार को AG सरकार से बात कर सुप्रीम कोर्ट को बताएंगे।

हो सकता है कि आगे संसद एेसा कोई कानून बना दे...
हरियाणा सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि चुनाव लडना मौलिक अधिकार नहीं है। अब चुनाव घोषित हो चुके हैं और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रोक हटा लेनी चाहिए क्योंकि इससे कंफ्यूशन हो गई है। किसी ने पुराने नियमों के मुताबिक नामांकन दाखिल किया है तो किसी ने नए के मुताबिक। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर बाद में आदेश जारी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के MP और MLA के लिए योग्यता की बात पर रोहतगी ने कहा कि हो सकता है कि आगे संसद एेसा कोई कानून बना दे।

लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार 50 फीसदी लोगों को कैसे चुनाव लडने से रोक सकती है। इस पर रोहतगी ने कहा कि सरकार इस शर्त को हटा सकती है और वो मंगलवार को सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को बताएंगे।

कोर्ट कर रहा है याचिका पर सुनवाई...
सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। पंचायत चुनाव को लेकर लगाई अंतरिम रोक हटाने को लेकर राज्य सरकार ने याचिका दायर की है। पंचायत चुनाव लड़ने के लिए नियम में किये संसोधन पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को अंतरिम रोक लगा दी थी। राज्य सरकार नए नियमों के मुताबिक जनरल के लिए दसवीं पास, दलित और महिला के लिए आठवीं पास होना जरूरी है।

इसके अलावा बिजली बिल के बकाया ना होने और किसी केस में दोषी करार ना होने के साथ में घर में टायलेट होने की शर्त रखी गई है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि 83 फीसदी दलित और 71 फीसदी सामान्य महिलाओं के अलावा 56 फीसदी पुरुष इस कानून से प्रभावित हुए हैं। ये कानून लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन है। हरियाणा में अक्तूबर में तीन चरणों में  4, 8 और 11 अक्तूबर को चुनाव होने हैं।

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