भारत ने पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama Attack) की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने के लिये पाकिस्तान (Pakistan) की आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस मामले में मुख्य आरोप जैश ए मोहम्मद सरगना मसूद अजहर (Masood Azhar) पाकिस्तान में पनाह लिये हुए है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने डिजिटल माध्यम से साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि पुलवामा हमले मामले में करीब डेढ़ वर्ष की जांच के बाद आरोप पत्र दायर किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. यह संगठन और उसका नेतृत्व पाकिस्तान में है. यह अफसोस की बात है कि पुलवामा मामले में आरोपी जैश-ए-मोहम्मद आतंकी समूह का सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान में पनाह लिये हुए है. '' गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पुलवामा मामले में आरोप पत्र दायर किया और उसमें बताया कि किस प्रकार से पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन ने इसकी साजिश रची और हमले को अंजाम दिया.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘यह (आरोपपत्र) आतंकी कृत्य के संबंध में दायर किया गया है और इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों को न्याय के कटघरे में लाने के लिये है. हमारा मकसद सिर्फ बयान या अधिसूचना जारी करना नहीं है.'' उल्लेखलीय है कि पुलवामा हमले के जवाब में भारत ने पिछले वर्ष 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया था. पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने मुम्बई पर 2008 में हुए आतंकी हमले को अंजाम देने वालों के खिलाफ अभी तक विश्वसनीय कार्रवाई नहीं की है जिस घटना में 165 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी.
दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) की देश में मौजूदगी के बारे में पाकिस्तान के यूटर्न के बारे में एक सवाल के जवाब में श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान.... आतंकी संगठनों, प्रतिबंधित लोगों, वांछित लोगों के खिलाफ कभी प्रामाणिक, सत्यापन योग्य कार्रवाई नहीं करता. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा इससे इंकार करना उनके इरादे पर सवाल खड़ा करता है और वह विश्व समुदाय को दुष्प्रचार को लेकर भ्रमित नहीं कर पायेगा. प्रवक्ता ने कहा, ‘‘पाकिस्तान को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिबंधित लोगों पर मुकदमे चलाये जाएं. ''
गौरतलब है कि इब्राहिम का नाम उन 88 लोगों की सूची में आया था जिसे पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने विधिक नियामक आदेश के रूप में प्रकाशित किया था. हालांकि, बाद में पाकिस्तान ने इस संबंध मे मीडिया में रिपोर्ट को खारिज कर दिया था.
वहीं, चीन के मुद्दे पर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में सैनिकों का पूर्ण रूप से पीछे हटना दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति के आधार पर एक-दूसरे द्वारा उठाये गए कदमों से ही हासिल किया जा सकता है और इस बात को भी रेखांकित किया कि अतीत में सीमा से जुड़े मुद्दों का समाधान कूटनीति के जरिेये निकाला गया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि पूर्ण रूप से पीछे हटने के लिये प्रत्येक पक्ष को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी-अपनी ओर नियमित चौकियों की तरफ सैनिकों की पुन: तैनाती करने की जरूरत है और यह यह दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति के आधार पर एक दूसरे द्वारा उठाये गए कदमों से ही हासिल किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि अतीत में सीमा से जुड़ी विभिन्न घटनाओं का समाधान कूटनीति के जरिये निकाला गया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं विदेश मंत्री के हाल के साक्षात्कार का जिक्र करूंगा जिसमें उन्होंने कहा है कि सीमा से जुड़ी पिछली कई स्थितियों का समाधान राजनयिक माध्यम से निकाला गया.'' प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्री ने कहा कि जब समधान की बात आती है तब यह सभी समझौतों और सहमति का सम्मान करते हुए और यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव का प्रयास किये बिना होना चाहिए.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं