पिछले साल की आखिरी रात को एक पाकिस्तानी बोट में हुए विस्फोट के मामले में रक्षा मंत्रालय ने कोस्ट गार्ड के डीआईजी बीके लोशाली के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि लोशाली के उस बयान में कितनी सच्चाई है, जिसमें अंग्रेज़ी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस द्वारा जारी किए गए एक वीडियो के मुताबिक उन्होंने दावा किया था कि बोट उड़ाने का आदेश उन्होंने ही दिया था।
उधर, रक्षा मंत्रालय लोशाली मामले में अब यह कह रही है की लोशाली वेस्टर्न कमांड के एक चीफ ऑफ़ स्टाफ थे और उनके काम का दायरा सिर्फ प्रशासनिक था और "उनका काम किसी लिहाज़ से किसी भी ऑपरेशन से नहीं जोड़ा जा सकता, इसीलिए 31 दिसम्बर की रात को जो हुआ, उसकी उन्हें कुछ खबर नहीं हो सकती।"
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकआरी में एनडीटीवी इंडिया को बताया उस अधिकारी के मुताबिक जो भी ऑपरेशंस कोस्ट गार्ड में होती है, उसकी दिशा कमांडर इन चीफ यानी एक आईजी रैंक का अफसर तय करता है। यही नहीं अब रक्षा मंत्रालय यह भी कह रहा है की लोशाली का सर्विस रिकॉर्ड सही नहीं है, इसीलिए उसे गुजरात में पोस्ट किया गया है और ऐसी पोस्ट पर जो किसी भी तरीके से संवेदनशील नहीं है। वैसे यह मामला अब तूल पकड़ चूका है, क्योंकि इस पर सफाई खुद रक्षा मंत्री को देनी पड़ रही है।
रक्षा मंत्री के मुताबिक सरकार कुछ और सबूत सामने रखेगी, जिनसे साफ हो जाएगा कि ऑपरेशन में सही तरीके से स्तरीय ऑपरेटिंग प्रक्रिया का पालन किया गया था। रक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि बोट पर चार आदमी थे और वह लगातार दी जा रही चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर रहे थे। कुछ देर बाद उस बोट पर सवार लोगों ने बोट को आग लगा दी। सभी इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स इसकी तस्दीक भी करती हैं।
दरअसल, इंडियन एक्सप्रेस में बुधवार को प्रकाशित समाचार तथा बाद में जारी किए गए एक वीडियो के मुताबिक, सोमवार को सूरत में आयोजित एक कार्यक्रम में कोस्ट गार्ड डीआइजी ने खुलेआम कहा था कि 31 दिसंबर की रात एक संदिग्ध पाकिस्तानी बोट को उड़ाया गया था, और उसमें बैठे लोगों ने ख़ुद ब्लास्ट नहीं किया था, जैसा कोस्ट गार्ड और भारतीय रक्षा मंत्रालय अब तक दावा करते रहे हैं।
वीडियो के मुताबिक डीआईजी ने कहा था, "आप लोगों को 31 दिसंबर याद है, जब हमने पाकिस्तानी बोट उड़ा दी थी... मैं गांधी नगर में था... मैंने रात को कहा था, उड़ा दो बोट को... हम उन्हें बिरयानी नहीं खिलाना चाहते..."
इस ख़बर के तूल पकड़ने पर डीआइजी लोशाली को फौरन अपने बयान की गंभीरता का एहसास हो गया और डीआईजी समेत कोस्ट गार्ड के कई अधिकारियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस मामले में सफाई दी थी। लोशाली ने बयान को मीडिया के नाम मढ़ने की कोशिश की कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया, सिर्फ यह कहा था कि राष्ट्रविरोधी तत्वों को बिरयानी खिलाने की ज़रूरत नहीं है। लोशाली ने यह भी कहा कि वह उस ऑपरेशन को संभाल नहीं रहे थे, इसलिए उस ऑपरेशन की गोपनीयता को देखते हुए उन्हें उसके बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि नौका ने खुद को आग लगाई थी और कोस्ट गार्ड ने उसे नहीं डुबोया था।
लेकिन इस विवाद से यह सवाल फिर खड़ा हो गया है कि 31 दिसंबर, 2014 की रात का सच आखिर क्या था, क्योंकि अब तक सरकार की ओर से उस बोट से जुड़ी जानकारी आम नहीं की गई है, हालांकि बोट द्वारा खुद को उड़ा लिए जाने का दावा कर रहे रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर अब भी अपनी बात पर कायम हैं, और उन्होंने कहा, पाकिस्तानी बोट के मामले में सरकार सबूत पेश करेगी, और वह पहले दिए अपने बयान पर कायम है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई चैनल कुछ अलग कहता है तो हम उसकी जांच करेंगे। उन्होंने कहा, हमारे पास 15-16 लाख सैन्यकर्मी हैं, अगर कोई एक अधिकारी गलत बयान देता है, तो मैं उसकी जांच करूंगा और तब कार्रवाई करूंगा।
हमारे संवाददाता राजीव रंजन के अनुसार, बेंगलुरू में जारी रक्षा उत्पादनों के बाज़ार, यानि एयरो इंडिया शो के दौरान भी रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि 31 दिसंबर को पाकिस्तानी बोट के समुद्र में जलने के मामले पर रक्षा मंत्रालय ने जो बयान दिया था, वह उस पर कायम है।
बुधवार शाम को ही बेंगलुरू में हमारे संवाददाता नेहाल किदवई के अनुसार, कोस्ट गार्ड की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि रक्षा मंत्रालय ने इस मामले पर पहले जो बयान दिया था, वही सही है। इस विज्ञप्ति में यह भी दोहराया गया कि कोस्ट गार्ड के इंटरसेप्टरों ने एक पाकिस्तानी नौका को संदेहास्पद स्थिति में देखा था, और जब उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा गया तो पोरबंदर से लगभग 365 मील दूर नौका ने खुद को धमाके से उड़ा लिया। इस बोट में चार लोग देखे गए थे।
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