प्रधानमंत्री के बयान से स्पष्ट है कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है. जम्मू-कश्मीर में साजिश रचने वालों को अब और भी कठोर जवाब मिलेगा. पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता भी दिखाई दे रही है, जिससे क्षेत्र में विकास और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा. आम लोगों में भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और जज्बा दिखाई दे रहा है, जो एक सकारात्मक संकेत है.
आतंकवादी हमले के बावजूद पर्यटकों का हौसला बुलंद है. अब्दुल रजाक का कहना है कि आतंकवाद के कारण घाटी से भागना उचित नहीं है. एक पर्यटक ने कहा कि अगर हम भागेंगे तो आतंकवादियों का मकसद पूरा हो जाएगा, जो जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा. पर्यटकों का कहना है कि वे आतंकवाद के आगे नहीं झुकेंगे और घाटी की सुंदरता का आनंद लेंगे.
अगर पर्यटन उद्योग बंद हो जाता है, तो जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा, जिससे स्थानीय लोगों को भी नुकसान पहुंचेगा. पर्यटकों का कहना है कि वे स्थानीय लोगों का समर्थन करना चाहते हैं और उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद करना चाहते हैं. पर्यटन उद्योग जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों को रोजगार और आय मिलती है.
जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की संख्या में कमी नहीं आई है. निषाद बाग, चश्माशाही और ट्यूलिप गार्डन जैसे लोकप्रिय स्थलों पर पर्यटकों की संख्या अभी भी अच्छी है. हालांकि 22 अप्रैल के आतंकी हमले की परछाई दिखाई दे रही है, लेकिन पर्यटन उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थाई नहीं होगा.
आपको बता दें, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे, जबकि कई लोग घायल हुए है. लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' नाम के आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. ऐसे में इस घटना के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बार फिर तनाव का दौर शुरू हो गया है.
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