
- एससीओ ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है और इसे सुरक्षा चुनौती बताया है
- इस हमले को भारत की सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता के रूप में प्रस्तुत किया गया है
- साझा बयान में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास और सहयोग पर बल दिया गया है
चीन के तियानजिन शहर में हो रहे शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन में सोमवार को भारत को उस वक्त बड़ी कूटनीतिक जीत मिली, जब एससीओ समिट के संयुक्त घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले की एक सुर में निंदा की गई. इससे SCO बैठक में शामिल पीएम शहबाज शरीफ के सामने ही पाकिस्तान बेनकाब हुआ. वहीं भारत चीन का रुख बदलवाने में भी कामयाब रहा, जो अभी तक पहलगाम हमले को किसी बहुपक्षीय मंच से उठाने से हिचकिचाता रहा है. जून में जब एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी, तब उसमें पहलगाम आतंकी हमले को साझा बयान में शामिल नहीं करने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ज्वाइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था. आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के सख्त रुख का ही नतीजा है कि शिखर सम्मेलन में इस बार पहलगाम हमले की एक स्वर से निंदा की गई.
एससीओ शिखर सम्मलेन में जारी साझा बयान में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई है. इसे भारत की बड़ी जीत मानी जा रही है. इससे पहले पीएम मोदी ने भी आंतकवाद के मुद्दे को अपने संबोधन में जोरदार तरीके से उठाया था. मोदी ने रविवार को चीन के राष्ट्रपति के साथ भी बातचीत में इस मुद्दे को मजबूती से उठाया था.

बताते चलें कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में सदस्य देशों ने एक बड़ा साझा बयान जारी किया.इस डिक्लेरेशन में आतंकवाद पर सख्त रुख, आर्थिक सुधार, जलवायु संकट और बहुध्रुवीय दुनिया की मांग जैसे अहम मुद्दों पर सहमति बनी.इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, क्योंकि भारत लगातार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम और वैश्विक सुधार की मांग करता रहा है.
साझा बयान की प्रमुख बातें क्या-क्या है?
पहलगाम हमले पर: “सदस्य देशों ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति गहरी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की.
गाजा की तबाही पर- “फिलिस्तीनी-इजरायली संघर्ष के लगातार बढ़ने पर अपनी गहरी चिंता दोहराते हुए, सदस्य देश उन कार्यों की कड़ी निंदा करते हैं जिनके कारण गाजा पट्टी में बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई है और भयावह मानवीय स्थिति पैदा हुई है.
ईरान पर हमले की निंदा- “सदस्य देशों ने जून 2025 में इस्लामिक गणराज्य ईरान के खिलाफ इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन्य हमलों की कड़ी निंदा की. परमाणु ऊर्जा के बुनियादी ढांचे सहित नागरिक लक्ष्यों के खिलाफ ऐसी आक्रामक कार्रवाइयां, जिसके कारण नागरिकों की मौत हुई, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और मानदंडों का घोर उल्लंघन है.
SCO के विस्तार पर जोर- “सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर और एससीओ चार्टर के सिद्धांतों के आधार पर इच्छुक देशों, भागीदार संगठनों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संघों के साथ SCO सहयोग के विस्तार की वकालत करते हैं.”
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